मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

औरतों से डरो


* मैं वामपंथी केवल इस तरीके से माना जा सकता हूँ कि मेरी पत्नी का स्थान बायीं और है , और मैं पत्नी के पक्ष में हूँ |

* बहरहाल यह तो तय हुआ मालूम होता है कि भारत देश में बलात्कारियों की संख्या बस वही आठ- दस ही है जिन्होंने दिल्ली में काण्ड किया | और इतने सारे आन्दोलनकारियों में कोई वैसी पुरुष मानसिकता का हो  इसका सवाल ही नहीं उठता | तो स्थिति संतोषजनक ही मानी जायगी | सवा अरब की जनसँख्या में एक दर्जन अपराधी कोई मायने नहीं रखते |

* औरतों से डरो -
आजकल हमारी औरतों को यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, यानी अपनी पूजा कराने से सख्त ऐतराज़ है | उन्हें भाई -बाप -पति से अपनी रक्षा कराना भी नामंजूर है | ऐसी दशा में पुरुषों के लिए हमारा क्या सन्देश हो सकता है ? यही तो, कि यदि अपनी सलामती और खैर चाहते हो तो औरतों से डरो |

* कोई न देगा
बच्चू , साथ तुम्हारा
देखते रहो |

* आँख गड्ढे में
धँसती जा रही हैं
बुड्ढा घूरता |

* जात बताता
आप का व्यवहार
नाम थोड़े ना ?

* हमारा सार ही कुछ बकवास है | and so, members with fake ID are no problem with us .

* स्वर्ग - नर्क मानिए या नहीं , पर स्वर्गवासी होने से कहाँ बच पायेंगे, और बैकुंठधाम जाने से ?

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