गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

राष्ट्र पिता तय करेंगे या राष्ट्र - पीढ़ियाँ बनायेंगे ?


राष्ट्र पिता तय करेंगे या राष्ट्र - पीढ़ियाँ बनायेंगे  ?
कुछ विद्वान काफी पी पी कर अपने लिए राष्ट्र पिता चुनने में लगे हैं | मानो हर व्यक्ति एक राष्ट्र हो और सबके पिता अलग अलग | गाँधी जी को किसी ने इसलिए यह उपाधि दी और वह इसके पात्र भी थे क्योंकि गाँधी का राष्ट्र सर्व समावेशी था | उसमे सभी वर्गों के लिए स्थान था | फिर उन्हें राष्ट्र पिता मने जाने या न मने जाने से तो कोई राष्ट्र की समस्या तो हल होने जा नहीं रही है | सवाल यह है की पिता , दादा , परदादा , नाना , परनाना चुनने और परिवर्तित करने में लगेंगे या आने वाली पीढ़ियाँ बनाने की सोचेंगे ? एक पुत्र के रूप में हमारा क्या कर्तव्य मानता है ?

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