शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

कामता नाथ जी


* भीड़ तंत्र के विरोध में
है तो एक छोटी सी भीड़ ,
लेकिन किसी की मृत्यु पर
भीड़ ही बताती है
उसकी लोकप्रियता |
अभी मैं कामता नाथ जी के
घर जा रहा हूँ
कल रात उनका देहांत हो गया |
कहानीकार थे ,
मुझसे बारह साल बड़े ,
उन्हें मैं सारिका के ज़माने से ही
जानता था , फिर लखनऊ आने पर
उन्हें देखा | वह वरिष्ठ थे,
मैं उनके निकट नहीं था |
उन्हें श्रद्धांजलि |

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