मंगलवार, 24 मई 2011

हिन्दू आतंकवाद

* मेरा भी यह ख्याल है कि  हिन्दू आतंकवाद जैसा कुछ नहीं है | वह मुस्लिम विरोधी आतंकवाद हो सकता है | [ जैसे नक्सलवादी हिंसा के सम्बन्ध में सभ्य लोग कहते हैं कि वह सर्कार विरोधी हिंसा है  ]  | और अलबत्ता उसमे राष्ट्रवाद कि उत्तेजना हो सकती है | पर वह हिन्दू आतंकवाद नहीं है | [अमरीका ने भी ऐसी कोई घोषणा नहीं की है ] | वह जो भी है ,केवल भारत में है , भारत के लिए है | उसने कौन सा ९/११ करने कि कभी सोची ,या किया ? फिर इसे कैसे आतंकवाद कह सकते हैं , जो किसी कोण से अंतर राष्टीय नहीं है ?  ###

*  फिर भी मैं हिन्दू आतंकवाद का समर्थन नहीं करूँगा , क्योंकि पाकिस्तान की तरह जब हिंदुस्तान हिन्दू राष्ट्र बन जायेगा तो यही उग्र / अतिवादी समूह पाकिस्तान कि भांति ही हिंदुस्तान के लिए भी सर दर्द और खतरनाक हो जायेंगे |###

तत्काल २४/५/११

*बाबा रामदेव के चेले चापड़ ज़्यादातर इस उद्योग में क्यों रहते हैं की उनके बाल काले हो जाएँ ? ##

*सेमिनारों के वक्ता से चलते - चलते अंत में यह पूछो कि, आप ऐसे [मूर्ख ] जन्म से हैं ,या बाद में ऐसे हुए ? ##

# बातों से भी क्रांति , कोई परिवर्तन , या संघर्ष किया जा सकता है , ऐसा मेरे एक मित्र दिव्या रंजन पाठक जी  सिद्ध कर रहे हैं |  ##

* अमरीका में CIVIL SOCIETY  नहीं हैं क्या ? या वे भारत की civil society सोसाइटी जितना सभ्य नहीं हैं ? क्योंकि लादेन के मरे जाने पर वहां कोई हो हल्ला ओबामा के खिलाफ सुनाई नहीं दिया |
   भारत में भी करूणानिधि की बेटी की गिरफ़्तारी पर कहाँ कोई सोसायटी बोली ! मतलब , इसमें संभव तः  हर कानूनी प्रक्रिया का सर्कार ने पूरी तरह पालन किया है | वर्ना ये बोलते ज़रूर , जैसे ये कथित अल्पसंख्यक आतंकवादियों और माओवादियों की तरफदारी करते रहे हैं | ##

* प्रधान मंत्री ,मुख्य न्यायाधीश के भ्रष्टाचार हमें ज्यादा प्रभावित नहीं करते | हम तो पीड़ित होते हैं लेखपाल , तहसीलदार , ग्राम विकास अधिकारी के भ्रष्टाचार से | उनके विरोध में लोकपाल विधेयक के पास क्या कार्यक्रम है ?##

*   Lokpal bill drafting committitee is a silent authoritative civilian coup in the offing , no better than a military coup . So, now much more responsibility rests with the govt members to curb ill-designs of civil society members >  ## 


