मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

जनांदोलन

जनांदोलन के भरोसे विचार कर्म को नहीं छोड़ा जा सकता । आप तार्किक विचार देते रहें, जनांदोलन तो चुटकियों में हो जायेगा ।

कच्चा घड़ा

कच्चे घड़े से बलात्कार करने से बेहतर है प्यासा मर जाना !

शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

Downtrodden

दलित की परिभाषा में विद्वत्जन बिलावजह दलन आदि शब्द छानते हैं । दलित का अंग्रेज़ी में अर्थ है - The Downtrodden. बोलने में भी वैसा ही ध्वनित होता है । दलितजन !

अंतिम मार्क्स

मेरा कम्युनिज़्म से क्या सम्बन्ध ? मेरा आग्रह केवल यह होता है कि सब कुछ सोच लेने के बाद अंत मे निर्णय इस बात पर गौर करने के बाद ही लिया जाय कि इस प्रश्न पर मार्क्सवाद क्या कहता है । और मार्क्सवाद भी क्या ? जैसा कि लेनिन खुद कहते हैं - यह नहीं ढूँढना है कि अमुक समस्या पर मार्क्स ने क्या कहा है ? बल्कि यह छानना है कि मार्क्स होते तो इसका क्या हल सोचते, निकालते, बताते ? अब आज के मार्क्स तो आपही हैं न ? यही मेरा मार्क्सवाद है ।

गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

गरीब स्वर्ग दिलाता

ग़रीब न हों तो बहुत से लोगों का स्वर्ग बिगड़ा जा रहा है !

न्योते

मैं सोचता हूँ, सामाजिक और राजनीतिक। सम्बन्ध यदि पारिवारिक संबंध न बनें तो ही अच्छा । कितनी शादियों में शामिल हों ? किन किन को घर दावत पर बुलायें ?

वहशी

आपको संदेह ही तो हो , मुझे कोई संदेह नहीं कि धर्म आदमी को सनकी और वहशी बनाता है ।

किसको किसको

मेरे पास एक और तरीका है नास्तिक बनाने का । समझ लो मैं आस्तिक तो बनना चाहता था । पूर्ण आस्तिक, पक्का और वाकयी ईमानदार आस्तिक । तो जब ईश्वर को मानता तो अल्लाह छूट जाता, जब अल्लाह को मानता तब गॉड छूट जाता । जब राम को मानता तब मोहम्मद छूट जाते, जब मुहम्मद को मानता तब ईसा छूट जाते । इसलिए सोचा, बेईमानी न करूँ, न इनको मानो, न उनको मानो, न किसी को मानो । और इस तरह सब छूट गए ।

मन उचटा

मेरी नास्तिकता का कारण यूँ समझिये कि मैं पूजा पाठ कर नहीं पाता था । समय नहीं मिलता था और रुचि भी नहीं रह गयी थी । मन उचट गया था इससे । तो फिर ऐसे सम्बन्ध को क्या पालना जिसे निभा न सको !

बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

चीन को जाओ

युद्ध के वक़्त तो हथियार बाहर से भी मंगाने ही पड़ते हैं । इस दौरान कुछ घोटाले भी हो जाते हैं ☺, तो क्या !
इन औजारों में पहले तो है शिक्षा । वह क्या तो कहा है कि ज्ञान के लिए चीन भी जाना पड़े तो जाओ । फिर जब चीन, रूस जा ही रहे हो तो वहाँ से कम्युनिज़्म भी आयात कर लाओ । यह दूसरा हथियार है वर्ग युद्ध का ।

आखिर जीवन

थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि आप दलित नहीं हैं । वैसे भी कितने दिन दलित रहना ही है ! यह आरक्षण, दलितपन बस कुछ ही दिनों के मेहमान हैं । यह अस्थायी स्थिति है । इसलिए इस आंदोलन को बहुत लंबा नहीं खींचा जा सकता, भले समय कुछ ज़्यादा लगे । लेकिन साम्यवाद तो मनुष्य की मानुषिक जीवन की स्थायी प्रवृत्ति है ? दलित न होकर भी साम्यवादी होना, समाजवादी जीवन जीना है । तो क्यों न अभी से अभ्यास करें, उच्चतर जीवन मूल्य और उसके लिए संघर्ष की ?

