मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

नया नज़रिया



तरक्की को चाहिए नया नजरिया,
यथा -
कैसे अखबार बिके ,
कैसे बाज़ार बढ़े ?
बाज़ार में सामान बिके ,
बाज़ार का व्यापर बढ़े ?
कैसे मिले विज्ञापन ?
कैसे इनामी कूपनों द्वारा
पाठकों की जेब कटे ?
चाहे वह जो भी पढ़े ,
चाहे बिलकुल न पढ़े |
कैसे बाज़ार चढ़े ?
तरकी को चाहिए -
नया नज़रिया |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें