शनिवार, 1 दिसंबर 2012

चेहरा छिपाए बैठे है


* ज़िन्दगी का एक छोटा सा काम बाक़ी है ,
अपने छोटों का अभी एहतराम बाक़ी है |

* मैं तो झूठा था मुझे कह तो दिया है तुमने ,
किन्तु यह तय कहाँ हुआ कि आप सच्चे हो ?

* फेस बुक पर चेहरा छिपाए बैठे है ,
झूठ कहते हैं - बड़े खैरख्वाह हैं मेरे |

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