आँतें

अब इससे ज़्यादा इस शरीर की सेवा करना मेरी ज़िम्मेदारी नहीं । इसका पेट भरना भर मेरा काम था । आँतें कुछ रोज़गार के लिए कुलबुला रही थीं, तड़प रही थीं । मैंने इनमें कुछ दाने डाल दिये, - लो चबाओ, पीसो इनको और चुप रहो । बस, इससे ज़्यादा नहीं । मुझसे यह न होगा कि मैं इसके लिए अच्छे कपड़े, कोई घर, कोई गाड़ी, कोई भली सी बीवी लाकर दूँ । दूँ, तब भी तो यह संतुष्ट न होगा । और और माँगता रहेगा । कहाँ तक मैं इसकी ख्वाहिशें पूरी करूँगा । इसलिए इसकी आँत भरने के अलावा मैं इसकी कोई ज़िम्मेदारी अपने सर नहीं लेता ।

सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

वैज्ञानिक हिन्दू मुसलमान

वह तुमसे चंदा लेने आएँगे
तुम कुछ नहीं होगे, धर्मविहीन होगे
तो दे ही डालोगे कुछ रुपये
मंदिर मस्जिद के नाम पर मानवतावश,
नहीं तो तुम कहोगे - हम वैज्ञानिक हैं,
हम नहीं देते इन सब कार्यों के लिए चंदा ।
(वैज्ञानिक समुदाय, Scientific Community)

वैज्ञानिक हिन्दू

वैज्ञानिक हिन्दू और वैदिक हिन्दू में फर्क़ करना पड़ेगा ।

अम्बेडकरी हिन्दू

अब देश का और क्षरण रोकने के लिए अम्बेडकरी हिन्दू को चाहिए कि वह हिंदुत्व को मनुवादी, सनातनी, पाखंडी, पोंगापंथी हिंदुओं से छीनकर भारत के हिंदुत्व पर कब्ज़ा कर लें ।
मुश्किल नहीं है । मन बनाने की बात है । मैदान यह कह कर छोड़ना नहीं है कि हम हिन्दू नहीं हैं , तब तो वह और शेर हो जायेंगे । कहना होगा कि हम नास्तिक, प्रगतिशील, सेकुलर, बौद्धिक, विचारशील, अभी तक के पिछड़े दलित ही असली हिन्दू हैं । तुमने तो बदनाम किया देश की संस्कृति को । यकीनन यह धार्मिक आंदोलन होगा, आम्बेडकर के आगे, उन्हीं के रास्ते, आत्मसम्मान हेतु ।

बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

प्रेमी

धोखे खाकर भी जो
प्रेम रखे जारी,
तब तो वह प्रेमी
अन्यथा व्यापारी ।

रविवार, 4 फ़रवरी 2018

अकेला

कोई आदमी अकेला नहीं होता । जिसे आप अकेला देख रहे हैं, उसके निकट कोई बहुत विश्वसनीय साथी बगल में अदृश्य बैठा होता है ।

निराशा

मुझे लगता है, मुझे वर्ग संघर्ष और सर्वहारा की तानाशाही की उम्मीद छोड़नी पड़ेगी । क्योंकि दलित जातियाँ अपनी अस्मिताएँ त्यागकर वामपंथ का वर्ग बनने को तैयार नहीं, और कम्युनिस्ट आंदोलन अपनी परिभाषा झुकाकर दलित को वर्ग मानने को उत्सुक नहीं !

अनुशासन

कई बातें, अच्छी तरह मालूम होने के बावजूद खुलकर नहीं कही जा पातीं । खुलकर कही भी नहीं जानी चाहिए ।