गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

बुद्धिमत्ता संस्कृति

" अपनी मूर्खता का बुद्धिमत्तापूर्वक प्रदर्शन  ही संस्कृति है  | " 

Indian Religion

भारतीय धर्म 
भारतीय  होना सिर्फ राजनीतिक पहचान नहीं होना चाहिए | इसे भारतीयों का धर्म होना चाहिए , जिसमे सभी धर्म 
सम्मिलित भी हो सकते हैं और बहिष्कृत भी \ तभी वास्तविक सेकुलरिज्म आएगा |
=================
मानसिक बनावट
धर्म एक मानसिक मेक अप है |यह पूरा हो चुका है तो आप के लिए धर्म ज़रूरी लगेगा | नहीं हुआ है तो धर्म के बगैर भी काम चल सकता है | 
  ======================
दूर से प्रकृति , नजदीक से ईश्वर
ईश्वर कि अनुभूति नजदीक से अपने शरीर द्वारा ही प्राप्त होती है | शरीर की संरचना , उसका  काम -काज ध्यान से
देखें तो ईश्वर की करामात का अनुमान लगता है | दूर से पेड़ -पौधे , हवा -पानी , नदियाँ - पहाड़ देखो तो उसे प्रकृति
कहकर टाला जा सकता है |
=======================
आस्था अटल नहीं  
                                  आस्था कोई ऐसी चीज नहीं जो अटल , अजर ,अमर ,चिरस्थायी और अपरिवर्तनशील हो |
राजनीति के तहत लोगों ने इसका इतना मन बढ़ा दिया है की यह लोगो के सर पर चढ़ नाचने लगी है , और
मनुष्य की आत्मिक - वैचारिक क्षमता को कमतर आँका जाने लगा है | वर्ना आस्था - विश्वास यदि इतना ही ज़रूरी ,प्राकृतिक और चट्टानवत होता तो ऐसा क्यों होता कि बगल के , पड़ोस के या परिवार के ही विभिन्न जनों की आस्थाएं अलग -अलग प्रकार की , अलग -अलग मात्राओं  में होती | बल्कि हिन्दू -मुसलमान की आस्थाएं इतनी
विपरीत न होतीं | ज़ाहिर है यह सब दिमागी बनावट का खेल है | आदमी को खास विचार में ढाला जाता है , माँ - बाप - परिवार द्वारा समाज द्वारा ,और फिर अब तो राजनीति द्वारा भी | अपनी आस्था , अपने विचार व्यक्ति बदल भी सकता है , नए निजी  विश्वास पाल सकता है , या अंधविश्वासों से मुक्ति पा सकता है | आस्था कोई पत्थर पर लकीर नहीं |
[ ugranath nagrik srivastava = 31/12/2010] MOB=09415160913, Email=priyasampadak@gmail.com ]   

बुधवार, 29 दिसंबर 2010

निष्ठुर निर्धनता

१ - इतना ज्यादा मैंने अपने बच्चों के लिए नहीं किया है कि मेरे बच्चे मेरे लिए इतना ज्यादा करें !

२ - निष्ठुर निर्धनता
                                       गरीबी ने मेरा पद , पहले अवर अभियंता फिर सहायक अभियंता , देखकर भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा | वह निडर निश्चिन्त मुझसे चिपकी रही |

करेला और नीम चढ़ा 17

१ - करेला , और नीम चढ़ा
उसमे भी कीड़ा पड़ा |--
-----------

२ - दुनिया न होती तो क्या होता
न वह होती , न वह होता |----
----------

३ - सूरज डूब गया , ठंडक बढ़ि आई |
      मनई के देहिन पर कप्दन चढ़ि - चढ़ि आई |  

४   - आज  भी भोजन क्षुधा को मिल गया ,
या खुदाया फिर तुम्हारा शुक्रिया |

==========================

५  -   थोड़ा दोष मुझे भी देना दुनिया नर्क बनाने का
         थोड़ा श्रेय मुझे फिर देना दुनिया में सुख लाने का  |

६  - यदि आप किन्ही रोज़ नाशिस्तों में जायंगे
       तो आप नाशिस्तों में बुलाये भी जायंगे |

७  *   उसने मुझे फँसाना चाहा ,   मैंने फँसना चाहा   ..

 ८ * बहुत गहरे जम गयी काई  . .  .

९  *  तुम कहते हो कोई नहीं था ,
    रोया अतिशय लेकिन वह तो .....

१०  - ऐ हवा मेरे संग - संग चल
      ऐ फिजां मेरी हमवार बन | _ -- - -

११  * - ग़ज़ल
रदीफ़  = पहले के ज़माने में 
      ऐसा  कहाँ होता था  पहले के ज़माने में ,
      ऐसा  नहीं होता था  पहले के ज़माने में |
 
           जो सूख गयी दरिया , सूखेगा समंदर भी
          कुदरत के फिक्र्दान थे , पहले के ज़माने में }

      कहता था वही करता , करता वही जो कहता  ,
      होता था  कोई  संत जो  पहले के ज़माने में |
               ====== 
१२ -   नहीं संभव , नहीं संभव , नहीं संभव , नहीं संभव ,
     जो तुम कहते हो , वह इस देश में कतई नहीं  संभव |
         ======
१३      तब तो नहीं लगी थी  लेकिन  अब आकार वह लगी ,
        =======
१४ -    शमा  की  तीरगी  को  देखा  है ,    
      मुझे  मत  ले  चलो  उसके  नीचे  |
        =======
१५ -    फूल जो तुमने फेंका उस दिन  तीर समान  लगी   |
===========

१६ -    जैसे -जैसे हो रही दुनिया हमसे  दूर 
        कहें नागरिक हम हुए  चिंतन को मजबूर   |
        ======
१७ -   सोच रहा है वह दुनिया के बारे में ,
      दुनिया है उसके बारे में  सोच रही |
     क्या होगा अब उसके पुत्र -पुत्रियों  का ,
     उसकी पत्नी  निज नसीब  पर झींक  रही || 
====================








लाल - हरा आतंकवाद

1 - I am a thinker . I do not think .

२ - जिसे आप शिक्षा कहते हैं उसे मैं सूचना कहना चाहता हूँ | बच्चों को मैं सूचना ही देना चाहूँगा | शिक्षा तो धर्म की दी जाति है | विज्ञान की जैसे शिक्षा हुयी , वह अवैज्ञानिक हुआ  | 

३ - इसमें क्या गलत बात है कि हिंदुस्तान में हिन्दुओं को विशेषाधिकार मिलना चाहिए !

४ - महत्वपूर्ण वे होते ही है जो निर्णय लेते हैं | इसीलिये राष्ट्राध्यक्षों की  सुरक्षा के विशेष प्रबंध होते हैं |

५ - भगवा आतंकवाद राष्ट्रीय मसला है , लाल -हरा आतंकवाद 
अंतरराष्ट्रीय |

Polymedical

जैसे इंजीनियरों की कमी पूरी करने लिए पोलिटेक्निक स्कूलों में डिप्लोमा कोर्स चलाया जाता है , वैसे ही आधे डाक्टर बनाने के लिए पोलिमेडिकल स्कूल खोले जाने चाहिए | ऐसे ट्रेंड डाक्टर झोला छाप डाक्टरों से zyada  kushal  to  honge  |

Do kavitayen

१ - ईश्वर के होने
और ईश्वर के
न होने के बीच भी
आदमी को तो
होना ही चाहिए |
=========

२ - शम्बूक ही नहीं
हर कोई मारा जायेगा
जो ब्राह्मण का काम करेगा
पाँच हजार साल पहले या
दो हजार पचास में |

एकलव्य भी
ब्राह्मणवाद से ग्रस्त था
जब गुरुदक्षिणा
देने को आतुर था
तो अंगूठा दे दिया
स्वयं काट कर |
गुरु ने उसका अंगूठा
नहीं काटा था
उन्होंने माँगा भर था ,
पर मांगना तो
उनका काम ही था
ब्राह्मण को धन
केवल भिक्षा |
===========

नई टिप्पणी

नई टिप्पणी
१ - लोग कुछ पाने के चक्कर में रहते हैं | जब की असली काम तो है खोना , को देने का -  अपना नाम , अहंकार ,
धार्मिक - सांस्कृतिक अंधविश्वास , अज्ञान | जाति क्या कुछ कम छोड़ने की चीज़ है ?

२ - आप समाजवादी हैं , वह भी वैज्ञानिक | मैं व्यक्तिवादी हूँ , वह भी अवैज्ञानिक |

३ - धर्म नहीं , संस्कृति लिखा जाता है अभिलेखों में | धर्म तो प्रौढ़ता के बाद तय किया जाना चाहिए |

४ - जब तक बहुत ज़रूरी और कोई बहुत बड़ी मजबूरी न हो , घूस का पैसा न लें |

५ - [निबंध ] गाय एक पालतू जानवर है || आदमी कोई पालतू जानवर नहीं है |

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

Rich Minority and real expression

Here is a report from FRIDA LASKI memorial lecture by Shri Satya P. Gautam , V.C., MJP Rohilkhand
University on 27, Dec 2010 , at Lucknow :-

"The richest 50 individuals in the world have a combined income greatest than that of the poorest 40 crore
people. "
            Now here , can I be allowed to say satirically that how minority these 50 persons are in ? And still we are not sympathetic to them .
In this way , a single lion or elefant can not be treated in minority against thousands of goats or sheep.

     However , I raised the matter of injustice being done on children and thereby to the civilisation by
lebelling the child with a certain religion from the time of their birth which they should be able to choose
or unchoose after attaining adulthood. But my voice went in vain.
====================
Secondly a thought came into my mind while reading Matt cherry on the right to freedom of belief and
expression in Humanist Outlook Summer 2010.
 I think that the real misuse of freedom of expression lies in dissemination of false , ungrounded , unscientific religious thoughts and messages simply on the basis that it has come from  some supernatural source, a spirited sage or a sacred book.
Heresaying is real blasphemy to human wisdom and knowledge. Whereas saying NO , NO and NO is no
defamation to real religion. I may be wrong in my approach , but it is so.

बहाने से प्यार , कविता

कविता -

बहाने से प्यार

मैं  जानती  हूँ
तुम बहाने  बना रहे हो
मुझे छूने का -

"यह तुम्हारे हाथ पर
कालिख कैसी लगी है?"

"पांवों  में बिवाईयां
ज्यादा फट गयीं हैं,"

"बाल,देखो , कैसी तो
लटियाई हैं,"

"गालों पर झाँयीं
विटामिन की कमी है - --"

----और तुम छूते हो |
मुझे  जगह  जगह  |

अच्छा लगता है

मैं चाहती हूँ कि
तुम मुझे  छुओं
सचमुच , लेकिन
बहाने से छुओं

मैं  बिल्कुल   चाहती हूँ
तुम मुझे प्यार करो
लेकिन इज्ज़त के साथ | |
============

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

Culture will prevail

 * न विज्ञान से , न धर्म से चलता है समाज | चलेगा तो वह

संस्कृति से  जिसमें  यथार्थ और कल्पना , पदार्थ और चेतना ,

बुद्धि और हृदय  साथ चलते  हैं 

[ नागरिक , २२/१२/२०१० ] 

रविवार, 19 दिसंबर 2010

नई टिप्पणी

 झूठी इज्ज़त
करोडो का महल बनवा लिया तो इसमें   सच्चा मान- सम्मान है , और लडकी घर से भाग गयी  तो यह झूठी इज्ज़त है   ?

