शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

कहना चाहूँ

* कहना चाहूँ
ईद मुबारक़ भी
शुभ दिवाली !

* अब तैयारी
छोटे युद्ध की नहीं
महाकूच की ।

* मुझसे मिले
वे बड़े होते गए
मैं झुक गया ।

* बैंक बैलेन्स
कोई लूट न ले ,
शून्य रखता ।

* आसन होता
खिलाफत करना
निभाना नहीं ।

* असर नहीं
कोई नाराज़ हुआ
कोई हो खुश ।


* दलित जन
अपनी सोच में तो
बेईमान हैं ।

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