इस सम्बन्ध में मेरे अनुभव में एक अद्भुत - आदर्श व्यक्ति का चित्र है जिसके पास ज्ञान, कौशल , प्रजातान्त्रिक सोच , विपरीत / विभिन्न विचारों को समाहित करने वाला और पत्रकारिता के अनुभवों एवं गुणों से युक्त है और "प्रिय संपादक " के मर्म को भली भाँति समझता है | वह हिंदुस्तान के दिल्ली एडिशन के एडिटर थे | अब फ्रीलांसिंग कर रहे हैं , दिल्ली [वैशाली , गाज़ियाबाद] में रहते हैं | नाम है उनका श्री प्रमोद जोशी | उनका परामर्श और सहयोग बहुत उपयोगी हो सकता है , यदि ज़रुरत पड़े तो , और जहाँ तक मैं अनुमान कर सकता हूँ , वे सहर्ष इसे प्रदान करेंगे | लेकिन सौ की एक बात है कि सफल पत्र चलाने के लिए पर्याप्त प्रारंभिक धन चाहिए | फिर तो यदि प्रोफेसनल तरीके से निकाला गया तो यह निश्चय ही आत्मनिर्भर और पाठकों को ग्राह्य होकर विख्यात हो जायगा , और असंभव नहीं कि कई लोगों के आमदनी का स्रोत भी | मुझे तो इसको चलते देखने के अलावा और कोई चाह नहीं है |
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