मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

बिल्ली नि रास्ता जो काटा


[ उवाच ]
* बिल्ली नि रास्ता जो काटा था / मैं सही मुकाम पर पहुँच गया |
* एक एक पैसा दाँतों के बीच फँसाकर बचाने वाले शादी विवाहों में किस तरह पैसा पानी की तरह बचाते हैं कि आश्चर्य होता है |
* वैसे तो कहने को हर व्यक्ति संवैधानिक अधिकार प्राप्त स्वतंत्र इकाई है , लेकिन संपत्ति पर हक ज़माने के लिए सब बेटवा - बिटिया - ससुर -दमाद रिश्तेदार बन जाते हैं !
* वैसे ही बहुत वज़नदार है यह धरती , मनुष्य इसे अपने विचार - व्यवहार से और भारी तो न बनाये !
* जो ज्यादा सफल होना चाहते हैं , वे जल्दी असफल भी हो जाते हैं | हो ही जाना चाहिए |
* जाति या धर्म केवल पैदाइशी तक क्षम्य है | उसके बाद यदि व्यक्ति अपनी तरफ से हिन्दू - मुसलमान बनता है तो वह जाने | उसका फल - कुफल उसे भुगतना पड़ेगा |
* बाबा रामदेव योग करते करते राजनीति करने लगे | उसी प्रकार क्या केजरीवाल को राजनीति करते करते योग गुरु नहीं हो जाना चाहिए ?
* जो साधारण आदमी हो उसे सहर्ष सम्मान दो | जो विशिष्टता की ऐंठ में हो उसे साक्रोश उपेक्षा , लानत - लताड़ दो |
* सहालग है | उनके बहन की शादी है अगले सप्ताह | मुझसे मिलने कहाँ आ पायेंगे !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें