* ज़िन्दगी जीता
कविता बनाकर
यही ज़िन्दगी |
* कुछ खा लिया
कुछ दस्त आ गए
तो क्या हो गया ?
* सामंत वाद
मेरे अक्षुण प्यार
को भी कह लें |
* खल रहा था
जब अकेलापन
सृष्टि रच ली |
* अब जो भी हों
अभी तक नहीं थे
हम अंग्रेज़ |
* अँधेरा तो था
उजाले की तरह
वह चमका |
* निभ ही गया
किसी प्रकार निभा
पर निभा तो !
* तब से अब
दिल का मामला था
दिमाग का है |
* दया कीजिये
गरीब आदमी है
कल दे देगा |
* सबका ही है
कुछ अपना किस्सा
निजी कहानी |
* वह है नहीं
उसे अर्ध्य देता हूँ
जलावतन |
* हम ठीक हैं
संतोषजनक है
हमारी स्थिति |
* अँधेरा तो है
उजाला संभावित
है भी , नहीं भी |
* किसी प्रकार
हँसकर रोकर
जीना है हमें |
* छद्म जीवन
जीना भी एक कला
कोई माहिर |
* अच्छा , तो अभी
कुछ खौफ बाक़ी है
सरकार का !
* उसके आगे
कोई अमीर नहीं
सभी गरीब |
* लिहाज़ जो है
बड़े काम आता है
छोटे बड़े का |
* पूछते लोग
ऊपरी आमदनी
वर चुनते |
* शून्याकाश में
विचरण करता
ध्यान समृद्ध |
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