शनिवार, 10 नवंबर 2012

No followers,Custodians of religion

FB friend सुभाष रविन्द्र झा ठीक ही कहते हैं सारी समस्याओं के निदान यहीं छिपे हैं | इस प्रकोण से हमने कुछ विषयों को छुआ तो वाकई मज़ा आया | एक तो यह कि हम प्रायः धार्मिक उत्पातियों के बारे में सोचते है कि ये भला कैसे धार्मिक हैं ? धर्म , इन्ही का धर्म, सिखाता कुछ और है , ये करते कुछ और हैं | अब इसका वैचारिक हल देखिये | मैंने निकाला कि हिन्दू मुस्लिम या कोई भी धार्मिक जन उसके follower ,[अनुपालक] नहीं होते , बल्कि उसके CUSTODIAN [ अनुरक्षक ] को ऐसा धार्मिक कहा जाना चाहिए | तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है , और मानसिक तनाव कम हो जाता है | इस आईने से कई  वैचारिक समस्याएँ और उलझनें सुलझ जाती हैं | हम फिर , तब धार्मिक जनों से इसकी उम्मीद नहीं करते कि वे अपने धर्म का पालन करें | और यदि वे अपने धर्म [ के प्रतीकों ] कि रक्षा में हिंसा पर उतारू हो जाते हैं तो यह बात भी समझ में आने लगती है |    

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