रविवार, 21 अक्तूबर 2012

भ्रष्टाचार के रोना

* भ्रष्टाचार के रोना मैं तब से सुन रहा हूँ जब फिल्म बाबी में चंचल ने वह गाना गया कि झोले में पैसा ले जाते हैं और जेब में सामान लाते हैं | तब से मंहगाई तो बढ़ती गयी , मंहगाई का रोना और आन्दोलन भी बढ़ा | पर किसी के जीवन स्तर में कोई कमी नहीं आई | देखिये ब्यूटी पार्लर , आइस क्रीम, चाट , चाय -काफी , मुर्गा मछली , रेडीमेड कपड़ों की दुकानें और बाजारों की भीड़ ! तब से जेवेलरी की दुकानों में भी खूब इजाफा हुआ है | कहाँ है मंहगाई ? यह किसके लिए बढ़ी है ? कुछ असमंजस है , कुछ अविश्वसनीय | 

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