विद्रोह  बनाम आतंक 
अफगानिस्तान - पाकिस्तान में इस्लामी जेहाद आतंक नहीं , विद्रोह है | भारत में इस्लामी जेहाद आतंक है | यहाँ उसे विद्रोह की संज्ञा नहीं दी  जा सकती  | इसी प्रकार , भारत में कथित  भगवा आतंक आतंक नहीं , हिदू विद्रोह है | यही अगर वे पाकिस्तान में अंजाम दें तो वह निश्चय ही भगवा आतंक कहा जायगा | आतंक और विद्रोह देश - देश के अनुसार अलग - अलग परिभाषित होता है ||

आज़ादी का मतलब 
गुलाम भारत में जनता का कोई काम बिना सोर्स - सिफारिश -घूस के नहीं होता था , क्योंकि  तब विदेशी राज था और देश
आज़ाद नहीं था | अब अगर हर जगह नीचे से ऊपर तक जनता का कोई काम बिना सोर्स - सिफारिश -घूस के नहीं होता तो
फिर आज़ादी कहाँ है ? मेरी दृष्टि में तो आज़ादी का यही पैमाना घूम रहा है |

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

रूपये 5-45

५ रुपया  ४५ पैसा 

लखनऊ में थ्री व्हीलर ऑटो रिक्शा का किराया इस प्रकार निर्धारित है , जो बाकायदा हर गाडी की बाडी  पर अंकित है :-प्रथम कि. मी .का रु.५-४५ | उसके बाद ५०० मीटर व उसके भाग का २रु ६० पै | अब बताइए,  कोई कैसे सही पैसे
दे पायेगा | ऐसा किराया तय करने वाला कोई बहुत ईमानदार व्यक्ति  या संस्था होगी , पैसे पैसे का हिसाब रखने वाला | 

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

किसलिए खड़े

कविता
ठेले वाले घूम रहे हैं
कोई खरीदार मिल जाए
रिक्शा वाले चक्कर लगा रहे हैं
थ्री व्हीलर दौड़ रहे हैं
कोई सवारी मिल जाय
लेखक कवि परेशान हैं
कोई श्रोता ,
कोई पाठक मिल जाय
टी वी , अख़बार वाले ---
--समाचार मिल जाय ,
दिहाड़ी मजदूर
चौराहों पर खड़े --
कोई काम मिल जाय |
भला हम --
किसलिए खड़े हैं  ?
==============

साधारण हिन्दू मुसलमान

साधारण हिन्दू मुसलमान
साधारण हिन्दू मुसलमान सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं , क्योंकि वे ही ख़ास हिन्दू - मुसलमानों द्वारा ज्यादा इस्तेमाल होते हैं | खास लोगो के वश का कुछ न हो यदि ये आम लोग उनका काम न करें | हर दंगे -फसाद के ये भागीदार होते हैं | अयोध्या की मस्जिद इन्होने तोडी , वरना अडवानी -उमा भारती की तो साड़ी - धोती ही फंस जाती और वे धडाम से नीचे गिर जाते | साधारण पैंट -बुश्शर्ट वाले लोगों ने बड़ों की योजना में भागीदारी की | इन्हें आम आदमी कह कर उन पर दया नहीं की जा सकती | ये लोग ही बड़े दुष्ट लोगों का कहना मान कर उनकी योजनाओं को क्रियान्वित करके उन्हें
सफलीभूत बनाते हैं | अच्छा हो अब ये स्वयं कुछ ख़ास हिन्दू मुसलमान बन जांय |

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

chat and date

चैट  और  डेट

Thanks for using our chat messenger . Your service has been renewed for next 30 days . Rs 30.charged .
[ this is an SMS from 540004030 / dated 13.12.2010 / 05:23PM to my bsnl Mobile No-9415160913.]
महोदय ,
मैंने यह सेवा न किसी से मांगी न कभी इस्तेमाल की , पर ३०रु कट गए | सेवा समाप्त करने का भी कोई तरीका नहीं बताया गया | ऐसा लगभग हार महीने होता है | एक बार डेटिंग के लिए ३०रु काट लिए गए ,जब कि इस ६४ वर्षीय युवा के पास कोई नहीं आया डेटिंग पर | उसमे तो STOPDAT की भी सुविधा थी
पर भेजते रहिये sms वह not  sent ही होता रहा | धन्यवाद , बीएसएनएल और उसके किरायेदार आर्थिक अपराधी | बरक्क़त हो आपको मेरा हर माह ३०रु |  
[प्रिय महोदय]
========================================

8 G Scam

8 G Scam

आज 2G स्कैम पर बड़ी हलचल मच रही है | एक तो यह दूर की बात है , जो साधारण जनता के वश की बात नहीं | भारत को दूर से डफली बजाने में बड़ा मज़ा आता है | दूसरे यह कि इस पर चिल्लाने से
से बड़ा यश मिलता है कि देखो यह आदमी कितना भ्रष्टाचार विरोधी है , ज़ाहिर है ,बड़ा ईमानदार है | लेकिन मै पूछता हूँ , जो सड़क सड़क - गली गली स्कैम चल रहे हैं उनका क्या होगा ? क्या कारण है कि लखनऊ शहर में टेम्पो में पीछे तीन तीन के बजाय चार चार सवारियां बैठने लगीं धड़ल्ले से डंके की चोट पर ? ड्राइवर से बात करके देखिये वह क्या बताता है | और ज़रा विरोध करके दखिये , इज्ज़त बच जाय तो कहिये | क्यों हुवा और क्यों हो रहा  है ऐसा कि किराया भी बढ़ता रहता है पर सवारियों 
को न इज्ज़त मिलती है न सुविधा | अब तो अलीगंज से अमीनाबाद व महानगर से विकास नगर रूट पर भी जहाँ अभी तक तीन तीन सवारियां कायदे से बैठते थे , चार चार =आठ  सवारियां बैठने लगी  हैं | इससे तो हमारा सीधा वास्ता पड़ता है ! संसद को शून्य करने वाली पार्टियों की नज़र इन जैसी समस्याओं पर क्यों नह पड़ती ?
क्योंकि वे आम जनता की तरह जीते नहीं , सफ़र नहीं करते |
[ जनजीवन ]
================================================

स्फुट अशआर

       अशआर

गलत कहीं होता है सम्बन्ध भला कोई !

 शेर-
                 उतना बुरा न था
थोडा -बहुत पुराना था वह उतना बुरा न था
अब  जो थोडा नया  हुआ ,वह उतना बुरा नहीं ,
  

 शेर
मै सड़क को  छोड़ किनारे को लग गया
पीछे से मुझे आपने जो हार्न दे दिया  |

मैं हारना चाहता

मैं  हारना चाहता

नहीं ,
मैं जीतना नहीं चाहता
मैं  हारना चाहता हूँ
कोई मुझे जीत तो ले !

====== [ कविता प्रकार ]

हिन्दू सिकंदर

हिन्दू सिकंदर

यदि भारत के  हिन्दू को यह अहसास हो जाय , या उसे यह अहसास दिला दिया जाय कि  वह हिंदुस्तान का राजा है ,
तो मेरी कल्पना है कि वह भारत के मुसलमानों से वही व्यवहार करने लगे
जैसा सिकंदर ने पोरस से किया था | यानी जो व्यवहार एक राजा को एक राजा के साथ करना चाहिए |
और हिंदुस्तान की साम्प्रदायिक समस्या काफी हद तक सुलझ जाय |
========[राज विचार]

विज्ञानं को झटका / वन्दे मातरम / सेकुलर बॉस / विलक्षण धर्म


विज्ञानं को झटका
विज्ञानं   को  एक  झटका  तब  लगा होगा  जब  समाजवाद  वैज्ञानिक  हुआ   | एक  झटका  अब  लगने  वाला  है  जब  धर्म  भी   अपने  को  वैज्ञानिक  सिद्ध  करने  लगे   हैं  |

भारत  की  शर्त  
हिंदुस्तान  में  रहना  होगा  
वन्दे  मातरम  कहना  होगा  
यह  त्रुटिपूर्ण  शर्त  है  | वन्दे  मातरम  गा  देने  से  कोई  देशभक्त  नहीं  हो  हो  जाता  | लेकिन  जो  मेरी  शर्त  है  वह  ज्यादा  ज़रूरी  और  महत्व पूर्ण  है  |                                                                                                          
 भारत  में  रहना  होगा   -  समालोचना  सहना  होगा |  शास्त्रार्थ    भारत  की  परंपरा  है   | इसलिए  भारत  में  रहने  की  यही  उचित  शर्त  हो  सकती  है  | सारे  धर्मों  , सारे  वादों  को  तर्क  के  परीक्षण  से  गुज़रना  होगा  |यह  शर्त  लागू  न  होने  के  कारण  यहाँ  न  मुस्लिम  हिन्दुस्तानी  हो  पा  रहे  हैं  , न  हिन्दू  ही  | सब  अपनी  अपनी  आस्था  की  आंड  लेकर  हिंदुस्तानियत  से  बच  रहे  हैं  |

सेकुलर   बॉस
मैं  सोचता  हूँ  कि  यदि  मैं  राज्य  की  किसी  कुर्सी  पर  हूँ   तो  प्रबंधन  के  सिलसिले  में  मुझे मंदिर   मस्जिद  गुरुद्वारा  जाना  पड़  सकता  है  | पर  मैं  पूजा  –नमन  नहीं  करूंगा  | पोलीटीसियन  होने  के  नाते  मैं  किसी  की  आस्था   को  तो  चोट  नहीं  दूंगा  , पर  यह  कहकर  पल्ला  झाड़  लूँगा  कि  मुझे  मेरा  बॉस  इसकी  इजाज़त  नहीं  देता   |
विलक्षण
मुझे आज तक इस्लाम जैसा धर्म और ब्राह्मणवाद जैसा वाद कोई नहीं दिखा |

रविवार, 12 दिसंबर 2010

जिले का जमाई

[कथासंभव]
जिले  का जमाई
============ एक व्यक्ति अपनी पत्नी को  तलाक देना चाहता था | लेकिन उसने सोचा की पहले इसका काल्पनिक परीक्षण कर ले | वह अगला हफ्ता इस प्रकार जिए मनो उसका पत्नी से कोई सम्बन्ध नहीं है |
उसने ऐसा ही किया | पत्नी से कोई सम्बन्ध  नहीं रखा | पत्नी भी चुप रही | उसने समझा की वह सफल हो रहा है | वह तलाक दे सकता है |
   अगले दिन एक फोन आया - फूफा जी, अम्मा को फालिज का अटैक पड़ा है |
पत्नी को लेकर फ़ौरन वहां जाना पड़ा |
फिर सरहज की खबर आई कि उनके पिछवाड़े की ज़मीन पर किसी ने कब्ज़ा कर लिया है |
फिर बड़े साले का इसरार - आकर बिटिया की शादी तय करा दो |
पूरे सहालग ससुराल के जिले भर से न्योतों की भरमार रही |
उस नाई ने , जिसने उनका विवाह कराया था , अपने पुत्र को मेरे साथ कर दिया - इसे शहर में एक गुमटी करवा दीजिये |
पंडित जी ने लड़के के लिए रेलवे सर्विस कमीशन का फार्म भेजने का अनुरोध किया |
साढ़ू की लड़की का बगलोर में सेलेक्शन हो गया - मौसा जी हम को लेकर ज्वाइन करा आईये |
जवार के मरीज़ हमारे शहर में डाक्टरों को दिखाने आये |
गाँव भर के विद्यार्थी कम्पयूटर सीखने आने लगे |
वह व्यक्ति बड़े असमंजस में पड़ गया | किसको किसको  तलाक दे ? विवाह केवल पत्नी से हुवा होता तो वह उसे छोड़ भी देता | अब ससुराल के  पूरे गाँव , जवार , जिले को कैसे छोड़े ?
 ================================================           
  
