कोई प्रगतिशील कवि क्या इस विषय पर भी कविता लिख सकता है ? यथा , हे जानवर ! भेंड , बकरा , ऊँट या तुम्बा ! तुम्हे तो कुर्बान होना ही है अल्लाह की राह में - हजरत इब्राहीम के हाथों , बेटे हजरत इस्माइल की जान बचाने की खातिर | या इसी प्रकार कुछ - - -
नहीं , कोई नहीं लिखेगा | यह कोई हिन्दू सीता , शम्बूक , एकलव्य , पन्ना दाई का मामला नहीं है , जिस पर कलम चलाते इनके हाथ नहीं थकते ?
PS - मैं कुछ गानों की सूची बना रहा था , इस प्रश्न के साथ कि क्या ऐसी कविताएँ भी वामपंथी साहित्यकार लिख सकते हैं ?
* दमादममस्त कलंदर / छाप तिलक - - [ खुसरो ]
* सूली ऊपर सेज पिया की - - - [ मीरा ]
* लगता नहीं है दिल मेरा - - [ ग़ालिब ]
* सरकाय लाओ खटिया / आरा हीले छपरा हीले - - [ लोक गान ]
सूची अधूरी है , फिर भी पोस्ट कर रहा हूँ |
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