* कुछ न कुछ
लिखते रहते हैं
अभ्यास होता |
* फुरसत है
नेतागिरी के लिए
लोगों के पास |
* कहाँ जाओगे
यार आज तो रुको
मुर्गा पकेगा |
* सहमति है
मना नहीं करते
यदि छूने से |
* जीव जंतु है
मानव प्रजाति भी
नर व नारी |
* देखा तो मैंने
घर फूँक तमाशा
और क्या करूँ ?
* बताओ मत
मैं सब जानता हूँ
छिपाते रहो |
* बस थोडा सा
दिमाग लगाइए
समस्या हल !
* हर हाल में
प्यार तो करना है
मुझे सबसे !
* मैंने क्या पढ़ा ?
न वेद न पुराण
कुछ तो नहीं |
[ बस आदमी की आँखें ]
* बिना चिंता के
कहाँ निकलता है
कोई विचार !
* सोचिए नहीं
सोचते ही रहिए
निशि वासर |
* उन सबका
नाम मुझे याद है
एक आदमी |
* दिल होता है
धनिकों के पास भी
बुद्धि होती है
गरीबों के पास भी
वंचितों में भी
होती समझदारी
संवेदनाएँ |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें