* ज़िन्दगी जीता
हाइकु लिखकर
जी रहा हूँ मैं |
* मिलना तो था
खाना बना बनाया
कहाँ नसीब !
* वह बात थी
ज़माना बदला तो
यह बात है |
* कहाँ शुभता
बच्चों का बूढ़ापन
माओं - बापों को !
* पकड़ता हूँ
कोई तो एक बात ,
ले उड़ता हूँ |
* आप बाएँ हैं
तो मुझे भी बाएँ ही
चलना होगा |
* दाढ़ी चोटी से
ऐसा कुछ नहीं कि
खुदा मिलता |
* सब जायज़
प्रेम और युद्ध में
नहीं मानता |
* खाने के लिए
बड़ी जद्दो जहद
बफे सिस्टम |
* फिर तो मैंने
स्वीकार नहीं किया
किसी का प्रेम |
* हर किसी को
जानना ही चाहिए
पड़ोसी कौन ?
* आस में हूँ मैं
आर्थिक संकट है
आशय मेरा |
* शादी होती है
बुढ़ापे की खातिर
जवानी नहीं |
* मैं देखता हूँ
स्वयं निज व्यक्तित्व
देख पाता हूँ |
* गांधीवाद में
रखा क्या है , चल रे
मन माओ को |
* जहाँ फर्क है
उसे फर्क रखिये
सम रहिये |
* ज्यादा सोचना
हानिकारक होता
स्वास्थ्य के लिए |
* आदर्शवादी !
सोच - समझकर
जीना ज़िन्दगी |
* आदमी एक
बँटवारे अनेक
दुश्वारियाँ |
* समझने में
दुनिया की रीति को
ज़माने लगे |
* कभी सो गए
फिर जागते रहे
जब जागे तो |
* पैर मालिश
सुबह उठकर
फिर शाम को |
* आदर भाव
बनाये रखना है
वृद्धों के प्रति |
* देखो ही नहीं
खतरों की तरफ
टल जायेंगे |
* वृद्धावस्था में
हड्डियाँ गलती हैं
तो गलने दो |
* यह तो देखें
हम किस लायक
तदनुसार
किसी मंजिल पर
बढ़ाएँ पैर |
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