हम अनीश्वरवादी , मानववादी सदा से ही मनुष्य को सर्वोच्च स्थान देते हैं , देने की वकालत करते हैं | लेकिन मैं इस "मनुष्य" को उलटे कामा में भी रखना चाहता हूँ क्योंकि मनुष्य खालिस मनुष्य नहीं होता | सच है कि वह मूलभूत रूप में मान्य है एक मानव के रूप में | लेकिन अनुभव कुछ विपरीत सन्देश भी देते हैं | मैंने जब अब्राहम लिंकन का पत्र उनके बेटे के अध्यापक के नाम पढ़ा था तो उस पर आशंका मेरे मन में थी [ तब मैं मानव - प्रेम में अँधा था ] , लेकिन अब लगता है कि लिंकन ने बड़ी अनुभवजन्य बात कही थी | कि दुनिया में सभी आदमी भले ही नहीं होते | आदमी बुरा भी है , और उससे सावधान रहने कि ज़रुरत है |
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