फेसबुक ऐसी किताब है , जिसमे कुछ भी कितना भी लिखते रहिये , उसके कोई अंक , कोई मार्क्स नहीं मिलते | इसीलिये छात्र इस पर बिना पास फेल की परवाह किये खुलकर अपनी बात लिखते हैं | इसे कुछ लोग इसीलिये भड़ास की भी संज्ञा देते हैं | लेकिन वह होता है मौलिक अपने चरित्र में | निश्चय ही यह दूसरों के पोल खोलता है , लेकिन उसके पहले या उसके साथ अपनी सारी पोल खोल देता है | नग्न होता है यहाँ आदमी | नग्न आँखों से सबकी सारी नग्नता देखता है | फिर भी, चूंकि यह शब्दों के माध्यम से मूर्तन अवस्था में तो होता ही है , इसलिए यह लेखक को शर्मसार भी करती है | इसीलिये कुछ लोग जो ज्यादा खुलकर लिखना चाहते हैं , अपना चेहरा और नाम बदल कर इसके परदे पर आते हैं |
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