उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 18 मई 2012
दुःख का कारण
[व्यक्तिवाचक] - मेरे दुःख का कारण यह है कि मैं अपने ऊपर ज़रुरत से ज्यादा जिम्मेदारियां लाद लेता हूँ | इसका निवारण यह है कि मैं एक -एक करके इनसे मुक्त हो हो जाऊं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें