* ब्राह्मण और वेश्या दोनों नीच कर्म में लीन हैं , तथाकथित | फिर भी ये व्यवसायरत हैं तो क्यों ? मैं सोचता हूँ - इसका कारण यह है कि दोनों समाज की बड़ी आवश्यकताएँ पूरी करते हैं | ब्राह्मण मन के भ्रम के कर्मकांड संपन्न कराता है , तो वेश्या तन के छद्म को शांत करती है |
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