मंगलवार, 31 मार्च 2020

एकलवाद की घोषणा

मैं पाला बदल रहा हूँ । बदल क्या बस नोटिस बोर्ड पर लगा रहा हूँ । I have been Individualist since long, just affirming it in black&white. Let a man do whatever he wants to do. Leave him to make his destiny himself. Who are we to guide or instruct him. Days of evangelist are over. Gods, godmen, preachers, book holders, we are not. So, set the individual being free to decide what is good or bad for their life. This may be called Individualism, I adhere to.
Only personal, individual awakening, enlightment will work. Social evils too can vanish through personal understanding. We can't give all the whole public a right move at one time. Best wishes to our brethren fellow for their free and open minds and conscience to choose the good, better and best (since today). They can ignore whatever we bark in the streets, may that be our psycho attitude, which is in our DNA. Don't mind us, choose and lead your own path.👍

आदमी अलग हो

मैं अब इस चिंता में नहीं हूँ कि हम कैसे एक हों ? मैं नास्तिक हूँ या आस्तिक, संगठित होने की चेष्टा में नहीं हूँ । नास्तिक संगठन की सोचूँगा तो आस्तिक संगठनों के बारे में सोचना पड़ेगा । उन पर नज़र डालूँ तो पाता हूँ कि वे एकताबद्ध होने में बहुत आगे निकल चुके हैं, कोई कम कोई ज़्यादा मजबूत । हम उनसे अपनी तुलना इस तराजू पर न कर पाएँगे । कर पाएँगे तो अकेले अकेले । अकेला आत्मविश्वासी नास्तिक किसी भी अकेले आध्यात्मिक आस्तिक से निपट सकता है।
इसलिए मेरा तो एजेंडा है नास्तिकों को ही नहीं, धार्मिकों को भी अकेला Individual human being, एक इकाई आदमी बनाने का । प्रत्येक नास्तिक प्रत्येक नास्तिक से/ हर आस्तिक हर आस्तिक से कैसे अलग हो, विशिष्ट और विलक्षण मनुष्य, स्वतंत्रता पूर्वक अपने जीवन का जिम्मेदार ! तभी नास्तिक सही नास्तिक हो सकेगा । तब नास्तिक आस्तिक में सामूहिक कोई भेद न होगा । क्योंकि तब तो आस्तिक भी सही आस्तिक होगा ? और हमारी कोई लड़ाई नहीं है सिवा इस उद्देश्य के कि आदमी नेक और नैतिक हो । ज़रूरी है कि हम यह काम उसी पर छोड़ दें । हम गुरुडम के शिकार न हों, यही बेहतर, कारगर रणनीति होगी ।

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

प्रचार बेकार

स्थिति तो आशावादी है, इसलिए मैं निराश नहीं हूँ । लेकिन निराशावादी बात जरूर कह रहा हूँ ।-
अब हमें नास्तिकता के प्रचार की ज़रूरत नहीं है। इसका प्रचार तो नन्हे से, ईश्वर की तरह से ही 'न दिखने वाले वायरस' ने सशक्त तरीके से कर दिया है । जिसके पास तनिक भी बुद्धि और अनुभव क्षमता हो वह बड़ी सरलता से नास्तिकता को प्राप्त हो सकता है, यदि वह चाहे । इसलिये मैं तो इस group को बंद करने की सलाह दूँगा । क्योंकि अब इतने साक्षात उदाहरण के बाद भी कोई नास्तिक न हो जाय (और होंगे भी नहीं), तो हमारे प्रचार प्रसार और कहने से भी नहीं होंगे । फिर आवश्यकता क्या है ऐसा निष्फल प्रयास करने की? हमें अब भगत सिंह, राहुल सांकृत्यायन और प्राचीन लोकायतन से क्षमा माँग लेनी चाहिए । प्रणाम गुरुदेव !
बहरहाल, मैं व्यक्तिगत तो यह group छोड़ने का मन बना चुका हूँ । - (उग्रनाथ नागरिक)

बुधवार, 25 मार्च 2020

Gonzo

I did adopt this style of journalism cas it suits my non stop haphazard writing. The writing of Hunter S. Thomoson. Credit goes to Bill Cardoso for papularising it. Below a screenshot about it from google.
(Ugra Nath)
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Gonzo journalism is a style of journalism that is written without claims of objectivity, often including the reporter as part of the story via a first-person narrative. The word "gonzo" is believed to have been first used in 1970 to describe an article by Hunter S. Thompson, who later popularized the style.

मंगलवार, 24 मार्च 2020

कोरोना

भक्तो, और संघियो! आँखें खोलो! अब तो सेक्युलरवाद, धर्मनिरपेक्षता का आदर करो ! पालन करना, हृदय में धारण करना सीखो ! आदमी आदमी बराबर है । सबक खून एक है । मानव जाति एक ही प्रकृति की संतान है । अब तो मानो!
#कोरोना

ब्राह्मणवाद

ब्राह्मणवाद
तो मानव स्वभाव,
किसे धिक्कारें ?