सोमवार, 9 मई 2011

विप्लव विकल्प विकास

१०/५/११
* gmail group se विप्लव विकल्प विकास पर लिखने का invitation मिला  | व्यवस्था सम्बन्धी नए विचार , 
घटनाओं पर नवीन प्रतिक्रिया हेतु | पहले तो लोग यही  गलत  समझते हैं कि विप्लव की ज़रुरत सिर्फ व्यवस्था में है | मैं कहूँ , अपने भीतर एक महान आन्दोलन चलाने की ज़रुरत है, तो इसे अध्यात्मिक विलाप कहकर टाल दिया जायगा इसलिए मैं भी उसे छोड़ता हूँ |  लेकिन समाज के भीतर की कुत्सित शक्तियों और प्रवृत्तियों के खिलाफ तो जिहाद ज़रूरी है ही | इसे लोग करना कम पसंद करते हैं क्योंकि इसमें काम बहुत है और नाम बहुत कम | राजनीतिक विरोध के कामों में ख्याति और प्रतिष्ठा बहुत है | इसलिए उसमे लोग ज्यादा जुटे हैं | इससे कुछ ख़ास हासिल होने वाला नहीं है | अपनों से महाभारत लड़ना ज्यादा कष्ट साध्य तो है ,लेकिन येही है जो अधिक sustainable विप्लव विकल्प विकास धारी कार्य है |   और हाँ , यह तो कहना रह ही गया कि हर परिवर्तन के मूल में  एक साफ़ -साधा विचार होता है |   ###

रविवार, 8 मई 2011

बिना ओसामा/जामिया मिलिया/डाइनिंग टेबल

* ९/५/११
बिना ओसामा
पाकिस्तान की सरकार और फौज अपने देश के आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं करती ,तो यह  तो  बड़ी     अच्छी बात है | भले यह अमरीका या भारत के हित में न हो ,या  उसकी सुरक्षा / अखंडता के लिए नुकसानदेह हो , पर हिन्दुस्तान के महान अरुंधती  वादी नागरिक समाजियों के मंतव्य के अनुसार तो पाकिस्तान बिलकुल उचित ही कर रहा है जो अपने नागरिकों के खिलाफ पुलिस या फौज का इस्तेमाल नहीं कर रहा है| हमारे भारत सरकार  की तरह ,जो माओवादियों के खिलाफ ,असफल सही, कभी - कभी पुलिसिया एक्शन , राजकीय  हिंसा का सहारा लेती है  हमें अपने पडोसी की प्रशंसा करनी चाहिए, और अपने सरकार की भरपूर  आलोचना करनी चाहिए | अपने निंदक को बहुत नियरे रखना तो हमारी संस्कृति में है   |##


* जामिया मिलिया विश्व विद्यालय को अल्पसंख्यक दर्ज़ा दिए जाने का [अध्यक्ष - पी एल पुनिया] अनु. जा. ज जाति आयोग ने विरोध किया है | यह घटना मेरी उस स्थापना को पुष्ट करती है कि भारत में दलित राज्य ही देश में साम्प्रदायिकता का दमन कर सकता है |  वही सेकुलर एस्टेट कि अवधारणा को लागू कर सकता है , और भारतीय अवधारणा और परिस्थिति के वह अनुकूल भी होगा  | इसलिए हम नागरिकों को चाहिए  कि हर और हर प्रकार के चुनाव में दलित और केवल दलित उम्मीदवार को ही अपना अमूल्य वोट दें |
##

* क्षमा  चाहता हूँ | मेरे मन में एक गंभीर संदेह पैदा हो गया है , अलबत्ता मैं उस से उबरने कि चेष्टा कर रहा हूँ |  मेरे अनुमान में आ रहा है कि कोई अंग्रेजी टाईप  डेमोक्रेटिक सरकार सत्ता में आएगी ,तो जैसे मुलायम सरकार ने गाँव में शौचालय निर्माण के लिए पैसे भेजे थे , वह अति -उत्साह में डाइनिंग टेबल के लिए सब्सीडी उड़ेलेगी | तब क्या होगा , मैं इसकी चिंता में हूँ | खाने का ढंग तो हिंदुस्तान का सुधर जायगा ,पर वह उस पर खायेगा क्या ?
###    
[नागरिक जन उदगार]

बुधवार, 4 मई 2011

चाय का मतलब

* कोई कह रहा था कि लड़कियों का जींस नीचे जा रहा है | तो इसकी अनिवार्य परिणति होनी चाहिए कि औरतों  की साड़ी  
ऊपर को जाए | ##      ]बदमाश चिंतन [

* संत  भी  नेता  हो सकते हैं | क्यों नहीं हो सकते ? इसी प्रकार नेता भी संत हो सकते हैं , निस्संदेह  | लेकिन अन्ना हजारे जी न तो संत हैं , न नेता | फिर भला यह क्या हो सकते हैं ? ##
                   [तुलसी दल ]
* चाय का मतलब है , साथ मिल बैठने का बहाना | 
                                                                                                                          [उवाच]
* मुझे मटमैला रंग बहुत पसंद है | क्या यह भारत की मिटटी का कमाल है ?
                                                                                                                                  [व्यक्तिवाचक]
* [सन्देश]
                 कर्तव्यनिष्ठ बनो , यह तो मैं भी कहूँगा | लेकिन आज की दुनियादारी  का तकाज़ा यह है कि -don't be prompt . नहीं तो आप काम करते करते  मर जायेंगे और आप के काम पर दूसरे लोग मजे उड़ायेंगे | ##

* इस अखबार में परिवार के हर सदस्य के लिए सामग्री है | बच्चों के लिए फ़िल्मी पन्ना , बूढ़ों के लिए फैशन  परेड   , लड़कों   के लिए पाक शास्त्र  , लड़कियों के लिए कैरियर   , मर्दों   के लिए गृहसज्जा   -किटी  पार्टी   , औरतों के लिए खेती बारी  - खेल   - सट्टा  बाज़ार   -राजनीति  इत्यादि  | और क्या चाहिए !  ##   
          ]बदमाश चिंतन [

*आँख बंद करो तो
कुछ आकृतियाँ
मूर्तियाँ तो
बनती ही हैं ,
उन्हें ईश्वर ,
देवी - देवता
कहो न कहो |  ##

Nothing Strange/Anna /4/5/11


*भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन है , भ्रष्टाचारियों के खिलाफ नहीं |

* Can the honest people of U.P donate their hard earned money to IAC [India Against Corruption] to the tune of 16 Lakh for  Anna  Hazare  movement ?------
*Donors can supply more and more money to fight against corruption, lest they are not asked to be corruptionfree themselves.------------
*For what expences to meet ,such a huge amount is being collected through donations ? 

सोमवार, 2 मई 2011

दिमाग तो है [ Book-8 ] हाइकु संग्रह app 100


* ईश्वर अब
 मनुष्यों का तो एक
आइकन है |

* लुटाना और
लूटना भी चाहिए
प्राप्तकर्ता को |

* भक्तों की भीड़ 
नहीं बचा पायेगी 
राम , देव को |

* कहीं पहुंचा
अब कहीं पहुंचा
हूँ मैं आकर |

* आँख बदर
दिल बदर मैं हूँ
देश बदर |

* चाहा था पर
अब तो नहीं चाह
बची है कोई |
* हर व्यक्ति का
शातिर दिमाग तो
होना चाहिए |

* अँधेरा कोना
है , जिसमे मैं हूँ
और ईश्वर |

* बोलते नहीं
हम किसी को दोस्त
आज़ादी प्रिय |

* स्वार्थ  , परार्थ
मिल जुल कर हैं
खींचते पृथ्वी |

* प्रेम कम है
प्रेम का प्रदर्शन
बहुत ज्यादा |

*चीन जाते हैं
पुरानी हुयी बात
ज्ञानार्जन की |

* मैं सोता रहा
घड़ी चलती रही
वह न सोयी |

* मैं तो मैं हूँ ही
मैं अकेला नहीं हूँ
कहाँ रखोगे ?

*लोहा     लेकर    क्या करोगे ?

लोहे तो जंग
खाते हैं , लोहे जंग
नहीं करते |

मगर  फूल
कभी  न  मुरचाते
सड़  जाते  हैं |
पर मृत्यु  को  प्राप्त
तो  सभी होते  |

* सब का    सब
स्वार्थ    का   चक्कर
सारा    जीवन    |

* इधर जाएँ 
तो खाई , कुआँ है जो 
उधर जाऊं     |

* विज्ञानं का तो 
कोई अंत नहीं है 
न ही तर्क का |

* कैसा मन है 
खाकर तो देखिये 
घर का खाना !

