* लिखते क्या हैं
दिवस काटते हैं
किसी तरह !
* राजा जो होगा
कुछ प्रजा भी होगी
रानी भी होगी !
* सच निकला
झूठ समझते थे
जिसको हम |
* झूठ निकला
सच समझते थे
जिसको हम |
* फर्क के साथ
कैसे रहा जाता है
जानना होगा |
* मैं कहता हूँ
फूल क्यों तोड़े जाएँ
गेंदे गुलाब ?
* सोच न पाऊँ
कितना नहीं पिया
कितना पिया ?
* कोशिश करें
तो समता की ही क्यों ,
बड़े होने की |
* स्वावलंबन !
अपना कमाना है
अपना खाना |
* डोरे डालता
इसके पहले ही
डोर से बँधा |
* जो हो रहा है
बड़ा मज़ा आएगा
उसे होने दो |
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