मानव सम्मान

मैं ईश्वर अल्लाह, कृष्ण मुहम्मद की आलोचना करने से परहेज़ इसलिए नहीं करता कि ये भगवान हैं, शक्तिमान हैं, या इनसे डरता हूँ । बल्कि इसलिए कि इन्हीं नामों वाले तमाम ज़िंदा, जीवधारी मनुष्य हमारे आसपास हमारे साथ रहते  हैं - - जिनसे मैं प्रेम करता हूँ। मैं आदमी का आदर करना चाहता हूँ । 👍💐

धर्म की निंदा

कोई विचार जब धर्म बन जाये तो उससे दूरी रखना ही श्रेयस्कर । दूरी रखने या अलग रहने से मेरा आशय यह नहीं कि उससे हम कोई उपयोगी रास्ता उनसे न लें । बल्कि यह कि उनकी आलोचना- निंदा के पचड़े में न पड़ें । तारीफ़ तो कर दें लेकिन बुराई करने से दूर रहें वरना आदमियों में दूरियाँ बढ़ेगी। लोगों से सम्पर्क में उनसे अन्य विषयों पर चरचा करें, धर्म खासकर सामने वाले के धर्म पर तो बिल्कुल नहीं ।
क्योंकि आख़िर सामाजिक समरसता भी तो एक उच्चकोटिक विचार है ?
वस्तुतः होता क्या है कि धर्म निगोड़ी ऐसी चीज़ है जो मनुष्य के जन्मते ही व्यक्ति की अपनी/परायी हो जाता है (यदि धर्म को secular/ व्यक्तिगत बना लें तो भी), जिससे पिंड छुड़ाना सबके लिए मुश्किल होता है । आपके लिए आसान है क्या ? फिर कैसे उम्मीद करते हैं कि दूसरा उससे विमुक्त होगा?
यह समझदारी की माँग है ।
इसलिए नास्तिकता की आलोचना कर लीजिए, वामपंथ को गाली दे दीजिए, अंबेडकर और संविधान की शल्य क्रिया कर लीजिए, क्योंकि ये धर्म नहीं बने हैं और इसीलिए इन्हें धर्म कहने का विरोध भी हो रहा है, लेकिन यीशु, मुहम्मद, कृष्ण, बुद्ध को कुछ मत कहिये। इन्हें पौराणिक ही सही, काल्पनिक कहानियों का साहित्यिक सरोकार समझ जीवन का आनंद लें। अन्यथा आपके बंधु मनुष्य मित्रों के मन को ठेस लगेगी/ लगती है । और करें भी क्यों ? करके कुछ हासिल न होगा । इतने दिनों के धर्मविरोधी अभियान तो इनके अप्रभावी होने का अनुभव देते हैं । तो इससे लाभ लिया जाय और कान को थोड़ा मानववादी तरीके से घुमाकर पकड़ा और फिर ऐंठा जाय । ये अपनी मौत मरेंगे, मरें तो मरें, विज्ञान की गति के आलोक में । इन्हें चिढ़ाएँगे तो बंदरिया मरे हुए बच्चे को और कसकर सीने से चिपका लेगी । सड़ांध और फैलेगी । (उग्रनाथ)

गुरुवार, 19 मार्च 2020

कोरोना मंदिर

अभी एक ख़ास खबर सुननी, पढ़नी बाक़ी है (ख़ैर अभी सुबह होने में भी तो 12 घण्टे बाकी हैं?)।
कि योगी जी कहीं हज़ार, दो हज़ार एकड़ जमीन दें और कोरोना माता मंदिर का निर्माण सरकारी खजाने से करवायें । (मोदी पीएम से उद्घाटन की घोषणा सहित)!

क्यों नहीं? यह तो जनता के स्वास्थ्य के हित में होगा ?
कोरोना देवी की मूर्ति चीन से बनवाकर मंगवाएँ और स्थापित करें । कितनी ऊँची? इसे पण्डित पुरोहितों से परामर्श कर तय करें । खर्चा जो भी लगे । जनकल्याण का प्रश्न है ।

हम एक हैं

विश्व एक है, विश्व की बीमारियाँ, समस्याएँ एक है , इनका इलाज, समाधान एक है, किसी भी देश से अपने को अलग करके देखना सही नहीं है, कोई भी मसला किसी का आंतरिक मामला नहीं हो सकता ।
यह और इतना तो सिखाया ही करोना माता ने ! 💐

भले भक्त कहें कि गोमाता ने गोबर देकर उन्हें वायरस से बचाया । ☺️
साम्यवादी सकुशल कह सकते हैं कि समाधान अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट, Communist International है ।👌
दुनिया के मजदूरो (पूंजीवाद के संक्रमित पीड़ितो) एक हो !👍

धरती एक है

विश्व एक है, विश्व की बीमारियाँ, समस्याएँ एक है , इनका इलाज, समाधान एक है, किसी भी देश से अपने को अलग करके देखना सही नहीं है, कोई भी मसला किसी का आंतरिक मामला नहीं हो सकता ।
यह और इतना तो सिखाया ही करोना माता ने ! 💐