* मैं जब तक 
हूँ संशय विहीन 
तब   तक हूँ |

* जान दे दूंगा
फुरसत तो मिले
अभी तो नहीं |

* हम बौद्धिक
मूर्खों से मुखातिब
बे मुताबिक |

* आज तो कोई
अखबार न आया
तो खली बैठो |

* मुझे न मिला
अंधा बांटे  रेवड़ी  
तुझे    न मिला | 

*कल्पना  शक्ति ,
आदमी का दिमाग 
अन्यो न्याश्रित  |

* समझदारी  
खुल  जा सिमसिम 
खोल  दिमाग |

*यह  भी भाषा
डेली मर्रा का काम
कहते सुना |

*परेशान  हूँ
सृजन शीलता से
कभी ख़त्म हो |

* रोज़ नहाना
ऐसी क्या ज़रुरत
पानी बहाना |

* दे देंगे  पास
जगह  मिलने दो
अभी जाम  है |

* सेक्स के लिए
कौन शादी करता
धन के लिए |

* एक म्यान में
दो तलवारें   आयें
तो भी न रखो   |

* विकास काले
विपरीत बुद्धिश्च
विनाश   काले  |

* अर्थान्वेषण
आदमी के होने का
सदा अधूरा  |

* फंसी रहेगी
औरत   पवित्रता /
बलात्कार में |

* गिर जाएँ तो
उठने  ki कोशिश
मर जाएँ तो 
पैदा होने ki |

* सो वाज़ द डे So  was the  day
 Today I didn't
say any thing  |

* समाजवादी  
नारीवादी भी होगा
शूद्रवादी भी |

* कठिन धर्म 
लोकतंत्र निभाना 
व्यक्तिगत भी |

* हो गया पूर्ण 
संशय विहीन मैं
संग विश्वास |

* मैं जब तक
सशंक , तब तक
खूब रहता |

* दुहराता हूँ
बार बार  , तुमसे 
करता प्यार | 
  
* धराशायी मैं
ख़ुशी है मुझे कि मैं
हवाई नहीं |

* मार्निंग वाक
आमाशय निर्वात
दोस्तों से बात |

* वह बेचारी
वह भी तो बेचारी
सब बेचारी |


* झटके से ही
टूटेंगी रवायतें
गैर इंसानी |

* पेशाब को भी 
दीवाल का सहारा 
चाहिए होता |

* पहले  छोडो  
कुछ पाने की इच्छा
तब न पाओ |

* भ्रमित ही हैं
हम जो क्रांतिकारी
हैं कहलाते |  

* ऊँचे से ऊँचा
और ऊँचा ही ऊँचा
दिल करता |

* सरलता ही
मूल वैज्ञानिकता
सच्चाई यही |

* अंगूठा टेक
होना बेहतर है
कुपठित से |

* महासंबंध
शारीरिक संबंध
तब आत्मिक |

* एक तरफ
बेरोज़गारी दूजे
श्रमिक नहीं |

* प्रथम ध्यान
अपने काम पर
फिर चाहे जो  |

* वह रोता है
वहां इंसानियत
है आदमी में |

*कुछ न कुछ
कमी लगी रहती
घर गिरिस्ती |

* माफ़ करना
हैसियत नहीं कि
बात करूँ |

* बहुत हुआ
तुम आओ तो आओ
या नहीं  आओ |

* वह माता है
बकरे की कितनी
खैर मनाये  ?

* नियम था तो
पालन हो भी गया
अन्यथा नहीं |

* विरोध दर्ज
करता हूँ अपना
तेरे विरुद्ध |

* सब कहते
तुम क्यों कहते
पीना छोड़ दो ?

*संयत करो
अपने आप को
विवेक आये |

*योजना बढ
कर्म प्रवृत्त हुआ
सफल हुआ |

* मेरा दुश्मन
मेरा हंसोरपन
हल्का बनाता |

* नहीं मिलते
नौकर ,ढूंढने  से
साथी मिलेंगे |

*डर न होता\
कानूनी कार्वाई का
तो मर लेता |

*दुर्घटनाएं 
दूसरे की गलती 
से भी हो जातीं |   

*किसी के साथ
नहीं रह सकता
मैं , मैंने पाया |

* गलत हुआ
नहीं , सही तो हुआ
यही तो हुआ |

* पुरुषों को ही
अच्छा लगता है क्या
काम -कलाप ?