 

Sahitya mein gaaliyan

साहित्य में गालियों की पैरवी
------------------------- यदि दैनिक जीवन व्यवहार में गालियों का प्रयोग नहीं करेंगे , छिनाल/ छिछोरा का उच्चारण नहीं
करेंगे तो फिर साहित्य में इन्हें कैसे लिखकर इनका सदपयोग किया जायगा ? और यदि गालियाँ लिखेंगे नहीं तो आप
राही मासूम रजा कैसे बन पायेंगे ?
*******************************

शनिवार, 11 दिसंबर 2010

दीन-दुनिया worldly matters /empty

१ - शादी - विवाह का कार्ड देना हो तो प्रगतिशील मित्रों को मत दो | वे बाल बिखराए , जींस झाड़े आयेंगे , आपस में झगड़ा करते हुए बारात की शोभा बढ़ायेंगे | ग्यारह रूपये व्यवहार तो देंगे नहीं , एक सौ ग्यारह आलोचना सुनायेंगे | कि यह कर्मकांड दकियानूसी था वह रीति - रिवाज़ गलत है , इत्यादि | आप की मानसिक परेशानी के सबाब बनेंगे ये | इनको अपने परिवार - समाज से दूर रखिये , तो सुखी रहिएगा |

===============The page goes bottom to top

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

खुदाई ही खुदाई/सांसद वेतन/आसान हिंदी Current matters

५ - दहेज़
जब लोग पैसे ऍन  -केन- प्रकारेण इकठ्ठा   ही कर रहे हैं , तो फिर दहेज़ क्यों न दें ? अलबत्ता इसमें
मारे वे जा रहे हैं जो पैसे इकठ्ठा नहीं कर रहे हैं |

४ - अयोध्या बंटवारा
हाई कोर्ट का बंटवारा न इनको मंज़ूर है , न उनको स्वीकार है | फिर भागें ये लोग यहाँ से | बवाल समाप्त हो | अब तो इन दो बिल्लियों के झगडे में बन्दर सरकार को पूरी रोटी खा लेनी चाहिए | 
३ - आसान हिंदी
खायेंगे  पियेंगे , फिर हगेंगे मूतेंगे | इस प्रक्रिया  को विज्ञान कभी बदल नहीं सकता |

२ * सांसद वेतन
अब चूंकि सांसदों ने केन्द्रीय सचिवों की प्रतिद्वंद्विता में अपने वेतन बढ़ा लिए हैं , केन्द्रीय सचिवों को चाहिए कि वे अपने वेतन घटाकर सांसदों के पुराने वेतन के बराबर कर लें | 

हाइकु
१ - लखनऊ में
खुदाई ही खुदाई
पड़ी दिखाई.
२ - थोड़ा , लेकिन
जाति में रहने दो 
अभी मुझको  .
यह तय हुआ ,
जाति में बने रहो
एक सभा में .

========================
page starts from here , bottom to top
------------------------------------------
~!@#$%^&*()_+

हाइकु किताब [Five] , 3 lines , 100 up

१०० - घूम रहा है
किसके मन में क्या
मुझे क्या पता   !                    !

९९ - कुछ न सोचो
आंख बंद कर लो
ध्यान लगाओ .

९८ - यह , कहाँ तो
पहुँचा है फकीर
लौटता  नहीं .

९७ - जीवन भाष्य
खेतिहर मनई
खूब  जानता
अमिताभ  बच्चन
जैसा किसान
कहने का आशय
नहीं है मेरा .

९६ - ज़रूरी नहीं
बोलना पटापट
चुप भी रहो .

९५ - लड़का होता
तो मुझसे लड़ता
ज़मीन बांटो .

९४ - दुर्घटना से
यह दुनिया बनी
बुरी घटना .

९३ - उपनाम तो
बेमानी  हो  जाने  हैं
किसी भी दिन .

९२ - कौन बड़ा है
कुछ तय नहीं है
कौन है छोटा .

९१ - धर्म , धर्म है
तमाम नाम , भ्रम
पैदा करते .

९० - किसके लिए
रुदन रत हूँ मैं
प्रथम प्रेम .

८९ - कुछ भी करो
कंडोम लगाकर
करो तो ठीक .

८८ - बहू जो आई
आ गया हाहाकार
हा- हा , हू- हू का ,

८७ - कभी कभी तो
इंसान होते  ही हैं
मुल्ला पण्डे भी .

८६ - अपने आप
समझें तो समझें
मैं क्यों बताऊँ .

८५ - दुनिया को   क्या
जानना पर्याप्त है ?
बिल्कुल नहीं .

८४ - बात  कहना
भी एक काम ही है
महत्व पूर्ण .

८३ पहले पार
छोटी -छोटी दूरियां
बड़ी बाद में |

८२ - बुलाओ मत
अपने में खोये हैं
महोदय जी |

८० - हो ही जाती है
शराफत प्रकट
बना कीजिये |

७९ - बैठ गए हैं
एक खूंटा पकड़
छूटें तो कैसे |

७८ - जैसा भी मैंने
जिसकी कल्पना की
वह हो गया |

७७  - इस शीशे को
साफ़ होना चाहिए
बाहर से भी |

७६  - यही दुनिया
सखि , पूरी दुनिया
और न कोई |

७५ - एवरी बोडी
इज इम्पोरटेंट
नन एलोन

७४ - हर आदमी
महत्वपूर्ण होता
हर आदमी  |

७३ - दूर रहते
कभी - कभी मिलते
प्रसन्न होते |

७२ - चोबीस घंटे
अन्ड़तालिस घंटे
में अंतर है |
[ bglr /kol ]

७१ - मात्र प्रेम से
चलती है जिंदगी
घृणा से नहीं |

७० - नहीं संभव
युद्ध निर्णायक हो
कोई भी कभी |

६९ - चलो इतना
बहाना तो बनाया
थोड़ा पीने का |

६८ - सही बात है
किसको फुर्सत है
जो हाल पूछे |

६७ - यह आदमी
कितना चालाक है
दुष्ट - दानव |

६६ - अपना ज्ञान
नहीं , निज स्वभाव
लिखते हम |

६५ - एक से एक
अनुभव बनते
राह चलते |

६४ - प्यार के किस्से
अजीब अजीब से
याद आते हैं |

६३ - खुश थे  हम
बहुत गरीबी थी
बचपन में |

६२ - तुम्हारी रजा
कोई क्या कर डाले
तब प्राप्त  हो |

६१ - सेक्स के पार
हुए सेक्स में डूब
जाने के बाद |

६० - सब तो किया
कुछ भी छोड़ा नहीं
जो कर सका |

५९ - बने न बने
बिगाड़ तो दिया ही
व्यवस्था को |

५८ - लालच जब
मन में ही नहीं है
तब फिर क्या |

५७ - समझनी है
बहुत करीब से
उनकी मंशा |

५६ - सरल ही हैं
समस्याओं के हल
हम समस्या |

५५ - झेलनी   तो है
प्रताड़ना  , सिखाते
हैं शिष्टाचार \

५४ - बुरे फल भी
लोक प्रियता के हैं
कष्ट कारक |

५३ - सवेरे चढ़ा
जो आँख पर चश्मा
शाम उतरा |

५२ - अंग्रेजी भी तो
साधारण भाषा है
उनके लिए |

५१ - प्रतीक्षा में है
सुपर मानव की
हमारा देश |

५० - जीने आया हूँ
सुन लीजिये  आप
मरने नहीं |

४९ - पानी के साथ
फेंके तो जा रहे हैं
टब के बच्चे |

४८ - मृत्यु होगी तो
जीवन के बाद न
अभी तो जिंदा |

४७ - जन्म दिन है
मेरा रोना  बिल्कुल
मना है आज |

४६ - भ्रम तो था ही
आप मेरे मित्र हैं
अब टूटा है |

४५ - आत्मा धिक्कारे
तभी बात बनेगी
न्याय आएगा |

४४ - सरकार से
मानता हूँ कि वह
सरकार हो |

४३ - इतना तो हैं
हम प्रगतिशील
हाथ मिलाते |

४२ - जो भी हो तो हो
देवी हो तो देवी हो
वेश्या तो वेश्या |

४१ - देवता नहीं
हैवान भी नहीं हूँ
तो आदमी हूँ |

४० - बड़े दबाव
मानव सभ्यता ने
झेले हैं , मित्र  !

३९ - संयोग वश
हम उनसे मिले
उनके हुए |

३८ - मित्रता  वश
चाहें हाथ थामो या
या गले लगाओ |

३७ - किस प्रकार
शरीर को बचाए
भीड़ में बेटी |

३६ - नहीं चलेगी
किसी भी आदर्श से
यह दुनिया |

३५ - दुर्घटना से
अभी तो बच गए
लेकिन फिर -- |

३४ - नहीं रहूँगा
हमेशा मैं अकेला
साथी आयेंगे |

३३ - हम न तब
जवान थे , न अब
कुछ बूढ़े हैं |

३२ - कोई एक हो
तो बताएं भी , यहाँ
तो अनेक हैं |

३१ - नाम  रहेंगे
जातियों  का  आभास
नहीं   रहेगा |

३० - दुनिया दारी
पालन करनी है
सही हो न हो |

२९ - देते रहिये
अक्ल नहीं आयेगी
इस लोक को |

२८ - यहाँ आये हैं
दूरसे चलकर
अब पहुंचे |

२७ - और क्या चारा
क्षमा के अतिरिक्त
या पाश्चाताप .

२६ -बात करके
अपनी जुबान क्यों
बिलावजह
खराब करते हो
अनावश्यक.

२५ - बिगाड़ दे जो
इतना भी क्या प्यार
माँ हो या बेटा .

२४ - हमने जाना
मन को मनाना है
कुछ पाना है .

२३ - अचंभित हो
सोच में पड़ गया
वह ईश्वर
देखकर आदमी
चकरा  गया  .

२४ - स्वर्ग होता या
नहीं होता , चाहता
हर आदमी .

२३ - थोड्रा  उत्साह
पहले ज़रूर था
अब नहीं है .

२२ - लो , मैं खुद ही 
कटघरे में खड़ा
हो  गया तेरे .

१ - निराश न हो
ज्यादा आशा न करो
यह भी तो है  .

२ - हर व्यक्ति का
गुज़र - बसर हो
ऐसा चाहिए
समाज , सरकार
मरे न कोई  .

३ - उससे होता
तुमसे न होता तो
मेरा विवाह  .

४ - अच्छा नहीं है
पैर छूना इतना
बुरा भी नहीं
पैर छूना इतना
रीति की बात .

५ - हुआ ही होगा
 हुआ ही होगा कुछ
दुनिया बनी .

६ - खाना मना है
 ऐसा नहीं है , बस
मन नहीं है  .

७ - कुछ नहीं हूँ
आद्यांत तुम्हारा हूँ
ऐसा समझो .

८ - वह करेगा
अपने ही मन की
निष्फल पूजा  .

९ - दूरी ही जानो
नज़दीकी नहीं है
यदि   उनसे

१० - हमें ज्ञात है
धर्म निरपेक्षता
का मतलब .

११ - आगे बनेंगे
नाटक कार , अभी
बाल बढ़ाए .

