सोमवार, 14 मई 2012

मेरी बात मानो

मेरी बात मानो 
[कविता ]

किसी की बात मानो न मानो 
मेरी बात मानो ,
माँ -बाप का कहा न मानो ,
गुरू का आदेश न मानो ,
किसी किताब में लिखी बात  न मानो
कोई धर्म न मानो ,
किसी परंपरा का पालन न करो ,
और ऐसा बार -बार कहने वाले 
जागृत- प्रबुद्ध गौतम बुद्ध 
की भी बात न मानो |
किसी की बात न मानो , लेकिन 
मेरी बात ज़रूर मानो ||  

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