* सब सही है
पर पैसे की दोस्ती
नहीं जी नहीं |

* आँखों में देखो
तो आँख मार देगा
कोई पुरुष |

* रोना या रोना
स्त्री का मतलब है
केवल रोना |

* मिल पाने के
कोई आसार नहीं
अब सोता हूँ |

* लिखते जाओ
कोई फायदा नहीं
फिर भी है तो |

* कौन साथी है
हिम्मत के अलावा
भला दुःख में ?

* केवल सुनो
किसी की कोई बात
मानो तो गुनो |

* सोचता जाता
हाइकु बनी जाती
पूरी जिंदगी |

* कभी नहीं थे
इतने महान तो
आदमी लोग |

* लड़ जायेंगे
दिन इन चिकनी
पत्रिकाओं के |

* दादा हैं दादा
तो दादा की मर्यादा
निभानी होगी |

* बंधा हुआ है
शेर , चिंता न करो
पिंजरे में है |

* दकियानूसी
पकड़ मजबूत
परंपरा की|

* दिमाग तो है
लेकिन बहुत ही
शातिर वह |

रविवार, 1 मई 2011

अप्राकृतिक मन का खेल

* एक विचित्र वार्ता मन में उभर रही है | मेरा ख्याल है कि किसी के द्वारा यदि बता दिया जाय कि अमुक कार्य अप्राकृतिक है , और वह व्यक्ति उसे मानना स्वीकार कर ले तो वह उसके लिए सचमुच  अप्राकृतिक हो जायेगा | उदाहरण के लिए यदि आप समलैंगिकता को अप्राकृतिक समझते हैं , तो विज्ञानं दर किनार , उस से आप का मान विरत हो ही जायगा | यहाँ तक कि यदि आपको नितांत स्वाभाविक बुराई - पर स्त्री (पुरुष) गमन / आकर्षण को अप्राकृतिक बता दिया जाय तो आपका मन इसमें नहीं लगेगा | मांसाहार - मद्य पान गलत है यदि आप के मन में बैठ गयी तो आप उसका भी सेवन नहीं करेंगे | और तो और , यदि स्व-स्त्री- संसर्ग भी सत्य से प्रयोग के लिए उचित लगे  और यह बात गाँधी जी की तरह आपकी अक्ल में बैठ जाय, तो आप यह भी करने लगेंगे |  
                इसी तरीके से आप शुभ कार्यों से भी बच सकते हैं , जैसे राष्ट्र भक्ति , धर्म  निरपेक्षता , यहूदियों ,मुसलमानों ,अंग्रेजों ,अंग्रेजी भाषा से प्रेम , दलितों से बराबरी भी यदि आपको बेहूदा  बात के रूप में रगड़ -रगड़ कर समझा दिया जाय तो आप ऐसा व्यवहार भी करने लगेंगे | कहा है न , मानो तो देव , नहीं तो पत्थर | आदमी के मानने के कारण  ही पत्थर देवता बना हुआ है अन्यथा वह सचमुच तो पत्थर ही है | इसी को मैं "मान्यतावाद " के रूप में मैं व्याख्यायित करता हूँ | वैज्ञानिक सोच , सत्य का शोध वगैरह मुझे निष्फल प्रतीत हो रहे हैं | आदमी जो मान ले वाही सत्य ,वही वैज्ञानिक है | इसलिए मैं मनुष्य की मान्यता बनाने , बिगड़ने , फिर बनाने पर ज्यादा मुनहसर रहता हूँ |      
                                             इस सिद्धांत के आधार पर जनतांत्रिक मूल्यों में जनता का प्रशिक्षण , उसे रटा -रटा कर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की योजना के अनुसार लोकतंत्र में दीक्षित कर देश का महान - महत्व पूर्ण नागरिक बनाये जाने की महती आवश्यकता है | इसी पद्धति से उसे ऐसा बनाया जा सकता है |
मुझे कहने में दुःख तो है पर कोई संकोच नहीं, कि उसे ऐसा बिल्कुल लोकतान्त्रिक तरीके से ,आज़ादीपूर्वक उसे खुला छोड़कर , उसके विवेक पर छोड़ने से नहीं किया जा सकता | निश्चय ही वह conditioning  होगी , लेकिन इसके अलावा  और कोई चारा नहीं है यदि हम सचमुच उन्हें "आदमी " बनाना चाहते हैं | वर्ना धार्मिक -साम्प्रदायिक शक्तियाँ ,साधू -संत , मौलवी -मौलाना जन तो उन्हें अपने -अपने अनुकूल उपयुक्त सांचे में ढालते जा रहे हैं और हम स्वतंत्रता वादी  लोग उसमे स्वविवेक जागने की प्रतीक्षा में सृष्टि  और मानव सभ्यता का अमूल्य  समय नष्ट कर रहे हैं | अब ,समय की पुकार न सुनने वालों का पराजय तो सुनिश्चित भी है न !