१२ - संभाल कर
कीजिये  आलोचना
कान न पके

१३ - धूमधाम से
हुयी थी मेरी शादी
तलाक़ हुआ |

१४ - मैं चल रहा
दवा चल रही है
श्वांस चलती .

१५ - जिसको तुम
लिखना कहते हो
लिखना क्या है |

१६ - छलावा ही है
यद्यपि वह भी तो  
लेकिन प्रिय |

१७ - बूढ़ों के लिए
कभी मत खरीदो
नयी रजाई |

१८ - इत्मिनान से
था ,हूँ और रहूँगा
सब स्वीकार |

१९ - कराहने से
दर्द कम होता है
मनोविज्ञान |

२० - स्थितियां  तो हैं
न सच बोलने की
न सुनने की |

२१ - दुखी करती
सच न बोल पाने
की मजबूरी |
  ===================c/o to pre no. 1
~!@#$%^&*()_+  THE END   .

हाइकु किताब [Four] , 3 lines , 100nos up


 

१०० -धर्म रहेंगे
ईश्वर भी रहेगा
अब बताओ .


९९ - स्वत्वाधिकार
कहाँ है किसका है
कोई बताये .

९८  - लगे रहो तो
मिल तो जाता ही है
कुछ न कुछ .

९७ - जन्म की जाति
मिटा तो नहीं पाए
भुला तो सके |

९६ - राजकुमार
सपनों का ढूढोगी
छली जाओगी |

९५ - मन कहता -
नेता क्या होता है जी
लेकिन होते .

९४ - जाड़ा न फिट
बरसात बेकार
गर्मी न ठीक .

९३  - प्यासे  रहोगे
प्यास  बढ़ाओगे  तो
प्यास मिटाओ .

९२ - नींद  आई  थी
तभी  सोया  था   मैं
अब  जागा  हूँ  .

९१ -थोडा   हँसने  
की  गुंजाइश रखो 
रोने  के  बीच .


९० - लौटे बराती
हारे हुए जुआरी
हम हो गए .

८९  - कोई भी बाप
पुत्र से संतुष्ट हो
संभव नहीं .

८८ - धार्मिक नहीं
धर्म में पैदा हुआ
बात ज़रूर .

८७ - खुश होने का
प्रयास करता हूँ
सफल होता .

८६ - सम्बन्ध रखो
परिवार न   छोड़ो
लेकिन तुम .

८५  - बोल लीजिये
बोलने की आजादी
खूब तो है न !

८४ - और न अब
जितना ठगा गया
वह बहुत .

८३  - गतिशील हूँ
प्रगतिशील नहीं
अतः बेकार .
 
८२ -संत तो हम
कि कोई जाना नहीं
हम संत हैं .

८१ - पूछना क्या है
सब तो प्रकट है
दाढ़ी  चन्दन  .

८० -  मंदिर नहीं
रह गए पवित्र
टूटें भी तो क्या !

७९ - लगता तो है
विचारक बड़े हैं
हैं भी या नहीं !

७८ - हर मंदिर
माथा  नवाने  योग्य
नहीं होता है  |

७७ - शादी करके
सहजीवन में हूँ
पत्नी के साथ .

७६  - प्रदर्शन था
वह कर दिखाया
काम समाप्त .

७५ - हम दुखी थे
हम दुखी रहेंगे
हम दुखी हैं  .

७४ - प्रश्न पूछता
उलझाने के लिए
जिम्मा आपका .

७३ - दुखी होने का
मन ही हो आता है
कभी कभी तो .

७२ - आते जाते हैं
तमाम तो विचार
ध्यान कैसे हो ?

७१ - सूनी बाँहों में
अकेले कैसे रहूँ
कोई नहीं है .

७० - आत्महत्या का
निर्णय क्या नहीं है
आत्मनिर्णय ?

६९ - अहंकार तो
कविता लिखने से
पहले आया .

६८ - कौन जानता
यह बुद्धू लड़का
बुद्ध हो जाए !

६७ - हमें पता है
कुछ छिपा रहे हो
वस्त्रों के पीछे

६६ - चाँद कमेटी
से पूछ लूं , तो तुझे
मैं चंद कहूं

६५ -  मेरी रचना
आप नहीं , आप के
बच्चे पढेंगे

६४ - मेरी रचना
आप की औलादों के
कोर्स में होगी

६३ - विचार होंगे
तो आप लिखेंगे ही
विधा कोई हो

६२ - विचार होंगे
तो कुछ भी लिखोगे
रचना होगी

६१ - गुस्सा होने से
फायदा नहीं होता
कभी कुछ भी

६०  - थोड़ा सा झूठ
ज़रूर है  इसमें
क्षमा योग्य है

५९ - धर्म संकट
इतना न आसान
परिवर्तन |

५८ - क्या कोई मूल्य
होगा आपके पास !
थोड़ा दीजिये |

५७ - खेल वही है
कलाकार बदले
क्या फर्क आया ?

१ - वही  औरत
रानी, वही औरत
मजदूरनी
२ - जानवरों में
सेक्स का आधिक्य तो
लक्षित नहीं
३ - बुद्धि बड़ी है
घूस, दहेज़ तर्क
से प्रमाणित
४ - क्या हो जायेगा
वह जो मिल जाये
 ज़रा देर में.
५ - परिसीमन
जागतिक संबंधों
में भी ज़रूरी
६ - कुछ संभव
न कुछ असंभव
बस हो जाये
७ - क्यों नज़रों से
गिरते हो दानिश
क्या करते हो
८ - कौन पकड़े
मुख्य मुद्दा तो यह
म्याऊँ का ठौर
९ - प्यार करना
औरतें जानती हैं
और छलना
१० - अपने बच्चे
केवल प्यारे बच्चे
अन्य के नहीं
११ - पहले कौन
पकड़ेगा अंगुली
यही झगड़ा
१२ - जो भी करेगा
शुरू, वही जीतेगा
स्त्री या पुरुष
१३ - पहले कौन
करे प्रारंभ, प्रेम
नर या नारी
१४ - सब की नहीं
अपनी रह चलो
युग को जीतो
१५ - ऐसा किया तो
बुरे फंस जाओगे
ऐसा न करो
१६ - छात्र एकता
छात्रसंघ, अर्थात
अराजकता
१७ -  बहुत पाया
इससे ज्यादा पाता
अपच होता
१८ - न हो तो न दो
लेकिन कभी जब
हो तो दे देना
१९ - हर एक को
पसंद नहीं आती
हर व्यवस्था
२० - अपना पादें
दूसरे हवा खोलें
बर्दाश्त नहीं
२१ - सभी हाइकु
तो जीवन दर्शन
 नहीं हांकते
२२ -बात कर लें
बात करके देखें
बात ही करें
२३ - गुंडागर्दी जो
नहीं  चल पानी थी
चल रही है
२४ - उतना ओशो
 नहीं बन पाया मैं
जितना वे हैं
  २५ - जाति सत्य है
जनगणना और
सत्य बनाती
२६ - उनको देख
फूंक सरक जाती
बास या पत्नी
२७ - अपना मत
बनाना पड़ता है
कोई न कोई
२८ - कहा  मुझसे
साम्प्रदायिकता ने
नेता मरें तो ....
२९ - मर जाएगी
साम्प्रदायिकता जो
नेता मरें तो
३० - बच्चों से बड़े
लोगों जैसी उम्मीद
क्यों की जाये
३१ - बाप का फर्ज़
बच्चे पालना, आगे
बच्चो की दया
३२ - तय करता
 मैं अपना एजेंडा
निज मन में
३३ - बोलता है जो
सब अहंकार है
सत्यार्थ नहीं
३४ - विषमता हो
पर प्रेम के साथ
तो चलेगा क्या?
३५ - प्यार!हाँ अच्छा
तो  लगता कहना
करना किसे?
३६ - निहित पक्ष
स्वार्थी शब्दावली को
मेरा प्रणाम
३७ - कई ढंग से
ढूँढ़ता हूँ आराध्य
पूजा प्रकार
३८ - कटु ज़रूर
सत्य से भरपूर
उसकी बातें
३९ - सजी संवरी
है इतनी  औरतें
किसके लिए
४० - आँखें फेर लो
तुम्हे नहीं पसंद
टी वी चलेगा
४१ - ge u rc

toku Fks u vc
dksbZZ cw<-s gSa
४१ - gjk vkrad
xs#vk Hkh vkrad
yky Hkh vkrad
४२ -  dgka rks tk;s
frjaxs ds e/; dk
lQsn jax
४३ -  yxrk rks gS
Ckktkj vkd"kZd
Qalrs ge
४४ -  eSa fdlh ls Hkh
[kq’k ugha gksrk gwaA
lrdZrk esa 
४५ - पीठ फेरना 
तो पड़ेगा मुझको 
आगे जो जाना 
४६ - यौन शुचिता
दिमाग से निकल
तो आगे बढ़ 
४७ - लंच बाहर 
डिनर घर में हो
विवाह संस्था
४८ - तिस पर भी 
जो मिल जाये खा लो
सिद्धांत यही
४९ -नहीं तो लेते 
प्यार बिना पीयर्स
बाप से बच्चे
५०- -हमको वोट 
जो देना चाहें] वे दें 
न चाहें]  न दें 
५१ - बाप का बोझ 
सच बोलूं] तो नहीं 
उठाया जाता
५२ - सारा साहस 
मिटटी में मिल गया
लक्ष्य पाकर 
५३ - पानी की धार
आश्चर्यचकित हो
देखता हूँ मैं
५४ - कितना सोचें
ख़त्म ही नहीं होता
कभी] सोचना
५५ - प्रेम करते
परवाह लेकिन 
नहीं करते 
५६ - प्रेम ज़रूर
लेकिन परवाह 
उतना नहीं

============= see 57 pre 1
THE END HERE

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

सोचना पड़ेगा [ points to ponder ]

४ -
-  आदमी मंदिर , मस्जिद , मूर्तियाँ बनाता  रहेगा | तब तक ,जब तक ,या तो उसे इनसे संतोष हो जाए ,या फिर वह इनसे ऊब जाए | अब यहाँ बीच में यह न टपकियेगा कि मस्जिदें मूर्तियाँ नहीं हैं !
 ===========================
२ - प्रश्न  = सावरकर क्यों सफल नहीं हुए , जिन्ना क्यों सफल हो गए ? ?
====================
३ - आपको एक जीवन मिला है  | ध्यान दीजियेगा , मैंने जी ..व ...न ..कहा है !
~!@#$%^&*()_+ 

गलतबयानी 11



११  - लोकतंत्र को ही आधार बना लीजिये  | यदि भारत का हिन्दू किसी मुसलमान को वोट न दे तो हम आप उसका क्या कर लेंगे ? जिस प्रकार पाकिस्तान में कोई मुसलमान किसी हिन्दू को वोट नहीं देता |

१०   --छिनाल होना स्त्री का जन्मसिद्ध अधिकार है ,और छिछोरा होना पुरुष का |

९ - धन्यवाद कहना होगा चोरों को जिनकी वजह से ताला आविष्कार में आया , और इसका व्यवसाय बढ़ा |

८ -वैसे तो इसमें  मेरी काबिलियत ही नहीं है,   लेकिन मैं सोचता हूँ की यदि मुझे लिखना आ भी जाए तो भी मैं क्रांतिकारी गाने न लिखूं | कारण यह है कि इन गानों का दुरूपयोग कथित क्रांतिकारी लोग बहुत करते हैं | वे क्रान्ति तो कर नहीं पाते या करना चाहते नहीं या करने कि क्षमता नहीं रखते , बस गला फाड़कर , ढपली बजाकर , नाच - गा कर
क्रान्ति के  दंभ में चकनाचूर होकर क्रान्ति कर्म की बड़ी क्षति करते हैं |

