रविवार, 2 दिसंबर 2012

सुरखाव के पर

* बेटियाँ मेरी , सुरखाव के पर !


* दुर्गन्ध के डर से दरवाज़ा मत बंद करो | अभी , बिल्कुल अभी, त्ताज़ा हवा का झोंका आने वाला है |

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