गुरुवार, 15 नवंबर 2012

ज्ञान ही नहीं


* लिखता जाता
लिख नहीं पाता हूँ
चिल्लाता जाता |

| * ज्ञान ही नहीं
ज्ञान प्रणालियाँ भी
जाननी होंगी |

* बीड़ी पीता है
हिंदुस्तान तो तुम
सिगरेट क्यों ?

* नमक ही है
चखकर देख लो
इसी देश का |

* घर में जो हो
कोई आकर्षण तो
मैं घर जाऊँ |

* तुम होते तो
किसी काबिल होता
मैं , अब नहीं |

* तुम नहीं हो
मानो कुछ भी नहीं
दुनिया सूनी |

* मेरा ईश्वर
मेरी अंतरात्मा है
मेरा विवेक |

* पहुँच गया
संत अपने घर
जो ' कहीं नहीं '
फकीर का मुकाम
' कहीं नहीं ' है
' कहीं नहीं ' ही होता
उसका लक्ष्य |

* सत्य पा गया
मन तो बौरा गया
अब क्या बोले !

* जैसे सपना
तुमसे था मिलना
अब कब हो !

* मैं जान गया
झूठ का साम्राज्य है
यह जो मेरा |

* खाएँ न खाएँ
धरती वलीमा को
आपकी मर्जी !

* दाम बढ़ेगा
तो अठन्नी में नहीं
पूरा रुपया |

* जैसा देश हो
पुरानी कहावत
वैसा भेष हो |

* अगरबत्ती
अगरु की बनती
सुगंध देती |

* आप बताएँ
इसको कैसे खाएँ
जीवन भोज ?

* बाप, बाप है
कर्तव्यों के कारण
माँ, महतारी |

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