शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

नमाज़ की तरह


* ज़िन्दगी जियो
नमाज़ की तरह
पूजा की भाँति |

* क्या ज़रूरी है
बड़ा लेखक होना
छोटा ही काफी |

* कितने आये
अधर्म मिटाने को
कितने गए !

* जीने की ज़िद
बनाएगी नैतिक
नर नारी को |

* दुस्साध्य होता
बराबरी का रिश्ता
उसे निभाना |

* पैसे की तंगी
कुछ भी करा देती
जो न करा दे !

* अब मुझसे
यह गलती हुई
कि सच बोला |

* अकेले हो  [4]
अकेले रहो  [5]
अकेले रहोगे  [6]
[प्रयोग]

* कमाई ही तो
बढ़ाती मँहगाई
दो नम्बर की !

* सब चोर हैं
यह मान लेना भी
भ्रान्ति पूर्ण है |

* सामान रहे
सम्मान रहे न रहे
जग की रीति |

* जिसको चाहा
आभासी पन्नों पर
मित्र बनाया |

* कौन किसी की ,
, मेवा मिले न मिले ,
सेवा करता ?

* स्वीकार भाव
बहुत बड़ी बात
महान गुण |

* न दस्त आया
न पेचिश पड़ी है
सुहानी घड़ी |

* बिना प्रयास
मुकम्मल आदमी
मैं होता गया |

* सबसे अच्छे ,
, जो लोग झगड़ते ,
दोस्त होते हैं |

* कितनी चिंता
तन - मन - धन की
आखिर करें ?

* तो बताइए ,
अकेले क्या करते
एकलव्य जी ?

* कोई भी पाप
छोड़ना न चाहिए
करना शेष |

* विश्वसनीय
हूँ, पर किसी पर
विशवास नहीं |

* किसने देखा
अकेले में प्रार्थना !
रोड शो जारी |

* सरदार जी ,
खासियत है , वे हैं -
चुटकुलों में |

* मैं खुद बना
, समाज ने बनाया ,
मेरे बच्चों को |

* एक ज़िन्दगी
बस उनकी याद में
गुजारूँगा  मैं |

* एक ज़िन्दगी
उनकी याद में ही
गुज़र गयी |

* अननुभूत
अब चिर थकान
सो जा मसान |

* चुप रहना
साधक के लक्षण
कम बोलना |

* कहना और ,
हे जातक मनुष्य !
करना और |

* सरल तो हूँ
पर इतना नहीं
कि कुत्ते चूमें |

* साले हरामजादे  
[यह सात अक्षर हो गया ,
इसके पहले पाँच,
इसके बाद में पाँच अक्षर
लगा कर हाइकु बनाया
जा सकता है ]
इसी प्रकार " कोई उम्मीद नहीं "
भी सात अक्षरों का है | क्या
गजल- गीतों की तरह हाइकु
में भी ' समस्या पूर्ति ' की प्रथा
शुरू की जा सकती है ?

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