७ -  " एम. ए.  तो हैं ही | बस बीच में एल लग जाय तो एम. एल.ए. हो जांय   ! " 
या  फिर  भोपाल  गैस  कांड  की  बरसी  पर  जिसमे  भी  चार  छः  लोग  मरे  थे  , मुसलमानों  में  कोई  हलचल  नहीं  दिखाई  पड़ती , जब  की  6 दिस. बाबरी  बरसी  पर  वे  पूरे  देश  को  पुलिस  की  तैनाती  से  लबरेज़  कर  देते  हैं  ? इस  दुर्घटना  में  तो   कोई  मुसलमान  मरा  भी  नहीं  था  | बाबरी  मस्जिद  कोई  हिन्दुओं  का  सोमनाथ  मंदिर  जैसा   हो  गया क्या  ? हिन्दू  तो  चलिए  मूर्तिपूजा  के  लिए  चिर  –अपमानित  हैं , मुसलमान  कब  से  मूर्तिपूजक  हो  गए  ? क्या  उन  पर  भी  हिन्दुओं  का  भूत  सवार  हो  गया  ? क्या  वे  मुसलमान  नहीं  रह  गए  ?  मुसलमान  सामान्य  नागरिकता  में  क्यों  नहीं  आते  यह  दुखदायी  प्रश्न  है  |
 ६ - गंभीर  प्रश्न   
क्या  कारण  है  की  १९८४  के  दंगों  की  बरसी  पर  जिसमे  दो -  चार  लोग  मरे  थे  ,

५ - परधानों  की  एक  पचायत  ने  लड़कियों  को  मोबाइल  रखने  पर  रोक  लगा  दी  है  | उनका  आदेश  सही  है  या  गलत  ,यह   मैं  नहीं  जानता  | मैं  कुछ  कर  भी  नहीं  सकता  | उनका  सहयोग  मैं   इस  ऑफर  के  साथ  कर  सकता  हूँ  की  उन्हें  जब  भी  बात  करनी  हो  मेरी  मोबाइल  से  कर  लिया  करें  | उनका  कोई  पैसा  भी  खर्च  नहीं  होगा  और  चुपके  से  काम  भी  चल  जाएगा  |
४  - मैं ऐसा क्यों सोचता हूँ कि , अच्छे - भले भी मुस्लिम उम्मीदवार को दिया गया हर वोट इस्लामी राज्य के पक्ष में जा सकता है  ?

३  - हम कुछ लोगों के भाग्य ईश्वर ने तीन रूपये वाली use and  throw डोट पेन से लिखी | इसलिए हम कभी
किसी द्वारा use  कर लिए जाते हैं , कोई हमें  use करने के बाद  कभी  throw कर देता है |

२ - आदमी के लिए अकेलापन इसलिए भी ज़रूरी है जिससे वह स्वतंत्रतापूर्वक अपनी हवा निकाल सके  |

१  - मुग़ल / अँगरेज़  भारत में जब हिन्दुवों को उर्दू भाषा से कोई ऐतराज़ नहीं हुयी और उन्होंने उसे खूब अपनाया और
प्रयोग किया , तो अब आज़ाद भारत में किसी मुसलमान  / अँगरेज़ को हिन्दी भाषा से आपत्ति क्यों हो ?

==========    page starts from here / down to up side
~!@#$%^&*()

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

कथित कविता [contd.]

२९ -  
२८ -जब बूढ़ा पेंसन  पाता है तब बेटा उसे खर्चा क्यों दे ?

२७ - प्रेम ही नहीं
मुझसे घृणा भी
सुबूत है कि
आप मेरे हैं |
१ - हम बहस में
नहीं पड़ते
हम निर्णय करते हैं
और चल देते हैं |
                 ===
२ - चुटकी बजाते  ही 
हम  कुछ  कर लेते  ,
चलो चुटकियाँ बजाएं  |
                       ===
३ - अपनी सीमा समझ
मेरे पास आ
मेरे घेरे में
"आ ' जद ' में आ "
आज़ादी कहती  |
                   ===
४ -  कोई ऐसा विषय बताओ
जिस पर मैंने
कविता न की हो ,
तो उसकी
समस्या पूर्ति करूँ  |
                  ===
५ -  मैं कोई पदचिन्ह नहीं छोड़ता
छोडूंगा तो तुम
उस पर चलने लगोगे ,
अपने पैरों  पर चलो |
                 ===
-कहने से
पूरी नहीं होती
हर बात 
चुप  होना पड़ता है  |
                 ====
७ - अभी  बहुत  अच्छा  है
बहुत  हल्का  हूँ  मैं
मेरे  शव  को  मेरा  एक  पुत्र
एक   पुत्री   मिलकर
कब्र  में  डाल सकते  हैं  |
लेकिन  यदि
ज्यादा  मान  -सम्मान  ,
प्रतिष्ठा -पुरस्कार  का  भार
तमगों  का  बोझ
अपनी  देह  पर  लादूंगा
तो  मेरे  परिजनों  को
अतिरिक्त  मजदूर  लगाने  पड़ेंगे
मेरी  लाश  को  कब्र  में
आहिस्ता  उतारने  के  लिए  |
मौके  से  कहीं  मजदूर  न  मिले 
तो  कब्र  में  मजबूरन  मुझे
धक्का  देकर  डालेंगे
और  मेरे  शरीर  को  कष्ट  होगा  |

              =======
८ -  बहुत अच्छा , आप
खूब सुंदर तो लिख लेते हैं ,
मेरे जैसा टेढ़ा - मेढ़ा 
लिखिए  तो जानूं  !
      =====
९ -  हम  अजब  संकट  में हैं 
हम जिसको प्यार करते हैं 
वह अपने कुत्ते को 
प्यार करती है /
         =====
१० -  राजा से पूछो 
वह टोपियाँ सिलना 
जानता है या नहीं  !
[or  औरंगजेब को याद करो ,
और फिर अपने मंत्री ,
मुख्य मंत्री - प्रधान मंत्री से पूछो -
उसे टोपियाँ सिलनी
आती हैं या नहीं ? ]
        =======
११ -  हम उस दौड़ में नहीं हैं 
जिसमे तुम हमें 
असफल समझते हो  /
        ======
१२ -  सोच रहा हूँ अभी 
लिखने के बारे में 
सीख रहा हूँ अभी लिखना 
मेरे लेखक बनने की 
संभावना नहीं है /
       ======
१३ -  १५ -अगस्त
सोच रहा हूँ मुझे
कैसे मनाना चाहिए १५ अगस्त
आम आदमी की तरह
यह दिन भी " आया -गया हो गया " जैसा ,
या विशिष्ट बुद्धिजीवी की तरह -
"हाय -हाय क्या हो गया है लोकतंत्र को
इतनी समस्याएं आ गयी हैं
आज़ादी के बाद
कि कलम सूख गयी लिखते -लिखते
गला बैठ गया चिल्लाते - चिल्लाते
आँखें धंस गयीं मोटी -मोटी
किताबें पढ़कर " |
मैं विधान सभा की झांकी
देखने निकल पड़ा , और
रात भर रिक्शे वालों , मजदूरों '
के साथ वहीँ जी पी ओं
पार्क में पड़ा  रहा |
                       ==============
१४ -जंगल का मज़ा
इसी में है कि
शेर , शेर रहे
बकरी , बकरी रहे   |
                   ==========
१५  -  क्या  करें
उसे न आने दें
जो पैदा होना चाहता  ?
                =============
१६ -  सोचता हूँ कहीं
भ्रूण हत्या न हो जाये
ईश्वर की
जो पैदा होना चाहता है  !
                =============
१७ -  खुद थूको चाँद पर
और जब थूक
तुम्हारे ऊपर गिरे
तो तुम कह सकते हो
देखो मैं कितना बड़ा आदमी हूँ |
===============
१८ -  कोई सफ़र 
होता नहीं
कुछ पैदल 
चले बिना  |
========
१९ -  इजाज़त किसी को
नहीं है , लेकिन 
इजाज़त मांगता 
कौन है !   [ambiguous ]
==========
२० - आकर्षक पहाड़
आकर्षक
उन्नत उरोज |
==========
२१ -  वह करेगा
अपने मन की
करते रहो 
पूजा - पाठ  |
==============
२२ -  ईश्वर है तो 
उसका कोई 
मतलब भी 
होना चाहिए 
या यूँ ही 
जपे जायेंगे 
माला  , बजाये 
जायेंगे ढपली !
============
२३ -  चिंता छोडो 
          ----------
ज्यादा चिंता न करो भाई
बस अपनी रोटी और रोज़ी
का इंतजाम करो
और शान्ति से रहो |
रोटी के साथ शान्ति ही जोड़ो
रोटी के साथ कमल मत जोड़ो |
यह कमल- वमल का खेल 
राजा - रानियों का है 
और तुम राजा - रानी नहीं हो | 
जो तुम्हें कमल का वास्ता देते हैं ,
समझ लो वे राजा के आदमी हैं 
तुम्हे राजा की
लिप्सा में शामिल कर  
वे तुम्हे मरवाना चाहते हैं 
और राजा का राज्य 
स्थापित करना चाहते हैं |
वरना भला कमल 
तुम्हारे किस काम का |
शान्ति से काम लो और
रोटी का इंतजाम करो ,बस !
अपना जीवन सत्ता के खेल में मत गंवाओ |
लोकतंत्र के भ्रम में मत पड़ो
यह कभी नहीं होता , कभी नहीं होगा
बहुत शौक हो तो नेताओं के
चक्कर में पड़कर देख लो 
आता - डाल का भाव 
मालूम पड़ जायगा |
इसलिए , केवल आता डाल देखो 
और कायम रखो 
अपने तन मन की शान्ति 
अमन और चैन |
============================
२४ - कोई किस्सा
केवल आपका नहीं है
वह सबका है |
===============
२५ - कुछ डाक्टरों की पर्चियां
कुछ दवाओं की रसीदें
जांच की रपटें तमाम
मिलीं उसके बैग से
उसके मर जाने के बाद |
========================
२६ - मेरा प्रश्न है -
मुझे कविता
लिखनी ही
क्यों पड़ती है ?
=============
~!@#$%^&*()_+  THE  END    [ read 27 pre 1 ]
     

