गुरुवार, 30 जनवरी 2020

मज़ाक

वह मुझसे मज़ाक़ करता है
मैं उससे मज़ाक़ करता है,
उसने मुझे दुनिया में भेजा
मैं उसे भी खींच लाया । ☺️

खुला आसमान

धीरे धीरे खुल रहा है आसमान,
सूर्य निकलेगा तो चाँदनी होगी ।

आया नहीं

जिसके लिए
इतनी तैयारी की,
आया ही नहीं ।

क्रांतिकारी भजन ?

क्रांतिकारी भजन ?
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परभू के गुन गाते चलो,
ईंट से ईंट बजाते चलो । ☺️👍

गांधी को नहीं मारा

मान गए । ज़रूर होंगे मुसलमान जालिम । ज़रूर किया हो सकता है इन्होंने ज़बरन धर्मांतरण कभी पूर्व में ।
लेकिन इन्होंने कभी गाँधी को नहीं मारा । किसी गांधी को नहीं मारा । सरहदी गांधी को भी नहीं । अब्दुल कलाम को कुछ नहीं कहा । और अभी भी मोहम्मद आरिफ़, शाहनवाज़, तारिक फ़तह को कुछ नहीं कह रहे हैं । कोई अपशब्द नहीं । तो, इससे क्या निष्कर्ष निकाला जाय ?
कोई अपवाद हो तो बताएं । मैं अपनी धारणा बदल लूँगा ।
(गांधी बलिदान दिवस पर विशेष)

राजनय

समझ में नहीं आया कि यह लोग इतनी बड़ी डिप्लोमेटिक, राजनयिक गलती क्यों कर रहे हैं ? यदि यह पाकिस्तान से पीड़ित हिंदुओं के साथ मुसलमानों को भी आने देते तो दुनिया में यह कहने को हो जाते और पाकिस्तान इससे बदनाम होता कि देखो पाकिस्तान में मुसलमानों पर भी जुल्म हो रहे हैं, और भारत उनको शरण दे रहा है । है न मेरा भारत महान !
ऐसा यह लोग क्यों नहीं कर रहे हैं, बल्कि न करने की ज़िद पर अड़े हैं, इसका कारण समझ में नहीं आता !

क्षमादान

निर्भया कांड के बाद आसाराम बापू ने कहा था कि यदि निर्भया उनको भैया कहकर पुकार देती तो वे उसके साथ निर्दयता ना करते और छोड़ देते ।
तो उसी धुन, आशा और प्रत्याशा पर यदि आज चारों अपराधी राष्ट्रपति को, न्यायाधीश को, भारत सरकार को माई बाप कह कर गिड़गिड़ाए, तो उन्हे छूट मिल जानी चाहिए ना ? 👍

बुधवार, 29 जनवरी 2020

मुस्लिम इस्लाम

जब आप बहुत इस्लाम और मुसलमान का जाप करते हैं तो जानते हैं क्या करते हैं ? और आप जान भी नहीं पाते ।
कि इस प्रकार आप इनकी मजबूती को, इनकी ताकत को वैधता और मान्यता प्रदान करते हैं ! बल्कि और बल प्रदान करते हैं ।
इससे पता चलता है कि आप इनसे न केवल जलते या खार खाते हैं बल्कि इनसे आप डरते हैं । वरना यदि आप शक्तिशाली हो तो इनसे भला क्या डर होता इनसे? क्या डरना इनसे ?
या किसी भी मनुष्य या किसी सिद्धांत-वाद- धर्म से?
आप सचमुच अपनी आध्यात्मिक कमज़ोरी, विवशता का प्रदर्शन करते हैं । अपने विवेक बुद्धि पर भरोसा नहीं है क्या ?
तो भाई , भय,जलन, ईर्ष्या, द्वेष छोड़िए । डर के आगे ही जीत है । डर गए तो समझो मर गए ।

