बुधवार, 5 दिसंबर 2012

अमौसी


[ बदमाश चिंतन ]
* रेडीमेड कपडे खरीदने में एक दिक्कत बहुत आती है | यदि थोडा ओवरसाइज़ लो तो कंधे लटकने लगते हैं | और यदि बिल्कुलसाइज़ के लो तो गले का बटन बंद नहीं होता |
* अमौसी | मैं इस चिंतन में था कि लखनऊ का हवाई अड्डा अमौसी में क्यों है ? और मैंने इसका कारण ढूँढ निकाला | क्योंकि मेरी मौसी का घर बालागंज में है, और उसके विपरीत शहर से दूर दूसरे छोर पर हवाई अड्डा है जहाँ मेरी मौसी नहीं रहतीं | इसलिए उसका नाम अमौसी पड़ा |
* पैदल चलना एक भी किलोमीटर नहीं है, और खरीदेंगे खूब बड़े मजबूत तली के वज़नदार ब्रांडेड जूते | नाम नहीं बताऊंगा नहीं तो उसका प्रचार हो जायगा और मुझे कोई पैसा तो मिलना नहीं है !
* दलितों से तो भेदभाव करता ही हूँ , उनमे भी औरतों और मर्दों में फर्क करता हूँ | दलित नर मित्रों के फ़ोन आते हैं तो दो चार बार बजने पर स्वीकार करता हूँ , जब कि दलित नारी मित्रो के फ़ोन घंटी बजने से पहले ही उठा लेता हूँ |
* पुरुषों को चाहे गोली मार दो , सूली पर चढ़ा दो , या उनके अंग - अंग काट कर ज़मीन में गाड़ दो , वह कुत्ते की पूँछ हैं | वह हर हाल में नारी शरीर और आकृति पर आकर्षित होता रहेगा | उनके लिए वह अपनी जान गवाँता रहेगा |
* बुढ़ापे में यह ज़रूर हो जाता है कि हवा खिसकाने में शर्म हया कुछ कम हो जाती है |
 

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