[ उवाच ]
* कोई सहारा नहीं होता तब आत्मविश्वास बढ़ता है |
* अपना भाग्य अपने आप झेलना चाहिए , किसी के मत्थे मढ़ना नहीं |
* क्या ऐसा हो सकता है कि खुदा , जुदा ही रहे ?
* विचारक को चिन्तक भी कहा जाता है | यदि चिन्तक के चिंतन में व्यक्ति और समाज की चिंता नहीं है , तो वह विचारक नहीं है |
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