रविवार, 11 नवंबर 2012

प्रथम दृष्टि के प्यार


गलत बयानी =
* मैं उस आदमी को महत्व नहीं देता जो स्वयं को महत्व नहीं देता |

* मैं प्रथम दृष्टि के प्यार का कायल नहीं हूँ | कम से कम दो बार देखना चाहिए |

* सामंत नहीं रहेंगे तो निठल्ले विचारकों कवियों , लेखकों और संतों के पेट कौन भरेगा ?

* सामंतवाद जाकर भी क्या करेगा ? उसके बाद तो पूँजीवाद आ जायेगा ? वही मेरे लिए कहाँ शुभ होगा ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें