मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

कन्या दान


कन्या दान अश्लील है , बुरा लगता है ? तो मत दीजिये ऐसा दान | कन्या धन को घर में ही रखिये | अरे भाई , ये सब रस्में हैं पाखण्ड हैं विवाह के | ये गाजे - बाजे, नाच गाना , जयमाल [?], अंतर मंतर, वर के पाँव पूजना, माड़व  - कोहबर, कलेवा, भात, वगैरह  | पुराने लोगों को इन सब छ्छंदों में मज़ा आता था तो वे करते थे, आप को उनका उपहास करने में मज़ा आता है तो आप मज़ाक उड़ाने में लगे हैं | और कुछ तो कर नहीं सकते , विवाह की कोई नई विधि ईजाद नहीं कर सकते , तो करने दीजिये उन्हें | कुछ नया करते  तो हम भी उसका अनुसरण करते | लेकिन आप को यह तो ज्ञात होना चाहिए कि कन्या दान करके कोई कन्या से छुटकारा नहीं ले लेता | पैर पूजने को लेकर एक घटना है कि कहीं पुत्री से दामाद ने कोई दुर्व्यवहार कर दिया |  कन्या के बाप ने चेतावनी दी कि तुम्हारा पैर ही तो पूजा है गर्दन नहीं , उसे काट कर अलग कर दूँगा | निश्चय ही बहुत कुछ आलोच्य हैं पुराने रस्मों में, और इसका पूरा हक है आपको, क्योंकि आप उसके निर्णायक सदस्य हैं | लेकिन ज़रा ज़िम्मेदारी से, केवल मजाहिया लहजे में नहीं, न उन्हें अपमानित करके |  
मन में भाव कैसे भी हों , जो भी हिन्दू रीति से विवाह संपन्न किये जाते हैं उनमे यही पाखण्ड निभाए जाते हैं | वही अग्नि के फेरे , वही कसमें | क्या कोई अर्थ होता है उनका ? नहीं तो कोई दूसरा रास्ता बताइए जिसे व्यवहृत किया जाय, जो व्यवहार में लाने योग्य हो , सर्वदोषमुक्त | अन्यथा दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल से क्या फायदा ? किससे कह रहे हैं आप ?


अच्छा हाँ , बात ही तो कर रहे हैं , और बात ही करने के लिए तो है फेस बुक ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें