मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

मेरे ख्यालों में


[Badmesh]
* अब चाहे नैतिकता रहे चाहे जाय , चाहे बुराइयों का पहाड़ ही टूट पड़े , अब औरतें पुनः परदे में नहीं डाली जा सकतीं |

* औरतें कुतिया होती हैं या नहीं , पुरुष तो सारे कुत्ते ही होते हैं |

* जब तक आप बुर्क़ा नहीं लगायेंगे , दुनिया की असलियत नहीं जान पायेंगे |

* जहां तक आपका सवाल है ,
मेरे ख्यालों में एक ख़याल है |


* उधर देश बदमाशों से परेशान रहा इधर पूरे जाड़े भर मैं अपनी पत्नी से त्रस्त रहा | इसे बलात्कार तो कह नहीं सकता क्योंकि मैं सिद्ध नहीं कर पाऊँगा | उन्होंने खूब बनाया अपनी पसंद का मटर का निमोना और बथुए का सगपहिता दाल | ये दोनों पकवान मुझे पसंद नहीं | यह तो कहिये कभी कभी साग और गोभी , कभी आलू मटर टमाटर की रसेदार सब्जी भी बन जाती थी जिसे खाकर मैं यह लिखने के लिए जिंदा हूँ | कृपया मेरी एफ आई आर दर्ज कर ली जाय | 

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