हाइकु

सोचता तो हूँ
सब गलत नहीं,
कुछ अच्छे भी ।

अख़लाक़ की बात

"चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों"
यह कोई फिल्मी गाना ही नहीं है
बल्कि इसमें मानव व्यवहार का एक कुशल गुण-मंत्र निहित है।
यदि हम किसी से परिचित हैं तो जब दूसरी बार मिले तो लगभग आप अपरिचित ही रहें
ऐसा न दिखाएं, प्रकट करें, गाएं, सुनाते फिरें कि आप  उनकी नाक के बाल हो जाएं। अरे, हम तो इनके बहुत घनिष्ठ, खासुलखास हैं
इससे उनको परेशानी होगी
और यदि आप भी दुनिया को यह बताते फिरें कि हम उनके बहुत अजीज हैं,  तो आप भी परेशानी में पड़ सकते हैं । थोड़ी दूरी हमेशा ही अच्छी होती है ज़्यादा लंबे, स्थायी सम्बन्ध और सही जिंदगी जीने के लिए ।

Citizens' action

Citizens should act and react as if they are in power.

बेशर्मी

एक हद तक बेशर्मी श्रेयस्कर है ।

Hinduism

Reverse of Islam is Hinduism today.

मंगलवार, 28 जनवरी 2020

ज़ुल्म

ज़माने ने
बड़े जुल्म देखे हैं
उनके आगे
यह क्या है
जो मेरे ऊपर
तारी हुआ है ?😢

चल तो रहा हूँ ।

कविता?
चलने की तैयारी
करता रहता हूं तो लगता है
कि चल ही तो रहा हूं ।
मेरे पास कई झोले हैं
कई आकार और प्रकार के
विभिन्न,
कम या ज्यादा सामान ले जाने के लिए
मैं तैयार रहता हूं
मेरे पैर नहीं चलते
केवल मेरा दिमाग चलता है
तो चल ही तो रहा हूं
मैं चलने की तैयारी करता रहता हूं
तो लगता है कि मैं चल ही तो रहा हूं ।
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(उग्रनाथ नागरिक)

गुनगुनी धूप

एक पखवारे से मैं अंदर अंदर बड़े अवसाद में हूँ । पता नहीं कब तक रहूँगा । एक 7 साल की बच्ची ने अब बड़ी होकर, तब 81 वर्ष के बुजुर्ग लगभग विक्षिप्त हुए अति सम्मानित महा जनकवि बाबा नागार्जुन पर जो दुर्व्यवहार का आरोप लगाया उससे मैं आहत हुआ । यह दुर्घटना मेरे दिमाग़ से उतर ही नहीं रही है । कौन सही कौन गलत तय ही नहीं कर पा रहा हूँ । समझ में नहीं आता मैं बाबा की तरफ से शर्मिंदगी महसूस करूँ, उस पाप का पश्चाताप करूँ, या साहित्य-संस्कृति विभाग की ओर से आरोपकर्ता के ऊपर मानहानि का मुकदमा ठोंकूँ ? बाबा के उत्तराधिकारी सारे नर नारी कवि लेखक साहित्यकारों की चुप्पी अप्रत्याशित है ।
अनिर्णय और क्षोभ की दशा में मैंने दो काम किये । एक तो बाबा की नज़ीर देकर मैंने इधर मृत्युदण्ड प्राप्त अपराधियों के लिए क्षमादान की माँग की । (जब बाबा जैसी हस्ती ऐसा करने पर विवश हुई तो उन लफंगों की क्या सांस्कृतिक हैसियत?)
दूसरे - फेसबुक पर किसी महिला मित्र के पोस्ट को Like/Comment, प्रतिक्रिया बिल्कुल बन्द। इनसे दूर रहने में ही अपनी इज्ज़त की सुरक्षा है । इनके प्रति मेरी दृष्टि तीखी हो गयी है । Sorry, Very sorry!😢

उम्रदराज़

कुछ उम्र गुज़ार लेना भी शिक्षा का एक तरीका होता है !

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

हिन्दू जिन्ना

हम मुसलमान नहीं हैं कि जिन्ना कह दें और हम देश बाँटकर पाकिस्तान बना लें ! और आप जिन्ना की भूमिका में हो, हिन्दू जिन्ना । हम देश बाँटकर हिंदुस्तान नहीं लेंगे । हम देश को बँटने नहीं देंगे !

क्रांति की पाठशाला

मैं क्रांतिकारी बनूँ, इससे बेहतर होगा मैं क्रांतिकारी बनाऊँ । अनगिनत, अगणित ! हम अकेले कितनी क्रांतियाँ सँभालेंगे ? कारगर होगा "जितने लोग उतनी क्रांतियाँ" की रणनीति । जिससे क्रांति चलती रहे । किसी व्यक्ति- विचारधारा के बाद रुक न जाये ।

जननी कौन ?

तीन हाइकु
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कहाँ जाते हो
मंदिर में घण्टा है
बहुत टंटा !
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अच्छे दिन का
इंतज़ार ख़तम
नहीं आएँगे !
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हाँ,अवस्था तो
आपत्तिजनक है,
जननी कौन ?

सोमवार, 20 जनवरी 2020

असली रजिस्टर

https://www.facebook.com/groups/147949709310396/

परेशान नागरिक

मुझे डिमोक्रेसी से कुछ परेशानी हो रही है । इसमें नागरिक को बहुत सचेत, जागरूक रहना पड़ता है । हर समय देखते रहो, सरकार कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रही है ? करे, तो फौरन घर से निकलकर धरना प्रदर्शन करो, गला फाड़कर चिल्लाओ, और पुलिस के डंडे खाओ, और जेल की हवा ।😢 हरदम सशंकित रहो । बिल्कुल Watchdog, कुत्ते की तरह ज़िंदगी ! ठीक से सोने को नहीं मिलता । और सोओ भी तो कुकुरनिंदिया । ज़रा सी आहट पर जाग कर चौथा खम्भा पकड़कर भोंको (कुत्ता और खम्भा हास्यपरक युग्म है 😢), मेरा मतलब पत्रकारिता से था । है न परेशानी की बात ?

शूद्र हिन्दू

By - Hirday Nath
जातिवाद का सच क्या है ???
अंग्रेज़ी दैनिक (Hindustan Times, 22 September,2014) की रिपोर्ट के अनुसार ,राष्ट्रीय स्वयम सेवक सघं की नवीनतम थ्यूरी के अनुसार हिन्दू धर्म में लेश मात्र भी ४ वर्ण पर आधारित घृणित छुआछूत जन्य जातिवाद नहीं है.वह तो केवल मुस्लिम राज्य के समय मल्लेच्छों की देन है.
यूं तो जातिवाद हिन्दू धर्म के प्रत्येक ग्रन्थ का अभिन्न अंग है,परन्तु मैं यहां केवल ब्रह्म सूत्र से सम्बन्धित विषय पर संदर्भ प्रस्तुत कर रहा हूं जिन की रचना भारत में मुस्लिम राज्य से कई शताब्दीयों पहले हुई थी और न ही भाष्यकर्ता रामानुज मल्लेच्छों का पक्षपाती था.
# शूद्र का वेद सुनना वेद पढना अर्थ समझना एवं अनुष्ठान निषिद्ध हैं.
# शूद्र चलता फिरता शमशान है,उस के समीप वेद नहीं पढना चाहिए.
# शूद्र पशु सदृश है.
# यदि शूद्र वेद को सुन ले तो राजा उस के कानों में सीसा व लाख पिघला कर ड़ाल दे.
# यदि शूद्र वेदमंत्र का उच्चारण करे तो उस की जीब काट देनी चाहिए.
# यदि शूद्र वेद मंत्र को याद कर ले तो उस का शरीर चीर देना चाहिए.
# शूद्र को धर्म अथवा व्रत न सिखाओ.
टिप्पणी ;यदि हिन्दुत्व वादी सचमुच समाज में मानवतावाद पर आधारित बन्धुत्व और एकता स्थापित करना चाहते हैं तो उन्हें ऐसे सभी गन्थों का बहिष्कार करना चाहिए,क्योंकि इस प्रकार की मानसिकता भारतीय संविधान के अन्तरगत नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की घोर उल्लंघना है.देरी काहे की ?सरकार भी तो उन्ही की है.

बाबा नागार्जुन का "चूल्हा रोया"!

मैं इंदिरा जयसिंह की भाँति अपराधियों के मृत्युदण्ड से क्षमा किये जाने की वकालत करता हूँ, अलबत्ता उनका कृत्य जघन्य था । लेकिन उनकी फाँसी से यह अपराध समाप्त न हो जायेगा , धड़ाधड़ हो रहे हैं, कानून के बावजूद। इसका निदान कहीं और मसलन शिक्षा में है । वह तो ही नहीं रहा।
तो भी बहुत भुगता इन नासमझों ने 7 साल जेल में रहकर । पर्याप्त यातना सह ली । एक ने तो आत्महत्या कर ली, इन्हें भी अवसर मिलता तो कर लेते । इनकी भी पीड़ा समझनी चाहिए । जब 81 वर्ष के महाजनकवि नागार्जुन 7 साल की गुनगुन थानवी से कुछ कर सकते हैं तो उन लफंगों की क्या मानसिक, नैतिक हैसियत थी ? उन्होंने अपराध किया उन्होंने भुगता । मैं अपनी सोच में if-but लगाने वाला 'लेकिनवादी" नहीं हूँ । मैं मृत्युदण्ड और आँख के बदले आँख का विरोधी हूँ । इसलिए क्षमादान माँगना मुझे वाजिब लगा, तो लिख दिया । यूँ फाँसी देना, न देना मेरे हाथ में तो है नहीं । इन जीवों को मारकर जिन्हें खुशी हो उन्हें मुबारक़ । 😢
#चूल्हारोया

सोमवार, 13 जनवरी 2020

मंदिर वहीं बनाएँगे ?

#मंदिरनहींजाएँगे। आंदोलन ! (MNJ Movement)?
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साथी प्रो दिलीप मंडल / अशोक भारती का Twitter पर यह Hashtag बड़ा trend हो रहा है । मुझे अच्छा लगा और मैं इसके पक्ष में इसका समर्थक हूँ ।
मैं नास्तिक हूँ कहने से ज़्यादा acceptible है "अनाराधक" बताना । और उससे भी ज़्यादा सरल शब्दों में है यह कहना, घोषित ऐलान करना कि "मंदिर नहीं जाएँगे" ! ईश्वर है/नहीं है, ईश्वर को हम मानते हैं या नहीं मानते इस सबसे परे विवाद बखेड़े से हटकर है बस "मन्दिरनहींजाएँगे" !
आप लोगों की क्या राय है ? क्या उचित न होगा इस आंदोलन को चलाना ? देशव्यापी बनाना । मेरे ख्याल से हमें अपने घरों, वाहनों या प्रदर्शित स्थानों पर इसका sticker लगाना चाहिए । और सारे बहस विवादों से मुक्त होकर इस प्रकार धीमे से, हौले से नास्तिकता का प्रचार करना चाहिए । इससे किसी का द्वेष कोई झगड़ा भी नहीं है । बस हम मंदिर नहीं जाते/ मंदिरनहींजाएँगे ।
आपका - उग्रनाथ नागरिक 👍👌
इसे ज़िद्दी जमात (अनाराधक संघ) में भी डाला है ।
लोग हमें नास्तिक आस्तिक खाने में न डालें । बस #मन्दिरनहींजाएँगे । ☺️👍💐👌