सोमवार, 12 नवंबर 2012

श्वाँस छोड़ दो


* यह दीवाली
कितने तो दिलों को
उदासी देती |

* श्वाँस छोड़ दो
बाहर जाने भी दो
फिर आएगी |

* हमारे पास
अब सिर्फ भूलना
बस काम है |

* लेना न कुछ
बस देखना भर
भरा बाज़ार |

* दिन बीतता
रात नहीं बीतती
जागे कटती |

* कुछ जागते
कुछ सोते हुए भी
ज़िन्दगी कटी |

* दिखता हूँ मैं
पागलों की तरह
पागल नहीं |

* पाखण्ड है जी
पाखण्ड ही पाखण्ड
सारा पाखण्ड |

* जीवन धन
सर्वहारा पन को
दूर करता |

* साधू संत को
चाहिए ही चाहिए
कम बोलना |

* शादी के बाद
या शादी के पहले
ग़म खाइए |

* यह बेचारा
समझ का मारा है
मूर्ख  युग में |

* कोई विचार
नहीं हैं मेरे पास
कुछ काम हैं |

* स्वस्थ रहेंगे
नींद आती रहेगी
जब तलक |

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