बुधवार, 14 नवंबर 2012

चुप रह नागरिक


 [ गलतबयानी ]
* उधर एक केजरीवाल हैं जो रोज़ प्रेस वार्ता में एक बम फोड़ते हैं  , तो इधर हमारी नीलाक्षी जी हैं जो रोज़ फेसबुक पर एक धमाका करती हैं |

* दिलीप मंडल नामक एक जीव इस भूमंडल पर अवतरित हुए हैं | जो ब्रह्मा के पारंपरिक चार अंगों से नहीं जन्मे , न पूरी काया से ही पैदा हुए , बल्कि ये ब्रह्मा की चोटी से सीधे पृथ्वी पर उतरे , जिस प्रकार गंगा शिव की जटाओं से | इनमे विद्यमान है धरती और आकाश का सारा ज्ञान- विज्ञानं, सर से पाँव तक ज्ञान ही ज्ञान | स्वागतम , सुस्वागतम !

* ' यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ' पर नारियों को घोर आपत्ति है | माना जाना चाहिए कि नारियाँ पूजा करने योग्य [थीं या नहीं थीं पर अब ] नहीं हैं | ऐसी दशा में यदि अ-देवताः [ राक्षस या बलात्कारी ] इनके साथ रमते हैं तो किमाश्चर्यम ?

* गोमांस भोज एक अच्छा कार्यक्रम था | एक तो इसमें सामूहिकता की गंध थी | दूसरे, यह सस्ते में निपट भी जाता | सुना है यह अन्य मांसों की तुलना में काफी सस्ता है , इसीलिये गरीब मुसलमान इस पर मुनहसर हैं | तीसरे इस आयोजन से हिंदुस्तान के हमारे पुराने आका अतिप्रसन्न होते , जिन्होंने ब्रिटिश काल से पहले लगभग हज़ार वर्ष हिंदुस्तान पर शासन किया और दलितों की सेवा में तमाम हितकारी काम किया - सब भला ही भला, जिसे ये भुला नहीं पाए | इसी से तो प्रभावित होकर इन्होने अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लडाई में भाग लेना उचित नहीं समझा था | इससे विलग रहे क्योंकि उसमें इन्हें हिन्दू ब्राह्मणों की साजिश नज़र आई |

* कहाँ तो सलाह है कि कुरान की आयतों के सही अर्थ जानने के लिए अरबी भाषा का अच्छा ज्ञान अपेक्षित है | और कहाँ संस्कृत का कुछ भी न जानने वाले यही लोग वेद- पुराण- मनुस्मृति आदि ग्रंथों की प्रामाणिक व्याख्याएँ साधिकार संपन्न किये जाते हैं |
चुप रह नागरिक, इन्हें अपने हँसी- मजाक के कालम में ले |

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