मौर्या जी कि टिपण्णी हंसी मज़ाक के लिए अच्छा / अच्छी शैली में है , और इसे इसी प्रकार लिया भी जाना चाहिए | क्योंकि हिंदुत्व कोई इसलाम नहीं है , न वेद कोई किसी की संपत्ति | वह सारी मानवता का ज्ञान कोष है , और उस पर हर मनुष्य का अधिकार है | मैं यह नहीं समझ पाता कि कोई यह कैसे कहता है कि अमुक ने हमारे पैगम्बर / देवता / ईश्वर / किताब कि अवमानना की है | क्या हम ईश्वर से ज्यादा ताक़तवर हैं ? जो जैसा करेगा वैसा भुगतेगा | लेकिन यदि गंभीरता से देखा जाय तो जो वेद पढ़ते हैं / कुरआन पढ़ते हैं वे उस पर कुछ कहें | जिन्हें उनसे मतलब नहीं है , वे बिलावजह क्यों बोलें , बगैर जन भावना का ख्याल किये ?
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शनिवार, 8 दिसंबर 2012
बिलावजह क्यों बोलें
मौर्या जी कि टिपण्णी हंसी मज़ाक के लिए अच्छा / अच्छी शैली में है , और इसे इसी प्रकार लिया भी जाना चाहिए | क्योंकि हिंदुत्व कोई इसलाम नहीं है , न वेद कोई किसी की संपत्ति | वह सारी मानवता का ज्ञान कोष है , और उस पर हर मनुष्य का अधिकार है | मैं यह नहीं समझ पाता कि कोई यह कैसे कहता है कि अमुक ने हमारे पैगम्बर / देवता / ईश्वर / किताब कि अवमानना की है | क्या हम ईश्वर से ज्यादा ताक़तवर हैं ? जो जैसा करेगा वैसा भुगतेगा | लेकिन यदि गंभीरता से देखा जाय तो जो वेद पढ़ते हैं / कुरआन पढ़ते हैं वे उस पर कुछ कहें | जिन्हें उनसे मतलब नहीं है , वे बिलावजह क्यों बोलें , बगैर जन भावना का ख्याल किये ?
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें