मंगलवार, 13 नवंबर 2012

बहाना


                " बहाना "
* शाम घिरने को थी | दो आदमी गुमसुम एक बेंच पर बैठे हुए थे , रेलवे स्टेशन पर गाडी की प्रतीक्षा में | दोनों के पास बात करने को कोई विषय नहीं था | तभी पटरी पार सामने के घर में एक दिया जला , एक छुरछुरी जगमगाई , एक पटाखा दगा |
एक ने कहा - आपको दीवाली मुबारक !
दूसरे ने कहा - आपको भी !

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