गुरुवार, 2 जनवरी 2014

[ नागरिक पत्रिका ] 1 दिसम्बर से 31 दिसम्बर , 2013

 [ नागरिक पत्रिका ] 1 दिसम्बर से 31 दिसम्बर , 2013

* हमारे सिवा
सब बेईमान हैं
समझे आप ?

* आँखें खोलोगे
तो न सवेरा होगा ,
रौशनी होगी !

* उन्होंने कहा -
ये साले कम्युनिस्ट !
मैंने कहा - हाँ |

* पुण्य तन में
पाप मेरे मन में
पलता रहा |

* कुछ कीजिये
समस्या का हल हो
सुखी जन हों |

* जिस काम को
'गलत काम ' कहें
उसे क्यों करें ?

* वृद्धावस्था में
अखबार पढ़ना
चश्मा पोंछना |

* तुम न आओ
हम क्या कर लेंगे
थोडा रो लेंगे |

* आदमी तो है
मुसलमा हों न हों
हिन्दू हों न हों |

* सेमिनारों में
कहने की बातें हैं
सारी की सारी |

* आम बात है
बलात्कार , क़ानून
की भाषा में तो |

[ कविता ]
 सड़क तुम्हारे लिए
बुहारी जा रही है
गर्द मेरे ऊपर पद रही है ,
धुलाई तुम्हारे लिए हो रही है
छींटें मेरे ऊपर पद रही हैं ,
तुम साफ़ सुथरे
निकल जाओगे
मैं गन्दा हो रहा हूँ !
#    #

( कविता )
* बस इतनी सी बात बेटा ?
यही तो , कि तुम मेरा पैर नहीं छूना चाहते !
प्रणाम करने के प्रतीक ?
यह तुम्हारी पार्टी के रीति नीति और निर्देश के खिलाफ है ?
यह तो बहुत छोटी बात है , बेटा !
बिल्कुल चलो , समय के साथ चलो , प्रगति करो , प्रगतिशील बनो |
यह तो मैं भी चाहता हूँ |
बाप - दादा - चाचा - बाबा का पैर
छूना मना है तो मत छुओ
परंपरा और संस्कार को ,अपने मार्ग
की बाधा , व्यवधान न बनाओ
आगे बढ़ी , सतत तरक्की करो , सुखी रही
यह आशीर्वाद तो हमारा हमेशा रहेगा
तुम्हारे सर पर , मेरे सामने
तुम सर झुकाओ , न झुकाओ |
निश्चिन्त रहो !
#   #


* * जिस आँचल को अभी तुमने बना रखा है परचम सा ,
उसे तुम फिर से जो आँचल बना लेती तो अच्छा था |

* [उवाच ]
हर विषय हर व्यक्ति के लिए नहीं होता |

खाद्य सुरक्षा से पहले ज़रूरी थे यौन सुरक्षा अधिनियम लाना |

* मैं आशंकित हूँ कि क्या सारी बुद्धिमत्ता केवल मेरे पास है जो मैं कहता हूँ कश्मीर में अनुo 370 हटाने की बात करने वाले मूर्ख हैं ? अरे यही तो वह अनुबंध है जिसके ज़रिये कश्मीर भारत में शामिल हुआ था | या कहें शामिल है | इसके हटने पर कैसे कहोगे कि कशमीर भारत का है | एक तरफ यही लोग अधिकाधिक विकेंद्रीकरण की भी मांग करते हैं , दूसरी तरफ राज्य को प्राप्त कुछ विशेष स्वायत्तता समाप्त भी करना चाहते हैं | या तो फिर राज्यों / जिलों / गाँवों को संविधान संशोधन द्वारा मिली विकेंद्रीकृत व्यवस्था को भी ख़त्म करने और पूर्ण केन्द्रित भारत राज्य की मांग करें ! वर्ना तो 370 हटाने से कश्मीर को यह दावा करने का बहाना मिल सकता है कि अब तो हमें हिन्दुस्तान से अलग करो | ज्ञातव्य है कि कश्मीर को हैदराबाद की तरह पटेल ने सैनिक कार्यवाही द्वारा नहीं बल्कि इसी समझौते द्वारा देश में शामिल किया था | क्या मैं कुछ गलत कह रहा हूँ | हमें सर्वसत्तावादी , सर्वाधिकारी नहीं बनना चाहिए | तभी यह विशाल , वैविध्यपूर्ण देश एक रहेगा | मैं तो कहता हूँ भारत के हिन्दू राज्य में तब्दील होने पर भी कश्मीर का यह विशेषाधिकार सुरक्षित रहना चाहिए | हमें विश्वसनीय बनना / काबिले एतबार होना चाहिए | यह श्रेष्ठ राजनय है |

* इधर मेरे कुछ पोस्ट्स को लेकर मित्रों में भ्रम फैला है | त्रुटि उनकी नहीं , मैं लिखता ही ऐसा हूँ | मैं यह कहना चाहता हूँ कि यदि तरुण तेजपाल और ए के गांगुली जैसे लोग जेल जाने की नौबत में में हुए है तो कृपया हम लोग अपने को सुरक्षित न समझें | हम कोई तीस मार खान नहीं है | हम भी उन्ही जैसे हांड मांस के बने हैं और उनसे बेहतर हों कोई ज़रूरी नहीं | हम भी ययाति के ही वंशज है | मेरा आशय यह नहीं कि कोई कन्या हम पर गलत आरोप लगा देगी [ लगा देगी तो भी स्वीकार करना पड़ेगा ] , बल्कि यह कि हमसे भी ऐसी गलती हो सकती है , हम भी पाप कर सकते हैं जो इस समय हाथ में पत्थर उठाये घूम रहे हैं | यह एक साधारण मनुष्य का आकलन है , जो मैं हूँ और तेज - गांगुली से तो बेहतर चरित्रवान नहीं हूँ | इसमें मैं अपने देवता मित्रों को शामिल न भी करूँ तो क्या ?

* हम यह सिद्ध करने के चक्कर में क्यों पड़ें कि ईश्वर नहीं है ? होगा तो होगा , हो तो हो ! बस हम उसे मानते नहीं |
जैसे होने को तो बकरे हैं , मुर्गे हैं , तमाम तरह की मछलियाँ हैं और सब में जान है | लेकिन लोग कहाँ मानते हैं ? मारकर खा जाते हैं |

कहने की बात यह भी है , इंसान हैं हम लोग ;
हम लोग बुद्धिमान हैं , कहने की बात है |
* हिन्दू होना 'कुछ नहीं ' होना है | और कुछ नहीं होना सर्वोत्तम होना है |

* कोई भी जो सामान देता है , उसकी कीमत वसूल करता है |

* लडकियाँ बहुत अच्छी दोस्त होती हैं |  जब तक बलात्कार का आरोप न लगा दें !

* मार गिराएँ खाप पंचायतें सौ पचास लड़कियों को | होने दीजिये दस बीस हजार पुरुषों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड | औरतों का सौन्दर्य , उनका श्रृंगार , उनका सजना संवरना कहीं जाने वाला नहीं है | और उनके प्रति पुरुषों का आकर्षण समाप्त नहीं होगा , न उनका उनके लिए जान देने का सिलसिला ही ख़त्म होने वाला | सेक्स के लिए न सही , प्रेम के लिए ही सही |यह तो सदियों का किस्सा है , था और रहेगा | प्यार भला कब किसी कानून से बंधने वाला ?

* पीडिता पत्रकारिणी महोदय का उपनाम ज़ाहिर हो जाने से उनके सम्मान पर धब्बा लग गया | ज़ाहिर है उनकी ख्याति बड़ी थी तरुण तेजपाल से | इसलिए महिला आयोग ने कथित दोषियों से जवाब तलब कर लिया | लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज का भी सम्मान इतना कम था कि प्राथमिक स्तर पर ही उसे सार्वजनिक कर दिया गया ? क्योंकि वह पुरुष हैं ? कोई " गाँगुली " बताया गया है उनका नाम | मुझे इस पर , पुरुष होने के नाते ही सही , गंभीर एतराज़ है |

* अब तो खैर झड़ी लग गयी है ऐसे आरोपों की | बैंक की मैंनेजर स्तर की महिलायें भी इसमें शामिल हो रही हैं | अच्छा टूल हाथ लग गया है औरतों के हाथ , महिला सशक्तीकरण के लिए, जिसकी कोई काट नहीं है |

* आजकल इतनी सीता सती सावित्रियाँ पैदा हो गई हैं कि आश्चर्यजनक लगता है द्रोपदी युग के दुर्योधनों का इस सतयुग में उदय होना !