शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

सैफ - करीना की शादी


अब  कुछ बेफ़िज़ूल की भी बात हो जाय |
कल मित्र जी चिंतित थे कि दारुल उलूम ने सैफ - करीना की शादी को अमान्य कर दिया | अब चिल्लाये होत का जब फतवा उड़ा अकास | जब मैं कहता हूँ , और यह अख़बारों की भी भाषा है कि यह ' समुदाय विशेष ' है , तब तो मानते नहीं ! खैर उसे छोडिये क्योंकि उनके तरफदार हर हॉउस , हर ग्रुप में उनकी अपनी कुल जनसँख्या से भी ज्यादा है | फिर भी , इस पर दो तीन बातें उठती हैं | एक तो यह कि यदि अपना भी कोई " दारुल इंसान " जैसा संगठन होता और उसके मौलाना संदीप बाबू होते तो क्या वह आवाज़ न उठाते कि कामन सिविल कोड के तहत यह विवाह जायज़ है | तब तो वह चाहते तो हर सजातीय विवाह पर यह फतवा जारी कर सकते थे कि वह विवाह अवैध है और इनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए | ऐसी उनकी आकांक्षा भी यत्र तत्र प्रकट हुई है | लेकिन नहीं , इसी आशय का जब मैंने समूह मनाया 'सेक्युलर नागरिक ' यानि वैकल्पिक धर्म का , तब किसी ने ध्यान नहीं दिया | दर असल मेरे जैसे महान दार्शनिक को कोई तरजीह ही नहीं दे रहा है | लेकिन इसका दोष उन पर नहीं है | अपनी इस अवस्था के लिए मैं स्वयं ज़िम्मेदार हूँ | क्योंकि मैं सौ साल आगे की बात करता हूँ , और ज़ाहिर है सब अपने समय को जी रहे हैं | तो कैसे समझें मेरी बात | उलटे मुझे हतोत्साहित करते हैं | मुझे क्या है , उनकी मौलाना की गद्दी खुद ही छूट जायगी |
दूसरी बात | यदि सैफ - करीना मेरे बदमाश चिंतन का अनुसरण करते तो उन्हें चाहिए था कि वे किसी डमी दूल्हा / दुल्हन से वैध - सामाजिक विवाह करते | सैफ किसी मुस्लिम लडकी से और करीना अपनी जाति के लड़के से | वे तो इतने समृद्ध हैं कि वे तो अपने लिए दूल्हा / दुल्हन खरीद भी सकते थे | किसी को कोई आपत्ति न होती | दारुल उलूम भी मस्त - खुश होता | अब ये बड़े आराम से बिस्तर सम्बन्ध बनाते और अंतर धार्मिक बच्चे पैदा करते | हाथी के दांत दिखाने के और , खाने के और होते | धर्मों को अंगूठा दिखा कर कहते - ले , तू डाल डाल , तो हम पात पात | प्रगति की उपलब्धि यह होती किउनकी संतानें जींस , डी एन ए के अनुसार वस्तुतः तो अंतरजातीय होते | जिस वंश - कुल की शुद्धता का ढिंढोरा पीता जाता है , वह तो विनष्ट होता ! होगा तो अब भी पर चीख पुकार के साथ | फिर ऐसा करने का साहस हर जोड़ा तो कर नहीं सकता | जब कि मेरा फार्मूला सार्वजनिक  है और उसे कोई भी अपना सकता है - चोरी छुपे , लुका छिपे तो राम को भी बाली को मारना पड़ा था , और शिखंडी को समक्ष करके भीष्म को भी मारा गया था |
अब तीसरी बात | थोड़ी गंभीर हो जायगी इसलिए कहने से डरता हूँ | मूर्खता तो नहीं कहूँगा , विडम्बना की हद देखिये धर्मों की | कि करीना यदि कुछ शब्द उच्चारण कर दे तो वह मुसलमान हो जायेगी , भले उसका आचरण  कितना भी गैर इस्लामी हो | और यदि वह कलमा नहीं पढ़ती है तो मुसलमान नहीं हो सकती , भले उसका व्यवहार  कितना भी इस्लामी हो | बस आमीन , अब आगे नहीं बोलूँगा |

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