पुरुष दुष्ट होते हैं तो दुष्ट औरतें भी होती हैं | इसी प्रकार सभी दलित अत्याचार के शिकार के नहीं होते , न सभी ब्राह्मण अत्याचारी होते हैं | लेकिन स्त्री और दलित आन्दोलन एक एक पक्ष को लेकर चल रहे हैं और सामान्य , सार्वजनीन चिंता को व्यक्त नहीं करते | क्या किया जा सकता है ? पर हम पाठकों को तो सोचना चाहिए और संतुलित रहना चाहिए |
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