उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 3 दिसंबर 2012
कमोड साफ़ करता हूँ
[ कविताएँ ]
" कमोड साफ़ करता हूँ
चमक जाता है
ख़ुशी होती है | "
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* ज़माना यूँ न बदलेगा ,
ज़माना यूँ न बदलेगा ,
ज़माना यूँ तो बदलेगा
ज़माना क्यूँ न बदलेगा ?
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