गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

शादी

शादी है तो वह अरेन्ज्ड ही होगी ।
प्यार में कोई arangement नहीं होता ।

दुःखद स्थिति

क्या तो नज़ारा हो गया है देश का ! धर्मनिरपेक्षता के तहत धर्म से दूर रहने, दूरी बनाने की जगह अब सरकार स्वयं पूजा करने बैठ गयी है । 😢

विकल्प

सरकार की आलोचना कर देने मात्र से उसका विकल्प तैयार नहीं हो जाता ।

बुधवार, 19 दिसंबर 2018

अपनापन

अपनापन
कितना भी दुत्कारो
(भले ही दूर रहो)
बना रहेगा ।

शिक्षा

शिक्षा का केवल मतलब होना चाहिए विज्ञान की शिक्षा- समाजविज्ञान की शिक्षा, भौतिक विज्ञान की शिक्षा- वैज्ञानिक भौतिकवाद की शिक्षा ।

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

रविवार, 16 दिसंबर 2018

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

शोषण के खिलाफ़

मैं यह कहना चाह रहा था कि अगर ईश्वर और धर्म शोषण के औजार हैं तो  कम्युनिस्ट जन ईश्वर और धर्म का खुला विरोध क्यों नहीं करते ? केवल पूँजीवाद ही उनकी ज़ुबान पर क्यों रहे ?

अविशिष्ट

निश्चित ही हर व्यक्ति विशिष्ट है ।
लेकिन जैसे ही कोई व्यक्ति अपनी विशिष्टता का प्रदर्शन, दावा, हक़दारी करने लगता है, वह अशिष्ट हो जाता है ।

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

तीसरा आदमी

इस देश में केवल हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई रहते हैं । यही चार भाई इस देश के उत्तराधिकारी हैं, तभी तो केवल इन्ही में भाई चारा रखने के प्रयास होते हैं, गीत गाये जाते हैं ।
बल्कि इनमें भी केवल दो, हिन्दू और मुस्लिम ही प्रभावी रूप से सक्रिय हैं । कभी प्रेम से रहते कभी लड़ झगड़ लेते हैं ।
इनके अतिरिक्त कोई जनसंख्या भारत में नहीं है । होगी भी तो दिखती नहीं है । वैज्ञानिक विचारधारा वाले मानववादी, नास्तिक, धर्म-सम्प्रदाय, जाति विहीन तबका तो कहीं दिखता नहीं । और एक कम्युनिस्ट नामक अधर्मी समूह की समाज में कोई छाप दिखती नहीं है ।
परिणाम, यही दो सम्प्रदाय देश को चला रहे हैं और ले जा रहे हैं देश को हिंद महासागर की ओर ।
बात लग गयी न ? लेकिन बताइये, कोई तीसरा पक्ष होता तो एक Common Civil Code के लिए अड़ न जाता ? क्या किसी ने दावा ठोंका कि रहा होगा चप्पे चप्पे पर कभी मंदिर मस्जिद अब कानून बनाकर अयोध्या में विद्यालय बनाओ ? इस ज्वलंत मुद्दे पर दो ही फ़रीक कोर्ट में भी लड़ रहे हैं और ज़मीन पर भी संघर्षरत ।
क्या किसी धार्मिक-अधार्मिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक समूह ने यह कहने की हिम्मत की कि कश्मीर को आज़ाद करने के विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिए ?
जी नहीं, कोई नहीं है ।

शेर

सच बात कहने की दोनो को लत है,
कहीं तुम ग़लत हो कहीं हम ग़लत हैं ।

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

साम्यवाद

सम्पत्ति नहीं
समता का महत्व
साम्यवाद है ।

साथी संगठन

कम्युनिज़्म भी एक सांस्कृतिक विचारधारा है ।
तो जिस प्रकार RSS बिना राजनीतिक ताक़त के राजनीति में इतना प्रभाव जमा सकता है, मार्क्सवाद भी बिना चुनाव लड़े सशक्त क्यों नहीं हो सकता ?
ज़रूरत है तो वही संघ वाली निष्ठा की !

प्रचार

झूठ में बड़ी ताक़त है और प्रचार में बड़ी शक्ति ।
प्रचार से ही ईश्वर नामक झूठ अस्तित्व में आया ।
प्रचार द्वारा उसके फरेब को मिटाने में कोई बुराई नहीं है ।

अयोध्या विद्यालय

हमें मंदिरमस्जिद नहीं, विद्यालय चाहिए ! (युवापक्ष,हिन्दोस्तान)
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यह युवा आंदोलन बनना चाहिए। "युवापक्ष हिन्दोस्तान" एक युवा संगठन के रूप में उभरना चाहिए,सचमुच युवा?

पढ़ाकू

जैसे नवबधुएँ पढ़ पढ़कर खाना बनाती हैं, वैसे ही कम्युनिस्ट पढ़ पढ़कर क्रांति करते हैं ।