शनिवार, 19 मई 2012

कार्टून पर प्रतिबन्ध

- - - तो अब शंकर पिल्लई पवित्र गाय हो गए ? महान , infallible कलाकार ,जिनसे कोई गलती हो ही नहीं सकती ? [ और वैसे ही योगेन्द्र / सुहास विद्वतजन भी ] | फिर भी कोई दलित उनका निरादर कहाँ कर रहा है ? उनके कार्टून पर प्रतिबन्ध की माँग कहाँ कर रहा है ? यह तो उसी तरह से है , जैसे कि वह  उसे पुरस्कृत करने [कोर्स की किताब में रखकर] के पक्ष में नहीं हैं | बस | पता नहीं  इसे अभिव्यक्ति की हत्या कैसे माना जा रहा है ! या हो सकता है हम स्वतंत्रता प्रेमियों की बात को ठीक से समझ न पा रहे हों , पर यह इतना उलझने वाला मामला तो नहीं लगता !

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