बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

हम तुम्हारे ख्याल में हैं


१ - एक भूख प्यास , एक शौक या विलासिता कहिये , जो मैं एक अखबार आने देता हूँ घर पर | वरना क्या मिलता है उसमे ?

२ - अमीनाबाद बाज़ार में हर एक इंच ज़मीन का उपयोग किया जाता है | हिंदुस्तान की मितव्ययिता , किफायतशारी का पोर नमूना | पहले तो दूकान , फिर उसके साज सामान आगे तक बढ़ा लिए गए | फिर सामने की जगह किसी अस्थाई दुकानदार को दे दिया गया | अब उसके भी सामने एक ठेला खड़ा होने की जगह तो है ही | सड़क के दोनों और से ऐसा हो चुका तो ऐसे ठेले वाले भी तो हैं जो रुकते नहीं , चलते रहते हैं | इसे अतिक्रमण तो कहा नहीं जा सकता ! इसके अलावा हैं हाथ में सामान - मेक्सी . टाई आदि बेचने वाले विक्रेता | अब जब इतनी दुकानें हैं तो इन्हें खरीदने वाले खुद तो MBBS मियाँबीवी बच्चों सहित हैं ही , होने ही चाहिए | और उनकी साइकिलें - मोटर साइकिलें भी होंगी | तो हर एक इंच ज़मीन इस्तेमाल करने की दशा यह कि आने जाने वा
लों के लिए बस उतनी ही जगह बचे जिससे वे किसी तरह , थोडा शरीर छीलते हुए निकल सकें | क्या यह कम है ? थोडा धीरे चलना पड़ता है , पर , तेज़ चलेंगे तो दुकानों के सामान कैसे देखेंगे ? सम्हाव है कुछ खरीदने की इच्छा बलवती हो जाय , मेमसाहब किसी दूकान पर ठिठक जाएँ , या बच्चा किसी वस्तु के लिए मचल जाए |

* गावों के लिए न शौचालय चाहिए न खेल के मैदान | वहाँ केवल सड़कें चाहिए जिसका इस्तेमाल इन कार्यों के लिए किया जाता है | और वह मूलतः सड़क तो है ही | एक पंथ तीन काज |

* गीताभ्यास -
हम तुम्हारे ख्याल में हैं ,
तुम हमारा ख्याल रखना |

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