रविवार, 2 दिसंबर 2012

मन भटका


* मन भटका
फिर मन भटका
वापस आ रे !

* कविता लिखी
कविता का शीर्षक
न सोच पाया |

* वह मुझसे
कहीं दूर नहीं है
यह देखो न !

* रूह वाले हैं
रूहानी ताकतें हैं
हमारे पास |

* छिन न जाए
पत्नी कि गद्दी , इसी
में फिक्रमंद |

* मैं जानता था
सफलता का मन्त्र
श्रम करना |

* [ स्थानापन्न ]
रिश्तेदारियाँ
पुरानी हटती हैं
नई आती हैं |

* [ अहं थिंकामि ]
मैं सोचता हूँ
मूक होंहि वाचाल
तो क्या बोलते !

* दृढ़ व्यक्तित्व
नहीं होता जिसका
ही ही करते |

* देखें तो जब
देखने लायक हो
देखना क्या है ?

* औरतें होतीं
औरत स्वाभाव की
क्या कीजियेगा ?

* खाली नहीं है
खतरे से , विधर्मी
बातें करना |

* जोश में होश
खो देती नई पीढ़ी
जो ठीक नहीं |

* हँसी मजाक
कभी कभी घातक
अकरणीय |

* सारा कमाल
ब्यूटी पार्लर का है
आप का क्या है ?

* ब्यूटी पार्लर
कमाल करते हैं
रंकी को रानी |

* [ साहित्य तो हो ]
उठाता तो है
साहित्य आदमी को
जो आदमी हो !

* सब उधार
अभी बाक़ी है देना
जीवन अंत |

* जाओ सो जाओ
शादी हो गयी हो तो
अन्यथा जागो |

* क़त्ल कीजिये
कह दीजिये - ' सॉरी '
बात समाप्त !

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