हाइकु भंडार [Three], 3 lines , 400 nos

१ संतोष धन   
है न मेरे पास, मैं
गरीब नहीं
२ मरना चाहूँ 
कोई क्या कर लेगा 
करे रिपोर्ट
३ फँसाता गया 
बाज़ार का चंगुल
नई पीढी को
४ अगन हो या
लगन हो तो बोलो 
आऊं मैं साथ
५ किससे करें 
कोई आदमी है क्या
दोस्ती  लायक 
६ जो मूर्खता की
पराकाष्ठा हो जाये
कोई क्या करे?
७ सत्ता की रान
 पर बैठ- चलाते
हुक्मरान   
८ एक जींस में
एक पूरी जिंदगी 
पार तो पार
९ अपने 'व्यक्ति'  से 
छुटकारा मिले 
तब न उठें!
१० सच में वह 
इतनी सुंदर थी
कि पूछो मत
११ गलती उनसे 
हुई तो क्या मुझे भी
दुःख नहीं क्या  ?
१२ सुंदर हो तो 
दिखो और दिखाओ
नहीं तो नहीं
१३ सभी तो हिन्दू
माथे पर सिंदूर है 
जनाना है क्या?
१४ द्विज- अछूत
गये दिन की बातें
अब तो नहीं
१५ लगाया मैंने 
स्वयम बबूल पेड़ 
तो फल खाऊँ  ?
१६ कभी कभी तो
आ ही जाती लालच
दुःख की बात
१७ बेंगलुरु में
एम् जी  मार्ग नहीं 
वहां रोड है
१८ सुनते और
सुनते रह जाते
बच्चों की बातें
१९ बेचारगी ही
चहुँ ओर  छाई है
तमाशा झूठा
२० ईश्वर नहीं 
तो भी तो उसकी 
हुई मान्यता
२१ कुछ जानता
कुछ नहीं जानता
काम चलता
२२ सब भ्रम ही 
निकलेगा देखना 
पछताने को
२३ भूल जाता 
वह मेरे करीब 
ही तो बैठा है
२४ कष्टकारी है
आप का व्यवहार
कहूँ किससे
२५ सब सच है
झूठ भी सच ही है
ज्ञान की बात 
२६ झूठ को झूठ 
समझ   लीजिये  तो 
बड़ी  सच्चाई  
२७  चाहो न  कुछ 
तभी होगा संभव 
मज़े में रहो
२८ परेशान है 
जो जितने में भी है
हर आदमी 
२९   दुःख से शुरू   
जिंदगी, मेरे मीत 
दुखद  अंत 
३०  मन  नहीं लगा 
तो काम कैसे  होगा
बेमन  नहीं
३१  ज्यादा तो न थीं  
मेरी  गलती  बस 
सफाई न दी
३२ ऐसा होता तो
वैसा हो गया होता
फिजूल बात 
३३ ईमानदारी
किसी का भी अजेंडा 
वस्तुतः नहीं
३४ गलती मेरी 
तो दोष किसे दूं
अपने सिवा
३५युवा शक्ति तो 
चौपट कर देगी
सारा बनाया
३६ छोड़ न पाया
आदत इबादत
पूजा पाठ का
३७ होता है कुछ
कहने से भी कुछ 
बदलता है 
३८ कुछ तुम्हारा 
लुटा, तो कुछ मेरी  
भी  हानि हुई
३९ हर बात का
जवाब नहीं होता 
लाजवाब हो
४० वैध अवैध 
पत्र पुष्प, नैवेद्य
झीनी लकीर
४१ रियलिटी शो
मूर्खता का कमाल
टी वी निहाल
४२ न कोई पथ 
न ही कोई पाथेय
न कोई लक्ष्य
४३ बेटे का जन्म
सपने दिखता है
सारा फिजूल
४४ भाषण फीका
मेरी कविताओं का
असर ज्यादा
४५ क्रम चला तो 
भैसों के नाम से भी
शासन होगा 
(राज्य चलेगा)
 ४६ हर जगह 
किराये का घर ही
लेना पड़ेगा
४७ वृध्दावस्था है
मृत्यु है सन्निकट
तुम हो दूर
४८ नींद टूटी तो
उनकी याद आई
कहाँ है वह?
४९ कुछ भी नहीं 
पारलौकिक, सब 
इहलौकिक
५० आँखें ढपतीं  
वह आती है जब 
कैसे देखता?
 ५१ प्यार भला तो
किस पंछी का नाम 
बोलो सज्ञान
५२ युवा, चौपट 
कर डालेंगे सब
बना बनाया
५३ नहीं  बोलता 
कोई जन  सच्चाई
झूठ ही सही 
५४ भूल जाता है
अपना ही सिद्धांत 
काम के वक्त
५५ माँ, बाप की है
बाप मेरी संपत्ति
सोचना नहीं
५६ गुरुजी और 
गुरु  में अंतर है
ज्यों दिया बाती 
५७ गलती मेरी 
मैं प्यार चाहता  था 
चिड़चिड़ाया 
५८ अपना काम
जब बनेगा शौक 
मज़ा आयेगा
५९ जो मिल जाये 
उसी से तब तक 
काम चलाओ
६० ध्वंस जायेगा 
जो अभी तो ठीक है
मौका आने दो
६१ कोई मांगे तो
वह यह चाहता 
दे तो देगा ही
६२ जायज़ होगा 
अनुभव आपका 
मुझको मेरा
६३ कितने सब 
रोज़ मरते, फिर भी
लोग हैं बचे
६४ यह गंदगी
यही सुन्दरता है  की 
मानव तन
६५ धन चाहिए 
लो, दौलत चाहिए 
लो, और फूटो
६६ मूर्ति मिट्टी की
को नहीं जानत है 
कोई न मूर्ख
६७ देख न पाया 
इतना बड़ा गड्ढा 
मूर्खता मेरी
६८ महामानव (महामूरख
आप ही तो नहीं हो
महामहिम 
६९ दिमाग तो है
भुस से परिपूर्ण
आग बचाते
७०मेरी  गलती 
जानो सारी की सारी
क्षमा कर दो
७१ रास्ता दूर से 
देखो, देखे रहोगे 
फंसोगे नहीं
७२ तिल का ताड़ 
पेड़ पर पहाड़  
इतना लाड 
७३  भूख नहीं है
अर्थात पेट भरा 
मैंने समझा
७४ शादी विहीन 
शाश्वत हो सम्बन्ध 
अनाम रिश्ता 
७५ आनंद तो है
गाँव में बहार है
चलो तो चलें
७६ उन्हें न लगे 
मेरे क्रोध का श्राप
यही मनाता 
७७ मेरी प्रार्थना 
उन सबके लिए 
जो उपेक्षित 
७८ मेरे अलावा 
सभी महत्वपूर्ण 
सब महान 
७९ दिन होता है
दीवाली का
सबसे उदास
८० वही न आये 
तो कैसी है दीवाली
क्या दशहरा
८१ अब क्या हुआ
बड़े वीर बने थे
हार गए न!
८२ अब कुछ भी 
बुरा नहीं लगता
कोई जो कहे
८३ सबसे बड़ा 
रिश्ता पति-पत्नी का
खुलेपन का 
८४ मेरे ईश्वर
कुछ नहीं मांगना
मुझे  तुमसे
८५ न लिखना है
मेरी पत्रकारिता  
न पढ़ना है
८६ बच्चों से हारे
तो बड़े बड़े वीर 
पत्नी विजेता
८७  सच  बनती 
कहने कहने से
झूठी भी बातें
८८ एक जिंदगी
तो किसी के भी साथ 

