ब्राह्मणवाद का दोष ही दोष ;-
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यह घोषणा करना अत्यंत समीचीन होगा कि संसार की सारी बुराइयों , समस्याओं की जड़ ब्राह्मणवाद है | भारत की वर्ण व्यवस्था , जाति प्रथा का तो वह शाश्वत, प्रामाणिक गुनहगार है ही, अमरीका में जो रंगभेद था , उसका भी कारण यही नालायक व्यवस्था थी | अंग्रेजों ने तमाम देशों को गुलाम बनाया हुआ था वह भी इसी के निर्देश पर था | जालियाँवाला काण्ड भी इसी ने कराया | यहूदियों के बारे में इस्लाम की जो 'ख़ास ' दुर्भावना है, वह भी उनकी पवित्र किताबों में ब्राह्मण ने ही दर्ज किया और फरमान जारी किया | उसमें इस्लाम का कतई , रत्ती भर दोष नहीं है | कोई अन्य दोषी हो ही नहीं सकता ब्राह्मणवाद के अतिरिक्त | तदन्तर अमरीका द्वारा विएतनाम - ईराक - अफगानिस्तान आदि मुल्कों पर हमला , अरे वह तो भूल ही गया , हिरोशिमा - नागासाकी क्या अमरीका की करामात थी ? जी नहीं , वहाँ ब्राह्मणवाद काम कर रहा था | तुर्कों का भारत पर हमला, मुगलिया शासन ,हिटलर का नाजीवाद कुछ नहीं केवल ब्राह्मणवाद के ही आयाम थे | मुंबई में बाल ठाकरे का मराठावाद तो ब्राह्मणवाद है ही , आस्ट्रेलिया सरीखे देशो में भारतीयों / विदेशियों के साथ जो हिंसा / मारपीट की घटनाएँ हुयीं , कश्मीर का अलगाव वाद , नक्सली हिंसा ,पाकिस्तान में हिन्दुओं / हिन्दू लड़कियों के साथ जो निर्मम व्यवहार , और जो मलाला के साथ , वह सब ब्राह्मणवाद से पृष्टपेषित था | और ९/११ , ताज होटल - संसद भवन पर हमला सब ब्राह्मणवाद के ही तहत हैं | और तमाम घटनाएँ जो हुईं , जो होंगी , जो रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं , सब ब्राह्मणवाद से ही ताक़त पा रही हैं, पाती रहेंगीं |
अब प्रश्न यह है कि सारे ब्राह्मणवाद का दोष क्या भारत के उसी भिक्षाधनिक , वेदपाठी दुबले पतले , दो हाँड़ के ब्राह्मण द्वारा ही प्रतिपादित सिद्धांत का है या हो सकता है , और इसमें किसी लोकतंत्र , राजा - रानी शाही , किसी इस्लाम ,न किसी ईसाइयत , किसी अन्य दर्शन का कोई दोष नहीं है ? तब तो मानना पड़ेगा ब्राह्मणवाद का जलवा जिससे दुनिया का कोई भाग - प्रभाग अछूता नहीं है , जिसे कोई मिटा नहीं पाया, जिसका कोई बाल बाँका नहीं क्र पाया ! या , कहीं ऐसा तो नहीं कि भेदभाव , अमानुषिक व्यवहार एक राजनीतिक विश्व व्यवहार [ world phenomenon ] है , जिसे हम ब्राह्मणवाद के ऊपर थोप कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुकर जाना ज्यादा आसान समझते हैं ?
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