बुधवार, 19 दिसंबर 2012

ईश्वर होता तो

ईश्वर होता तो क्या हम उसे न मानते ? क्यों न मानते ? कैसे न मानते ? क्या मजाल थी हमारी ? वह नहीं है तो इसमें हमारा क्या दोष ? बनाया तो भरसक उसे हमने  वह नहीं बना तो हम क्या करें ? और आदमी ने जितना उसे बनाया उतना तो उसे मानते ही हैं !

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