रविवार, 9 दिसंबर 2012

मुर्गा पकेगा


* कुछ न कुछ
लिखते रहते हैं
अभ्यास होता |

* फुरसत है
नेतागिरी के लिए
लोगों के पास |

* कहाँ जाओगे
यार आज तो रुको
मुर्गा पकेगा |


* सहमति है
मना नहीं करते
यदि छूने से |

* जीव जंतु है
मानव प्रजाति भी
नर व नारी |

* देखा तो मैंने
घर फूँक तमाशा
और क्या करूँ ?

* बताओ मत
मैं सब जानता हूँ
छिपाते रहो |


* बस थोडा सा
दिमाग लगाइए
समस्या हल !

* हर हाल में
प्यार तो करना है
मुझे सबसे !


* मैंने क्या पढ़ा ?
न वेद न पुराण
कुछ तो नहीं |
[ बस आदमी की आँखें ]


* बिना चिंता के
 कहाँ निकलता है
कोई विचार !

* सोचिए नहीं
सोचते ही रहिए
निशि वासर |

* उन सबका
नाम मुझे याद है
एक आदमी |

* दिल होता है
धनिकों के पास भी
बुद्धि होती है
गरीबों के पास भी
वंचितों में भी
होती समझदारी
संवेदनाएँ |

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