1/5/11 To ANNA_BANNA

               * [उवाच]
* महाप्रलय आता है तो आ जाये | फिर ईश्वर और देवी - देवता भी तो समाप्त हो जायेंगे  !

       *जन लोकपाल   बिल  Drafting  committee  ke  सिविल memberan  ka  कुछ मानदेय , यात्रा भत्ता ,दैनिक भत्ता आदि कुछ तय हुआ या नहीं , इसकी मुझे चिंता सता रही  है | ##

*भ्रष्टाचार का  पानी बहुत डूब कर पिया जाता है | कहाँ तक पीछा करोगे पीने वालों का ?

*ANNA_BANNA=28/4/2010. Anna Hazare bahut chhota kaam kar rahe hain ,desh ke “wealth” ko bachane ka | Aur maze ki baat unka agla aage ka kaam ho sakta tha desh ke “Health” ko bachane , pusht karne ka | Is mudde par unka vyavhar ulta hai | Anna ji ko hum kya janen par unke saathi tamam civil activists un naxalvadiyon/Maovadiyon ke samarthan me hain jo desh ke swasthya ka nar sanghar kar rahe hain  | par hum to  desh ke “character” ko bachane ka kaam karte hain | kyonki ydi yeh chala gaya to samjho sab chala gaya |wh kahavat yaad rakhiyega –ki dhan[wealth] gaya to kuchh nahi gaya , swasthya [Health] gaya to thoda kuchh gaya , likin ydi charitra[character] ka ksharan hua to samjho sab kuchh chala gaya | Main galat kahun to bataiyega |- - - - - - - - - - -               
 - - -Billiyon ke bhagya se chheenka toota Anna ke karykram ke bahane unhe bhi kuchh kar dikhane , pakdaman batane ka mauka mil gaya | - - - - - - - - - - - - -chhatra- yuva bade utsaah me dikhte hai aur boorhe unse badi aasha aasha prakat kar rahe hain | Lekin unhe jan na chahiye ki jo log aaj bhrashtachar ke top par hain ve bhi apne samay me kam jawan nahi the | aur na kisi se kuchh kam parhe – likhe hain |- - - - - - - - - - - - - - - Anna ke andolan se khyal aaya ki PPP [public private partnership] model par desh ko chalane ki bhi kabhi naubat aa sakti hai , awashyakta pad sakti hai |Janta ko taiyar rahna chaihiye | Jis tareeke se azadi aayi , usi raste se azadi chali jayegi |  ###




                       * हाइकु कविता    
* गरीब  मुल्क
कहीं  गुज़ारा नहीं
गरीब का ही |
   
*भ्रष्ट नहीं है
भ्रष्टाचार में डूबा
हुआ है देश |

* आदमी देखो
कपड़ों ke  भीतर
ऊपर नहीं |

                # # #