* कुछ हो न हो
तुम सुंदर तो हो
यही बहुत |
* तरस गए
मेरे होंठ , बोलना
ढाई आखर |
* वह अंधी थी
मैंने आँखें चूमीं तो
खिले कमल |
* लोकतंत्र की
दूरी ज्यादा नहीं है
भीड़तंत्र से |
* क्या घुस जाए
कब मेरे सिर में
नहीं जानता |
* सरकार हो
अव्यवस्था न हो तो
सूना लगता |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें