सोमवार, 5 नवंबर 2012

लिखते क्या हैं


* लिखते क्या हैं
दिवस काटते हैं
किसी तरह !

* राजा जो होगा
कुछ प्रजा भी होगी
रानी भी होगी !

* सच निकला
झूठ समझते थे
जिसको हम |

* झूठ निकला
सच समझते थे
जिसको हम |

* फर्क के साथ
कैसे रहा जाता है
जानना होगा |

* मैं कहता हूँ
फूल क्यों तोड़े जाएँ
गेंदे  गुलाब ?

* सोच न पाऊँ
कितना नहीं पिया
कितना पिया ?

* कोशिश करें
तो समता की ही क्यों ,
बड़े होने की |

* स्वावलंबन !
अपना कमाना है
अपना खाना |

* डोरे डालता
इसके पहले ही
डोर से बँधा |

* जो हो रहा है
बड़ा मज़ा आएगा
उसे होने दो |

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