भले भक्त कहें कि गोमाता ने गोबर देकर उन्हें वायरस से बचाया । ☺️
साम्यवादी सकुशल कह सकते हैं कि समाधान अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट, Communist International है ।👌
दुनिया के मजदूरो (पूंजीवाद के संक्रमित पीड़ितो) एक हो !👍

बुधवार, 18 मार्च 2020

Begone state

What a nonsense? Or a real sense ?
Just see, how the states withered away, fearing a invisible virus!☺️ सारे राज्य राजप्रासादों में सिमट गए ।😊 योगी is undergoing thermal test. Even almighty gods and goddesses are veiled. What a joke? What a nonsense? What a sense? Let the Corona disappear. Let not states prevail again. 👍👌💐

नमस्ते

नमस्ते" उत्तम है । या फिर अभिवादन के लिए जापानी तरीका मुझे अति सुंदर लगता है - दूर से थोड़ा सर झुकाकर, शालीन !👍 आपके सहमति की सदेच्छा !

Stateless ?

Coronascare is leading us to think about the very earlier said - Stateless Society. Make a way for it to come. No state could confront the Virus. Only individuals' precautions (अनुशासन) to replace the pandemic of state dictatorship.👍👌💐

शुक्रवार, 13 मार्च 2020

शरीर से ऊपर

आप औरत हैं या मर्द, मैं नहीं जानता । मुझे नहीं पता और मुझे इससे कोई मतलब भी नहीं । मैं यह कहता हूँ कि आप शरीर से ऊपर सोचो !👍

गुरुवार, 12 मार्च 2020

रामराज्य में


आलोच्य तो फिर भी होगा, लेकिन एक बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है, मिल ही जायेगा कलयुगी लोकतन्त्र को रामराज्य में, यदि उसकी नीति कलयुगी रामभक्त लागू कर पाए तो ।
किसी पुरोहित ने स्मरण दिलाया है, इंगित किया है कि यदि निर्भया के एक ब्राह्मण अपराधी को फाँसी दी गयी तो यह ब्रह्म हत्या होगी जो पाप होगा, इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए ।
तो चलो एक तो पहले बचे फाँसी की सज़ा से, किसी बहाने सही ।

सोमवार, 9 मार्च 2020

जल्दी दबो

दबो कि जिससे
कोई तुम्हारा सर
कुचल न सके !

Dgspn

मैं विचारक नहीं, व्यक्ति हूँ मैं विचारणीय !

विचारणीय उन अर्थों में जिसमें मनुवादी "ताड़न" शब्द का भाव बताकर तुलसी बाबा के dgspn- "ताड़न के अधिकारी" का बचाव करते हैं ।

रविवार, 8 मार्च 2020

महिला दिवस

औरतें तो आज़ाद हो जाती हैं । माँएँ कभी आज़ाद नहीं हो पातीं । ज़िम्मेदारियाँ बहुत बड़ा बंधन है । गुलामी कहिये, उन्हें कहने दीजिये ।

विकल्पहीन

थोड़े में बसर करने के सिद्धांत का कोई विकल्प नहीं दिखता । दिखेगा तो बताएँगे । हमारा तो आज़माया हुआ है । हमारे Divya Ranjan Pathak " निर्विकार" इसके साक्षात उदाहरण हैं ।

To everyone according to his need की सफलता संदिग्ध है, क्योंकि Need की कोई सीमा नहीं है । सीमा हो जाय तो मार्क्सवाद आया समझो ।

आदर प्रेम

मैं प्रेम को ही आदर समझता हूँ और आदर को ही प्रेम समझता हूँ ।
(बतर्ज़ गाँधी जी :- सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है ।☺️)
- - - उग्रनाथ

रामराज्य

रामराज्य का मतलब ब्राह्मण राज है । या फिर ब्राह्मणवादी राज्य कह लीजिए । इसमें संदेह किस बात का ? देख ही रहे हैं । योगी मोदी शाह, सब ब्राह्मण हैं । ब्राह्मण ने तो हमेशा कहा, वर्ण को परिभाषित किया कि ब्राह्मण कोई भी अपने कर्मों से बन सकता है । तो यदि गवर्नर आरिफ़ मुहम्मद साहेब ब्राह्मण बन जायँ तो किमाश्चर्यम ?

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

छुअन

छू लिया तो छुअन का आनंद ग़ायब !

शरीर

ज़िंदगी का इतना सारा वक़्त तो अपना शरीर, इसका रख रखाव ही खा जाता है । दूसरों की सेवा के लिए क्या और कितना समय और अवसर बचता ही है ?

गुरुवार, 5 मार्च 2020

तेरे लिए जीना

जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं वह जल्दी मर जाते हैं । जो थोड़ा दूसरों का भी ख़्याल करते हैं वह ज़्यादा उम्र जीते हैं । ऐसा मेरा काल्पनिक अनुभव है ।