गुज़ारी जाये
८९ हर आदमी
बोलना चाहता है
सुनना नहीं 
९० सब  कुछ तो
अल्लाह की मर्ज़ी है
माने तो कोई
९१ उनका दर्द 
देखा नहीं जाता है
असहनीय
९२ प्यास किसी की 
कभी पूरी हुई क्या 
जो अब पूरी होगी
९३ कौन बचा है 
जो मरने को जाये
तुम्हारे  लिए
९४ प्यासा रहना 
उचित है, बजाय 
छिछोरगिरी
९५ अनुभवी है
आदमी जो लगता
मूर्ख की भांति
९६ कुत्ता होता है
हर मर्द, कुत्सित 
जीभ निकले
९७ संतोष धन 
संतोष कहीं नहीं
जग दुखिया
९८ ज़बरदस्ती
हांके जाते हैं गुन
माओवाद का
९९ महान होना
चाहना उचित हैं 
न कि  बनना 
१०० तीन से चार
चार से पांच भले
पांच से सात 
१०१ पर्याप्त होगा 
शरीफ दिखना भी
भले हों नहीं
१०२ कम्प्यूटर है
बहुत ही आसान 
जिसने सीखा
१०३ स्वीकार करो 
या नहीं, मैं करूँगा
प्यार तुमको 
१०४ पत्रकारिता
इनामी योजनाओं
के पर्चे क्या?
१०५ शांति आप की
आतंक भी आप का
जो भी कीजिये
१०६ दिमाग होने
से ज्यादा ज़रूरी है
कान का होना
१०७ गाड़ी से चलें
आखिर तो कितना
 संभलकर
१०८ मैं स्वतंत्र हूँ
अत्यंत स्वतंत्र हूँ
बांधो  न मुझे
१०९ खून खच्चर 
हो जाता है ज़रा
ज़रा सी बात पर
११० समझदार 
के लिए मौत हो तो
कुछ न लिखिए
१११ मुझको कोई
न गलतफहमी
अपने तईं
११२ ऐसे ऐसे ही
तुम भी आ जाओगे 
मुख्य धारा में
११३ रोज़ होती है
शादी, रोज़ तलाक 
फिर हंगामा
११४ छीन  ले गया
रातों कि नींद, स्वप्न 
बराबरी का
११५ जानवर है
आदमी या औरत 
मूल सत्यतः  
११६ बकरीद हो
आप को मुबारक
मैं तो बकरा
११७ क्या कुछ बचा
जितना लिया मज़ा
बेमज़ा हुआ  
११८ तिल का ताड़ 
बनाना कविता है
ताड़ का तिल?? 
११९ अज्ञान  होना
ज्ञान  का इंकार  भी
कम न  जान 
१२० जहाँ  मनई 
तहां चौव्वा-चमार 
कुत्ते बिलार 
१२१ लिख न पाए
पढ़ ही कहाँ पाए 
अज्ञानी रहे  
१२२ संभव नहीं
किसी के भी बारे में
कुछ कहना
१२३ पढ़ते कहाँ
लिखने वाले लोग
मौका ही कहाँ 
१२४ न्याय अन्याय 
निपटारा फौरन 
नक्सल वाद
१२५ मांस ही तो है
रक्त, मज्जा या वीर्य 
सारा शरीर 
१२६यह कैसे है
मैं तो  नहीं जानता
तुम भी कैसे?
१२७ वह उनका
शगल है तो यह
मेरा शगल
१२८ आप मूर्ख हैं 
कह नहीं सकता
मैं तो आप को
१२९ मिले न मिले 
सोचा, तो सब मिला
ऐसे ही होता
१३० बड़े का गोश्त
देख बड़बड़ाया     
दही का बड़ा
१३१ हिन्दू मुस्लिम
विभाजन, यथार्थ
बहुत बड़ा 
१३२ अंग प्रत्यंग 
देवता के कांपे जो, 
मनुष्य देखा
१३३ फर्क होता है
ब्रेड और रोटी में 
कन्या -बेटी  में
१३४ सारा जीवन  
मन्त्र जप में बीता  
अच्छा ही बीता 
१३५ भले काम का 
अनुभव कटु है
बुरा नतीजा 
१३६ अनुभव की 
आयु बड़ी होती है
दिन-वर्षों से 
१३७ जीवन भार
कम होता जाता है
दिन ब दिन
१३८ लगा हुआ हूँ
सफल कोई नहीं
मेरा प्रयास 
१३९ वापस लूँगा 
मैं अपना सम्मान 
लूँगा ही लूँगा 
१४० काटा तो मुझे
लेकिन, वह कुत्ता 
पागल न था
१४१ आदिवासियों 
में सक्रिय नक्सल
और ईसाई
१४२ न ज्यादा 'लिफ्ट'
दीजिये किसी को भी
न ज्यादा 'फाल'
१४३ तकलीफें हैं
तरह तरह की
वृद्धावस्था में
१४४  चश्मा उतारा
फिर भी लगता है
चश्मा लगा है
१४५ मैं तो न देखूं 
भाग्य की लकीरों को 
होनाहो जो हो 
१४६ बीत जायेगा
जैसे सब बीता है
यह  भी दिन  
१४७  चलती नहीं 
दुनिया मेरे कहे 
दुःख है मुझे  
१४८  चिड़ियाघर
में शेर भी रहते 
सियार भी हैं 
१४९ पानी न पीना 
झूठ बोलने तक
प्रातः एक सौ
१५० खाने को पाऊँ   
केला, सेब, अनार 
कभी कभार
१५१ जो हो रहा है
वही  होते रहना 
विश्व- नियति 
१५२ हर आदमी 
महत्वपूर्ण, हर 
आदमी नीच 
१५३ कहेंगे भर 
या कुछ करेंगे भी
धर्माधिकारी
१५४ उत्सव मांहि
अब सच  पूछो तो 
नहिं  उत्साह 
१५५ कर्म मानते 
भाग्य भी मानते हैं 
जैसा उचित
१५६ खोपड़ी में है
मेरे पास दिमाग
काम लेना है 
१५७ खाम  खयाली  की 
पतंग  उड़ाता  हूँ
मनोरंजन 
१५८ कुत्ते भौकते 
हाथी चलता जाता 
ध्यान न देता 
१५९ छात्रों का गुरु
कोई हो न हो,पर 
नेता कई हैं 
१६० खूब चाटिये   
सूचना अधिकार
अति स्वादिष्ट 
१६१ अपनी ख़ुशी
में सबकी ख़ुशी है
मैं यह मानूँ
१६२ मटमैला है 
आप का ध्रुवतारा 
लक्ष्य बेकार
१६३ ख्याल आते हैं
मन साधना लीन
ख्याल जाते हैं
१६४ यदि तुम हो 
तो ऐसा करो कि मैं
भी साथ  रहूँ सदा 
१६५ भ्रष्ट हुआ है 
ईमानदारी पर
जो गर्व किया
१६६ काम की इच्छा
कभी नहीं बुढ़ाती  
कार्य की इच्छा?
१६७ फिर भी चाहें 
यह निराश मन 
कामना पूर्ति
१६८ आँखें  बंद की
ज्ञान दिखाई दिया 
मुझे अदृश्य
१६९ गन्दा रहना 
सीखो नागरिक जी
स्वच्छ न श्रम 
१७० कुछ न कुछ 
बिगड़ ही जाता हैं
परिवार में 
१७१ दरअसल 
अब तो सारे सत्य 
प्रायोजित हैं
१७२ हम सोचेंगे 
किये जाने चाहिए 
क्या क्या उपाय
१७३ दो मिनट में 
दो हजार सपने 
देखता हूँ मैं 
१७४ सीमा समाप्त
राज्य के विधान की
अब यहाँ से 
१७५ खिंचा आयेगा 
जनमत तो स्वयं 
आप की ओर
१७६ न हग्गेंगे न 
आगे जाने के लिए
राह छोड़ेंगे 
१७८ अब सत्य भी
 प्रायोजित हुआ है
 शुद्ध न रहा 
१७९ प्यार करो
 तो होशो हवास गुम
 उल्टा भी सच 
१८० प्रधानमंत्री 
कोई बने, भारत 
संयुक्त तो हो 
१८१ नास्तिक  तो हैं 
हम राजनीतिक 
लोग भी तो हैं
१८२ है कोई नहीं
ईश्वर अल्लाह जैसा 
कोई होता तो? 
१८३ मत कीजिये 
औरतों से बहस
हार जायेंगे
१८४ शादियाँ और 
मुहब्बत अलग 
अलग चीज़ें 
१८५ सीखेंगे नहीं
लेकिन सिखायेंगे 
ज़रूर हम 
१८६ गंदगी जिया 
आमजन की भांति 
शुद्धता जिया
१८७ सब शरीर 
शरीर सारी पृथ्वी
शरीर मिट्टी 
१८८ पृथ्वी में स्वर्ग
शरीर सारी पृथ्वी
शरीर सोना
१८९ सबकी इच्छा
सुखमय जीवन
उचित ही है
१९० करते रहो 
मदद का नाटक 
मदद नाहिं
१९१ वह भी खुश
थोड़ा मीठा बोल दो
तुम भी खुश
१९२ साफ इंकार 
ज्यादा ठीक, अपेक्षा 
आधा स्वीकार
१९३ सब कुछ तो 
ठीक ठाक नहीं है
बस ठंडा है
१९४ वे सुंदर हैं
तुम भी सुन्दर हो
मैं सुन्दर हूँ
१९५ हर किसी से 
बन जाती है मेरी
ठन जाती है 
१९६ मन था मेरा 
मैंने प्रार्थना करी
क्या कर लोगे? 
१९७ जो हो रहा है
वही होता जायेगा
हम देखेंगे
१९८ धीरे धीरे ही
पिघलता है राज़ 
बर्फ भीगेगी
१९९ गुलछर्रे से
रहना सावधान
गुलों में छर्रे
२०० मेरा मन है
अब किसी के प्यार 
में पड़ा जाये
२०१ मिट्टी हो गयी 
आदमी मर गया
समझो तो कोई
२०२ वक्त कहता 
मैं कुछ नहीं कहूँ 
घुटता रहूँ
२०३ कहते रहो 
होगा कुछभी नहीं
बकते रहो
२०४ रात भर तो 
शहर जगे, भला 
तू क्यों, दीवाने! 
२०५ प्रयास नहीं
अब कोई प्रयास 
नहीं करूँगा 
२०६ एक हिचकी 
और बस, दीवाना 
गुज़र गया
२०७ मुझे पता है
मुझे पता रहेगा
मुझे पता था
२०८ संपत्ति लाता
फिर विपत्ति आती
सामने पाता
२०९ करते है स्वयं
अपने सब  काम 
दे राम नाम 
२१० तब माँ के थे
दुलरुआ पूत वे 
अब पत्नी के
२११  अब किसी  कि  
नहीं करूँगा हेल्प
बड़ी बुराई
२१२ युद्ध तो होगा
किसी ने भी कहा हो
या न कहा हो
२१३ बँटो तो बँटो
पर, ठीक से बँटो
दिल या राज्य
२१४ शादी का अर्थ
संपत्तिक सुरक्षा
और न कुछ
२१५ कुत्ते घूमते
जो कुतियों के पीछे
दुत्कार पाते
२१६ संपत्ति छोड़ी
तो कुछ sambandh  भी
छूटने ही थे
२१७ हुर्रियत   से
बोरियत  सी होने
लगी है अब
२१८ क्या मर जाऊं 
बात नहीं बनी तो
मैं क्या कर लूँ?
२१९ बेवकूफ हैं
या मूर्ख समझिये
हम हैं तो हैं!
२२० मरे जाते हैं
भलमनसाहत
में भी आदमी
२२१ भाव भला तो
किसके मन में है
जान सेवा का
२२२ अपने काम
स्वयं किया कीजिए
भरोसा नहीं
२२३ सफाई देने
का मतलब होगा
मैं दोषी हूँ
२२४ सफेद झूठ
काली सच्चाइयों से
बेहतर है
२२५ देंगे तब भी
नहीं देंगे तब भी
खुश रहूँगा
२२६ हिन्दू भाइयों
हिंद का नाम लेना
हिन्दू का नहीं
२२७ धर्म का मर्म
केवल नास्तिक ही
सही जानता जो कहते हैं
मेरे चाहें वाले
२२८ मैं ही क्यों लिखूं?
जब कोई लिखता
नहीं चिट्ठियां|
२२९ खाना बनाना 
औ, सुंदर दिखना
जारी रखना
+
२३० नारी महान!
इन गुणों को कभी
मत छोड़ना
२३१ जालों में हम
खुद  फंस जाते हैं
वासना वश
२३२ ज़रूरी है कि
दिमागी  तौर पर
बीमार न हों
२३३ दर्द कुछ है
दवा कुछ और ही
देता है वैद्य
२३४ कभी दायाँ तो
कभी बायाँ भी पैर
लड़खड़ाता   
२३५ वोट न देता
चुनाव हार जाते
तो मज़ा आता
236 राजनीति की 
समझ धीरे धीरे
ही तो आती है
२३७ तुम जाते हो
या बुलाऊँ पुलिस
याद आते हो
२३८ हम मिलते
नहीं एक दूजे से
यही करार
२३९ खुश  हो जा रे  
चिट्ठी चल चुकी है
तो आयेगी ही
२४० ख़ुशी की बात
कोई चिट्ठी आई है
भला किसकी?
२४१ मन से दुष्ट
होगा जो, शरीर से
होगा कुष्ट
२४२ जिंदाबाद से
मुर्दाबाद तक है
जीवन यात्रा
२४३ स्पर्श से पर्स
पर्स और स्पर्श का
गहरा नाता
२४४ दर्द कहाँ है
टटोलता कहाँ है
मुआ डाक्टर
२४५ सर के बल
खड़े होंगे ही - धर्म
ईश्वर-खुदा
२४६ दायें चलो तो
बिल्कुल दायें चलो
बाएं चलो तो.
२४७ कूद पड़ा मैं
हीरो के कहने से
फ़िल्मी प्रभाव
२४८ घृणा को भी दें
निकलने का मौका
घृणा मिटेगी
२४९ मेरे मन में
कोई संदेह nahin
मैं हूँ जो हूँ
२५० सेक्स केवल
 वीर्यपात नहीं है
सन्निओअत हैं
२५१ गाय के पीछे
सांड नतमस्तक
सांडों में युद्ध
२५२ मैं हँसता हूँ
मैं रोता गाता भी हूँ
साधारणता
२५३ जब थे तब
सहारा ती थे ही वे
आज नहीं हैं
२५४ पढ़ाई का तो
मतलब है कुछ
 बदलाव हो
२५५ परिवर्तन
चाहना ही पढ़ाई
का मतलब
२५६ आयतन है
वजन कुछ नहीं
इन बातों में
२५७ आज सोचिये
कल देखा जायेगा
अभी की सोचो
२५८ क्या जरूरत
सलाम नमस्ते की
बांह फैला दो
२५९ कमीनी नहीं
वह, कहती है जो
मुझे कमीना
२६० कोई न उठे
पेशाब न लगे तो
रजाई छोड़
२६१ शांतिपूर्वक
त्याग दी संपत्तियां
शांति ही शांति
२६२ मन मिशन
तो देह में थकन
संभव नहीं.
२६३ ड्राइंग रूम
बहुत डरता है
मुझे अपना
२६४ इतना काम
तो चलो खत्म हुआ
थोड़ा बाक़ी है
२६५ नींद न आये
तो शवासन करो
थकान हरो
२६६ हिंदी न कहो
 किसी जनभाषा को
उर्दू न कहो
२६७ हिन्दू है हिन्दू
का शत्रु, क्या है कोई
मुसलमान
२६८ थोड़ा सा रफ
जिंदगी जो मैंने  जी
थोड़ा फेयर
२६९ नोबुल जन
नोबेल पुरुस्कार
ले क्या करेंगे?
२७० अन्य की पीड़ा
कोई नहीं सोचता
न समझता
२७१ अब तक तो
कुछ न बदला
क्या बदलेगा?
२७२ बिल्कुल ठीक
जो तुम कहते हो
वही ठीक है
+
२७३ जहाँ तुम रहते
मैं  भी रहूँगा
२७४  वे गए चीन
ज्ञान प्राप्त करने
पर भूल से
+
२७७ दिमाग छोड़ आये
वहीं चीन में
२७८ दूर की बात
पढ़ना लिखना तो
क्या बोलता तू?
२७९ या तो अक्षम
या तो अति सक्रिय
पुलिस फ़ोर्स
२८० वैसे तो ठीक
लेकिन कभी कभी
दर्द होता है
२८१ कभी तो हाबी
इतनी होती  हावी
गृह से मुक्त
२८२ जब शरीर
सब हाड़  हो गया
 आयु निष्प्राण
२८३ जिन्ना   ने कहा
उसे सच मानिये
अद्यकाल भी
२८४ उसका क्या हो
अपने मुल्क में हिया
जो अमरीका
२८५ खत्म ही नहीं
होता, यह जो काम
अपने सर
२८६ मैं सोचता हूँ
अब किस प्रकार
रार बढ़ाऊँ
२८७ अवगुण है
मेरा, मेरा विनय
अब है तो है
२८८ अब देखिये
अभी यह हाल है
आगे क्या होगा?
२८९ ताकत रही
जितनी, उतने से
काम चलाया
२९० कठिन नहीं
तो आसान भी नहीं
यह मसला
२९१ जग जागे,  तो
भी कोई डर नहीं
प्यारे आ जाओ
२९२ मैं बहुत ही
खराब आदमी हूँ
जानो तो अच्छा
२९३ आश्चर्य तुम्हे
आश्चर्य मुझे भी है
किमाश्चर्यम!
२९४ महत्वपूर्ण
 मेरे लिए है आज
अभी का वक्त
२९५ कहना होगा
कहना तो होगा ही
जो आप सोचो
२९६ काम करती
बड़े ही तरीकों से
मन की परतें
२९७ पहना नहीं
फिर भी फट गया
मेरा कुरता
२९८ हिदायतों को
गौर से पढ़िएगा
बचिए| धोका!
२९९ तुमने कहा
तुम भले चंगे हो
मैं मान गया
३०० घंटा बजाओ
तुम, हम तो करें
भारत राज
३०१ अनैतिक  है
लेकिन रुचिकर
है पाप कर्म
३०२ पहले ज्यादा
आकर्षण था, अब
बहुत ज्यादा
३०३ मानव बुद्धि
बुद्ध धर्म के नहीं
समनुकूल
३०४ कोशिशें  तो कीं
कुछ नहीं हो पाया
तो मैं क्या करूँ
३०५ मैंने जो सोचा
उसे लिख भी दिया
पूछो न कुछ
३०६ खासियत है
यह मेरा वैशिष्ट्य
मैं अ-विशिष्ट
३०७ मन में पाप
\hoti नहीं रात की
आने लगते
३०८ हिंद स्वराज
अब एक सपना
तो क्या देखना
३०९ लिख देना भी
घटना को बनाता
आगे संभव
३१० नहीं जानता
कुछ नहीं जानता
मैं कुछ नहीं
३११ मैं सोचता हूँ
मैं सोच सकता हूँ
मैं तो  सोचूंगा
३१२ बिना जनाए
कौन जान पायेगा
मैंने क्या लिखा?
३१३ मार्क्स आएंगे
तो लेनिन-स्टालिन-
माओ आएंगे
३१४ पौधा लगा तो
तो पेड़ बनेगा ही
फल आएंगे
३१५ नहीं हो पाया\
सब धन बाइस
पसेरी  भाव
३१६ यू. पी. का अर्थ
अनप्रोटेक्टेड है
जी, सेक्स नहीं
३१७ ईश्वर नहीं
मैं आदमी से हारा
भक्त जनों से
३१८ नहीं, अपने
शत्रुओं को भी मैं मार
नहीं सकता
३१९  तुम्हे गाँधी की
तलाश है तो देखो
यह लाश hai
320 कुछ तो करो
प्रेम नहीं, न सही
घृणा ही सही
३२१ गलत सही,
मेरी निगाहें उन्हें
देखतीं तो हैं
३२२ प्यार का काम
पास पास सो जाना
अन्यथा नहीं
३२३ मैं महान हूँ
गलत फहमी नहीं
पूरी सच्चाई
३२४ मैं हूँ महान
बात झूठी तो नहीं
खून न खून?
३२५ मर जाऊँ  तो
कोई क्या कर लेगा?
या न मरुँ तो?
३२६ कोई आदमी
मूर्ख नहीं, सब हैं
चतुर
३२७ हलकान या
परेशान मत हों
ऐसे ही होगा
३२८ कहतीं नहीं
कहना पड़ता है
महिलाओं को
३२९ रहें तो रहें
धर्म, पर मठ तो \
टूटने होंगे
३३० हाँ है तो कुछ
कठिन ज़रूर है
यह समस्या
३३१ सब कुछ तो
ठीक ठाक नहीं है
न हो पायेगा
३३२ चीज़ें कम थीं
ज़रूरतें कम थीं
पैसे कम थे
३३३ बच्चों के लिए
क्यों कर डालें हम
हत्या गबन
३३४ तुन्हें प्रणाम
अपने जो माँ बाप
उन्हें प्रणाम
३३५ दुर्भावनाएं
छिपकर रखता
कभी खोलूँगा
३३६ सिगरेट है
एकमात्र सहारा
छोडूँ इसे भी?
३३७ सारी चिंताएं
ठिकाने लगा चुका
तुम बचे हो
३३८ क्या लिखा मैंने
पूछो, क्या नहीं लिखा!
पर क्या हुआ!
३३९ हँसता नहीं
को नहीं हँसता
सब नाटक
३४० बचाए हुए
अपनी इज्ज़त को
बैठा मैं कोठे
३४१ सबको जांचा
निराशा हाथ लगी
अब क्या करें?
३४२ मैं सोचता हूँ
नींद की दवा ले लूँ
यह आये तो
३४३ क्या बोलता तू
घर बनवायेगा ?
गेटआउट !
३४४ थरथराता
गत मेरा, औरतों
को देख कर
३४५ सहनीय है
तब तक तो ठीक
लेकिन बाद?
३४६ होना चाहिए
संतों को संगठित
कदापि नहीं
३४७ ढूँढो तो ढूँढो
कुछ मिलेगा नहीं
नग्न देह में
३४८ - निभाना भी हो
कोई प्रण न  पालो
तिस पर भी .

३४९ - सब बातें तो
कहने की नहीं हो
सकतीं हैं न !

३५० - भला  किसने 
जो चाहा वह पाया 
किसी युग में !

३५१ -  उन्हें गर्व है
दलितपन पर ,
अपना गर्त
कुछ लाभ  के  लिए
उन्हें प्यारा है .

३५२ - इतनी जल्दी
खुश  मत हो जाना 
मीठी बातों से .

३५३ - इतना व्यस्त 
नहीं होना चाहिए 
की मिलें नहीं .

३५४ - ये हथकंडे 
लोक प्रियता को हैं 
हथियाने के .

३५५ - कैसे चिन्तक 
लीक पीटते हैं जो
चिन्तक नहीं .

३५६ - करता जाता  
सबका बॉयकाट 
कौन बचेगा !

३५७ - सब के सब
मूर्ख हो गए  हम
ऐसा लगता .

३५८ - नयी सभ्यता
अर्थात आपस में
कट मरना .

३५९ - बनना  क्या है
जो मैं हूँ वह मैं हूँ
बताने से क्या .

३६० - लिख रहे हैं
बहुत सारे लोग
बहुत अच्छा .

३६१ - लेखक कैसे
जब लिखते नहीं
भाषण देते .

३६२ - व्यक्ति इतना
हावी है लोगों पर
उठें तो कैसे !

३६३ - नेता देश को
नहीं चलने देंगे
हम नेता को .

३६४ - दो कौड़ी के हैं
निज घर में हम
बाहर शेर .

३६५ - असमंजस
मेरी उपलब्धि है
बहुत बड़ी .

३६६ - ज़िन्दगी  बीती
सोचना अभी नहीं
किया आरम्भ .

३६७ -धीरज धरो
तभी कुछ पाओगे
मुझे भी लगा .

३६८ - नागरिक जी ,
समय चुक गया
गए  जो दिन
तुम्हारी जवानी के
लोटेंगे नहीं
अब नहीं पाओगे
जो   चाहते हो
तुम बुढ़ा गए हो
ख्वाब न देखो .

३६९ - औरत को हो
या मर्द को हो , बिना
रखे - रखाए
काम नहीं चलता
किसी का भी हो .

३७० - अवमूल्यन
रूपये का ही नहीं
आदमी का भी .

३७१ - मूर्ख हम भी
कोई फर्क नहीं है
मूर्ख तुम  भी .

३७२ - बांह पकड़ो
पहुँचा न पकड़ो
तो दोस्ती निभे  .

३७३ - स्वतंत्रता का
मखोल न बनायें
गंभीर रहे .

३७४ - आप को होती
ग़लतफ़हमी में
खुशफहमी .

३७५ - पता नहीं क्यों
बरक्कत न हुयी
तनख्वाह में .

३७६ - हम राधा के
और उधर देखो
राधा कृष्ण की .

३७७ - कौन देता है
संबंधों पर जोर
हाँ, गिफ्ट पर .

३७८ - शादी में जाते
नाचना जानते हो
तब तो जाओ .

३७९ - खाना खा जाओ
तो कोई बात नहीं
फेंको तो मत .

३८० - सच बात है
जिन्ना सेक्युलर थे
हम भी बनें .

३८१ - जिन्ना की भांति
हम भी सेक्युलर
क्यों नहीं बनें .

३८२ - एक कमीना
आदमी के अन्दर
बैठा  ही बैठा ,
एक देवता
आदमी के मन में
होता ही  होता .

३८३ - ख़ुशी के जाते
देर नहीं लगती
दुःख के आते .

३८४ - हम एक हैं
विवशता के मार
के मामले में ,
हम पर करती
बराबर   से     
वार हम सहते    
छटपटाते  ,  
मजबूरी   में 
हम  बराबर  हैं ,
हम बराबर  से   
मजबूर  हैं .

३८५  - गुंजाइश   तो  
बची  रहने  देना     
थोड़ी  बहुत  .

३८६  - हो  ही जाती  हैं 
गलतियाँ  ओझा  जी  
वर्तनी  की  तो  .

३८७  - मेरी  भाषा  में 
लिंगदोष  बहुत  
नर  को  नारि .

३८८  - चकनाचूर  
करता  हूँ   मैं  दंभ  
किसी  का  भी  हो  

३८९  - पहला  हक  
व्यक्ति  के सेक्स  पर 
पति  / पत्नी  का  ,
वह  इन्कार  करे    
तभी  बाहर  
का  इंतजाम  करें  
पहले  नहीं  .   

३९० - दिखाओगे तो
पब्लिक  देखेगी  ही
आरोप व्यर्थ .

३९१ - सब डरते 
अपने अहित से 
तो पूजा - पाठ .

३९२ - जब से मेरा 
दृष्टिकोण बदला 
दृष्टि बदली ,
नज़र बदली तो 
नजरिया भी .

३९३ - बदबूदार
हो जाता है फूल  भी
सड़ जाए तो  |

३९४ -  हर  व्यक्ति  के
मुहं में जुबान है
कुछ भी बोले .

३९५   - कहानियां हैं
जिन पर टिके हैं
सारे ही धर्म
और कविताओं की
ताक़त पर .

३९६ - पता ही नहीं 
कब नींद से जागे 
कब सो गए .

३९७ - लाइन में थे 
लाइम लाइट में 
आ गए नेता .

३९८ - याद आ गया 
कहाँ था मैं खो बैठा 
अपना सारा .                     

३९९ - प्रेम को जिया
खोया  -पाया  -लुटाया
घृणा पी लिया .

४०० - मेरा नाम हो 
न हो , मेरा काम हो 
मेरा उद्देश्य .  |
============ swami
THE END
   
=================
THE END