उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 24 मई 2012
डाक्टरों की पर्चियां
कविता -
डाक्टरों की पर्चियां
कुछ दवाओं की रसीदें
मिलेंगी तुमको
सिरहाने से मेरे ,
मत खौफ़ खाना
इन्होने ने ही तो
बचायी ज़िन्दगी मेरी
अभी तक , अभी
थोड़ी देर पहले तक !
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