उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
बुधवार, 23 मई 2012
आत्मा अवस्थित
[बदमाश चिंतन]
आत्मा उसको कहते हैं जिसमें मनुष्य का मन बहुत रमता हो | अतः मैं विश्वासपूर्वक,निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि मनुष्य में आत्मा है और वह उसकी टाँगों के बीच में अवस्थित है |
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